जीवन का उद्देश्य जैसे ही स्मरण आ जाता है,वहीं से भीतर की यात्रा शुरू हो जाती है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
18/01/2023, बुधवार*एकादशी, कृष्ण पक्ष,माघ समाप्ति काल
तिथि |
एकादशी 16:02:32 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
अनुराधा 17:21:51 |
योग |
वृद्वि 26:45:43 |
करण |
बालव 16:02:32 |
करण |
कौलव 26:45:00 |
वार |
बुधवार |
माह |
माघ |
चन्द्र राशि |
वृश्चिक |
सूर्य राशि |
मकर |
रितु |
शिशिर |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:12:01 |
सूर्यास्त |
17:47:14 |
दिन काल |
10:35:12 |
रात्री काल |
13:24:36 |
चंद्रास्त |
14:01:51 |
चंद्रोदय |
28:30:21 |
लग्न—- मकर 3°30′ , 273°30′
सूर्य नक्षत्र |
उत्तराषाढा |
चन्द्र नक्षत्र |
अनुराधा |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
नू |
अनुराधा 11:46:53 |
ने |
अनुराधा 17:21:51 |
नो |
ज्येष्ठा 22:54:13 |
या |
ज्येष्ठा 28:24:06 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह |
राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य |
मकर मकर 03:29 उ oषाo,3 जा |
चन्द्र |
वृश्चिक 10°:23, अनुराधा ,3 नू |
बुध |
धनु 13°: 34′ पूo षा o 1 भू |
शुक्र |
मकर 24°05,धनिष्ठा’1गा |
मंगल |
वृषभ 14°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा /td>
|
गुरु |
मीन 09°30 ‘उ o भा o,2 थ |
शनि |
मकर 00°43 ‘धनिष्ठा’ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 15°10 भरणी, 1 ली |
केतु |
(व) तुला 15°10 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
12:30 -13:49 अशुभ |
यम घंटा |
08:31 – 09:51 अशुभ |
गुली काल |
11:10 – 12:30 अशुभ |
अभिजित |
12:08 – 12:51 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:08 – 12:51 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
14:57 – 15:39 अशुभ |
वर्ज्यम |
22:32 – 24:00 अशुभ |
गंड मूल |
17:22 – अहोरात्र अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
लाभ |
07:12 – 08:31 शुभ |
अमृत |
08:31 – 09:51 शुभ |
काल |
09:51 – 11:10 अशुभ |
शुभ |
11:10 – 12:30 शुभ |
रोग |
12:30 – 13:49 अशुभ |
उद्वेग |
13:49 – 15:08 अशुभ |
चर |
15:08 – 16:28 शुभ |
लाभ |
16:28 – 17:47 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग |
17:47 – 19:28 अशुभ |
शुभ |
19:28 – 21:08 शुभ |
अमृत |
21:08 – 22:49 शुभ |
चर |
22:49 – 24:30* शुभ |
रोग |
24:30 – 26:10 अशुभ |
काल |
26:10 – 27:51 अशुभ |
लाभ |
27:51 – 29:31 शुभ |
उद्वेग |
29:31 – 31:12 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध |
07:12 – 08:05 |
चन्द्र |
08:05 – 08:58 |
शनि |
08:58 – 09:51 |
बृहस्पति |
09:51 – 10:44 |
मंगल |
10:44 – 11:37 |
सूर्य |
11:37 – 12:30 |
शुक्र |
12:30 – 13:23 |
बुध |
13:23 – 14:16 |
चन्द्र |
14:16 – 15:08 |
शनि |
15:08 – 16:01 |
बृहस्पति |
16:01 – 16:54 |
मंगल |
16:54 – 17:47 |
🚩होरा, रात
सूर्य |
17:47 – 18:54 |
शुक्र |
18:54 – 20:01 |
बुध |
20:01 – 21:08 |
चन्द्र |
21:08 – 22:15 |
शनि |
22:15 – 23:22 |
बृहस्पति |
23:22 – 24:30 |
मंगल |
24:30* – 25:37 |
सूर्य |
25:37* – 26:44 |
शुक्र |
26:44* – 27:51 |
बुध |
27:51* – 28:58 |
चन्द्र |
28:58* – 30:05 |
शनि |
30:05* – 31:12 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
05:56 से 07:42 तक |
कुम्भ |
07:42 से 09:22 तक |
मीन |
09: 23 से 10:42 तक |
मेष |
10:42 से 12:24 तक |
वृषभ |
12:24 से 16:42 तक |
कर्क |
16:42 से 18:54 तक |
सिंह |
18:54 से 21:08 तक |
कन्या |
21:08 से 11:18 तक |
तुला |
11:18 से 02:26 तक |
वृश्चिक |
02:26 से 03:36 तक |
धनु |
03:36 से 05:46 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट–दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 11 + 4 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
शटतिला एकादशी व्रत (सर्वेषां)
सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 17:22 तक
तिल, दाल भोग, भक्षण श्रीनाथ जी
श्री सुदर्शनावतार श्री निंबार्काचार्य भगवान का 17 वा पाटोत्सव महाराष्ट्र