व्यक्ति अपने कर्मों से महान बनता है ना कि अपने जन्म से, वाणी में मधुरता सबसे बड़ा गुण है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 05/01/2023, गुरुवार* चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष, पौष समाप्तिकाल
तिथि |
चतुर्दशी 26:13:30 तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
मृगशिरा 21:24:57 |
योग |
शुक्ल 07:32:07 |
करण |
गर 13:05:18 |
करण |
वणिज 26:13:30 |
वार |
गुरूवार |
माह |
पौष |
चन्द्र राशि |
वृषभ 08:04:39 |
चन्द्र राशि |
मिथुन |
सूर्य राशि |
धनु |
रितु |
शिशिर |
आयन |
13:30 उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:11:55 |
सूर्यास्त |
17:37:09 |
दिन काल |
10:25:13 |
रात्री काल |
13:34:55 |
चंद्रोदय |
16:10:06 |
चंद्रास्त |
30:45:१७ |
लग्न—-धनु 20°15′ , 260°15′
सूर्य नक्षत्र |
पूर्वाषाढा |
चन्द्र नक्षत्र |
मृगशिरा |
नक्षत्र पाया |
लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वो |
मृगशिरा 08:04:39 |
का |
मृगशिरा 14:44:27 |
की |
मृगशिरा 21:24:57 |
कु |
आर्द्रा 28:06:06 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह |
राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य |
धनु 20 : 29 पू oषाo ,3 फा |
चन्द्र |
वृषभ 29°23, मृगशिरा, 2 वो |
बुध |
धनु 25 ° 34′ उ o षाo ‘ 4 ढा |
शुक्र |
मकर 08°05, उ o षाo ‘ 4 जी |
मंगल |
वृषभ 14°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु |
मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ |
शनि |
मकर 28°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी |
राहू |
(व) मेष 15°50 भरणी , 2 ली |
केतु |
(व) तुला 15°50 विशाखा , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
15:01- 16:२९ अशुभ |
यम घंटा |
07:12 – 08:30 अशुभ |
गुली काल |
09:48 – 11:06 अशुभ |
अभिजित |
12:04 – 12:45 शुभ |
दूर मुहूर्त |
10:40 – 11:22 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
14:50 – 15:32 अशुभ |
वर्ज्यम |
30:47 – 32:34 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
शुभ |
07:12 – 08:30 शुभ |
रोग |
08:30 – 09:48 अशुभ |
उद्वेग |
09:48 – 11:06 अशुभ |
चर |
11:06 – 12:25 शुभ |
लाभ |
12:25 – 13:43 शुभ |
अमृत |
13:43 – 15:01 शुभ |
काल |
15:01 – 16:19 अशुभ |
शुभ |
16:19 – 17:37 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत |
17:37 – 19:19 शुभ |
चर |
19:19 – 21:01 शुभ |
रोग |
21:01 – 22:43 अशुभ |
काल |
22:43 – 24:25* अशुभ |
लाभ |
24:25 – 26:06 शुभ |
उद्वेग |
26:06 – 27:48 अशुभ |
शुभ |
27:48 – 29:30 शुभ |
अमृत |
29:30 – 31:12 शुभ |
🚩होरा, दिन
बृहस्पति |
07:12 – 08:04 |
मंगल |
08:04 – 08:56 |
सूर्य |
08:56 – 09:48 |
शुक्र |
09:48 – 10:40 |
बुध |
10:40 – 11:32 |
चन्द्र |
11:32 – 12:25 |
शनि |
12:25 – 13:17 |
बृहस्पति |
13:17 – 14:09 |
मंगल |
14:09 – 15:01 |
सूर्य |
15:01 – 15:53 |
शुक्र |
15:53 – 16:45 |
बुध |
16:45 – 17:37 |
🚩होरा, रात
चन्द्र |
17:37 – 18:45 |
शनि |
18:45 – 19:53 |
बृहस्पति |
19:53 – 21:01 |
मंगल |
21:01 – 22:09 |
सूर्य |
22:09 – 23:17 |
शुक्र |
23:17 – 24:25 |
बुध |
24:25* – 25:33 |
चन्द्र |
25:33* – 26:40 |
शनि |
26:40* – 27:48 |
बृहस्पति |
27:48* – 28:56 |
मंगल |
28:56* – 30:04 |
सूर्य |
30:04* – 31:12 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु |
04:47 से 06:56 तक |
मकर |
06:56 से 08:36 तक |
कुम्भ |
08:36 से 10:14 तक |
मीन |
10: 14 से 11:38 तक |
मेष |
11:38 से 13:18 तक |
वृषभ |
13:18 से 17:36 तक |
कर्क |
17:36 से 19:46 तक |
सिंह |
19:46 से 22:02 तक |
कन्या |
22:02 से 00:12 तक |
तुला |
00:12 से 03:20 तक |
वृश्चिक |
02:20 से 04:30 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥ रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार । अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥ अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें । उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें । शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें । लाभ में व्यापार करें । रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें । काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है । अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है ल
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 5 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है।
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 26:24 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
ज्योतिष साधना
ज्योतिषाचार्य डॉ विष्णु शास्त्री