कर्तव्य और कर्म जिसके साथ है,बस समझो जीत उसके पास है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 17/02/2023,शुक्रवार*द्वादशी, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
द्वादशी 23:35:33 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
पूर्वाषाढा 20:27:19 |
योग |
सिद्वि 23:42:56 |
करण |
कौलव 13:15:22 |
करण |
तैतिल 23:35:33 |
वार |
शुक्रवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
धनु 25:47:21 |
चन्द्र राशि |
मकर |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:56:23 |
सूर्यास्त |
18:10:23 |
दिन काल |
11:14:00 |
रात्री काल |
12:45:09 |
चंद्रास्त |
14:46:45 |
चंद्रोदय |
29:24:45 |
लग्न—- कुम्भ 3°56′ , 303°56′
सूर्य नक्षत्र |
धनिष्ठा |
चन्द्र नक्षत्र |
पूर्वाषाढा |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
धा |
पूर्वाषाढा 09:42:56 |
फा |
पूर्वाषाढा 15:05:53 |
ढा |
पूर्वाषाढा 20:27:19 |
भे |
उत्तराषाढा 25:47:21 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 03 : 29 धनिष्ठा , 4 गे |
चन्द्र |
धनु 18°:23, पूo षाo , 2 धा |
बुध |
मकर 13 °: 34′ श्रवण’ 2 खू |
शुक्र |
मीन 01 °05, पू o भा o ‘ 4 दी |
मंगल |
वृषभ 20°30 ‘ रोहिणी’ 4 वू |
गुरु |
मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 03°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 13°40 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 13°40 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
11:09 – 12:33 अशुभ |
यम घंटा |
15:22 – 16:46 अशुभ |
गुली काल |
08:21 – 09:45 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:56 शुभ |
दूर मुहूर्त |
09:11 – 09:56 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:56 – 13:41 अशुभ |
वर्ज्यम |
07:33 – 08:59 अशुभ |
🚩💮 गंड मूल 26:01* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर |
06:56 – 08:21 शुभ |
लाभ |
08:21 – 09:45 शुभ |
अमृत |
09:45 – 11:09 शुभ |
काल |
11:09 – 12:33 अशुभ |
शुभ |
12:33 – 13:58 शुभ |
रोग |
13:58 – 15:22 अशुभ |
उद्वेग |
15:22 – 16:46 अशुभ |
चर |
16:46 – 18:10 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग |
21:21 – 22:57 अशुभ |
काल |
19:46 – 21:22 अशुभ |
लाभ |
21:22 – 22:57 शुभ |
उद्वेग |
22:57 – 24:33* अशुभ |
शुभ |
24:33 – 26:09 शुभ |
अमृत |
26:09 – 27:44 शुभ |
चर |
27:44 – 29:20 शुभ |
रोग |
29:20 – 30:56 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र |
06:56 – 07:53 |
बुध |
07:53 – 08:49 |
चन्द्र |
08:49 – 09:45 |
शनि |
09:45 – 10:41 |
बृहस्पति |
10:41 – 11:37 |
मंगल |
11:37 – 12:33 |
सूर्य |
12:33 – 13:30 |
शुक्र |
13:30 – 14:26 |
बुध |
14:26 – 15:22 |
चन्द्र |
15:22 – 16:18 |
शनि |
16:18 – 17:14 |
बृहस्पति |
17:14 – 18:10 |
🚩होरा, रात
मंगल |
18:10 – 19:14 |
सूर्य |
19:14 – 20:18 |
शुक्र |
20:18 – 21:22 |
बुध |
21:22 – 22:25 |
चन्द्र |
22:25 – 23:29 |
शनि |
23:29 – 24:33 |
बृहस्पति |
24:33* – 25:37 |
मंगल |
25:37* – 26:40 |
सूर्य |
26:40* – 27:44 |
शुक्र |
27:44* – 28:48 |
बुध |
28:48* – 29:52 |
चन्द्र |
29:52* – 30:56 |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 12 + 6 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
विजया एकादशी व्रत (वैष्णव)
मानसरोवर मेला ,श्रीराधाबल्लभ जी
वंजुली महाद्वदाशी