सफलता थोड़े से अनुशासन से ज्यादा कुछ भी नही हैं, जिसका प्रतिदिन अभ्यास किया जाता हैं
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 15/02/2023, बुधवार नवमी, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
नवमी 07:38:51 तक |
तिथि |
दशमी 29:32:21(क्षय ) |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
ज्येष्ठा 24:45:10 |
योग |
व्याघात 09:59:27 |
करण |
गर 07:38:51 |
करण |
वणिज 18:40:34 |
करण |
विष्टि भद्र 29:32:21 |
वार |
बुधवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
वृश्चिक 24:45:10 |
चन्द्र राशि |
धनु |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:58:01 |
सूर्यास्त |
18:08:59 |
दिन काल |
11:10:58 |
रात्री काल |
12:48:12 |
चंद्रास्त |
12:42:12 |
चंद्रोदय |
27:19:36 |
लग्न—-कुम्भ 1°54′ , 301°54′
सूर्य नक्षत्र |
धनिष्ठा |
चन्द्र नक्षत्र |
ज्येष्ठा |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
नो |
ज्येष्ठा 07:45:37 |
या |
ज्येष्ठा 13:27:58 |
यी |
ज्येष्ठा 19:07:48 |
यू |
ज्येष्ठा 24:45:10 |
ये |
मूल 30:20:10 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 01 : 29 धनिष्ठा , 3 गु |
चन्द्र |
वृश्चिक 19°:23, ज्येष्ठा , 1 नो |
बुध |
मकर 10 °: 34′ श्रवण’ 1 खी |
शुक्र |
कुम्भ 29 °05, पू o भा o ‘ 3 दा |
मंगल |
वृषभ 19°30 ‘ रोहिणी’ 3 वी |
गुरु |
मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 03°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 13°40 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 13°40 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
12:34 – 13:57 अशुभ |
यम घंटा |
08:22 – 09:46 अशुभ |
गुली काल |
11:10 – 12:34 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:56 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:11 – 12:56 अशुभ |
वर्ज्यम |
07:23 – 08:54 अशुभ |
🚩💮 गंड मूल 26:01* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ |
06:58 – 08:22 शुभ |
अमृत |
08:22 – 09:46 शुभ |
काल |
09:46 – 11:10 अशुभ |
शुभ |
11:10 – 12:34 शुभ |
रोग |
12:34 – 13:57 अशुभ |
उद्वेग |
13:57 – 15:21 अशुभ |
चर |
15:21 – 16:45 शुभ |
लाभ |
16:45 – 18:09 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग |
18:09 – 19:45 अशुभ |
शुभ |
19:45 – 21:21 शुभ |
अमृत |
21:21 – 22:57 शुभ |
चर |
22:57 – 24:33* शुभ |
रोग |
24:33 – 26:09 अशुभ |
काल |
26:09 – 27:45 अशुभ |
लाभ |
27:45 – 29:21 शुभ |
उद्वेग |
29:21 – 30:57 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध |
06:58 – 07:54 |
चन्द्र |
07:54 – 08:50 |
शनि |
08:50 – 09:46 |
बृहस्पति |
09:46 – 10:42 |
मंगल |
10:42 – 11:38 |
सूर्य |
11:38 – 12:34 |
शुक्र |
12:34 – 13:29 |
बुध |
13:29 – 14:25 |
चन्द्र |
14:25 – 15:21 |
शनि |
15:21 – 16:17 |
बृहस्पति |
16:17 – 17:13 |
मंगल |
17:13 – 18:09 |
🚩होरा, रात
सूर्य |
18:09 – 19:13 |
शुक्र |
22:25 – 23:29 |
बुध |
20:17 – 21:21 |
चन्द्र |
21:21 – 22:25 |
शनि |
22:25 – 23:29 |
बृहस्पति |
23:29 – 24:33 |
मंगल |
24:33* – 25:37 |
सूर्य |
25:37* – 26:41 |
शुक्र |
26:41* – 27:45 |
बुध |
27:45* – 28:49 |
चन्द्र |
28:49* – 29:53 |
शनि |
29:53* – 30:57 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
04:08 से 05: 50 तक |
कुम्भ |
05: 50 से 07:44 तक |
मीन |
07:44 से 09:06 तक |
मेष |
09:06 से 10:36 तक |
वृषभ |
10:36 से 12:38 तक |
मिथुन |
12:38 से 15:06 तक |
कर्क |
15:06 से 18:10 तक |
सिंह |
18:10 से 19:22 तक |
कन्या |
19:22 से 22:30 तक |
तुला |
22:30 से 00:54 तक |
वृश्चिक |
00:52 से 02:04 तक |
धनु |
02:04 से 04: 06 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 18:40 से रात्रि 29:32 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
विशेष जानकारी
श्री रामदास नवनी
दशमीक्षय
स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती