दुःख पीछे की ओर देखता है, चिन्ता इधर उधर देखती है,केवल विश्वास ही है जो हमेशा आगे की ओर देखता है इसलिए विश्वास की ज्योति कभी बुझने ना दें
आपका आज का दिन मंगलमय हो दिनाँक 21/02/2023, मंगलवार* प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष, फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
प्रतिपदा 09:04:14 तक |
तिथि |
द्वितीया 29:57:13(क्षय ) |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
शतभिषा 08:59:20 |
नक्षत्र |
पूर्वाभाद्रपद 30:37:07 |
योग |
शिव 06:54:51 |
योग |
सिद्ध 27:06:37 |
करण |
बव 09:04:14 |
करण |
बालव 19:27:07 |
करण |
कौलव 29:57:13 |
वार |
मंगलवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
कुम्भ 25:09:52 |
चन्द्र राशि |
मीन |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:52:55 |
सूर्यास्त |
18:13:05 |
दिन काल |
11:20:10 |
रात्री काल |
12:38:55 |
चंद्रास्त |
19:31:06 |
चंद्रोदय |
07:42:52 |
लग्न—- कुम्भ 7°58′ , 307°58
सूर्य नक्षत्र |
शतभिषा |
चन्द्र नक्षत्र |
शतभिषा |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
सू |
शतभिष 08:59:20 |
से |
पूर्वभाद्रपदा 14:21:09 |
सो |
पूर्वभाद्रपदा 19:44:36 |
दा |
पूर्वभाद्रपदा 25:09:52 |
दी |
पूर्वभाद्रपदा 30:37:07 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 07 : 29 शतभिषा , 1 गो |
चन्द्र |
कुम्भ 18°:23, शतभिषा , 4 सू |
बुध |
मकर 19 °: 34′ श्रवण’ 3 खे |
शुक्र |
मीन 06 °05, उ o भा o ‘ 2 थ |
मंगल |
वृषभ 21°30 ‘ रोहिणी’ 4 वू |
गुरु |
मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 04°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
राहू |
(व) मेष 13°20 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 13°20 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
13.58 – 15:23 अशुभ |
यम घंटा |
09:43 – 11:08 अशुभ |
गुली काल |
12:33 – 13:58 अशुभ |
अभिजित |
12:10 – 12:56 शुभ |
दूर मुहूर्त |
09:09 – 09:54 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
23:17 – 24:02* अशुभ |
वर्ज्यम |
14:43 – 16:09 अशुभ |
🚩💮 गंड मूल 26:01* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग |
06:53 – 08:18 अशुभ |
उद्वेग |
08:18 – 09:43 अशुभ |
चर |
09:43 – 11:08 शुभ |
लाभ |
11:08 – 12:33 शुभ |
अमृत |
12:33 – 13:58 शुभ |
काल |
13:58 – 15:23 अशुभ |
शुभ |
15:23 – 16:48 शुभ |
रोग |
16:48 – 18:13 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल |
18:13 – 19:48 अशुभ |
लाभ |
19:48 – 21:23 शुभ |
उद्वेग |
21:23 – 22:58 अशुभ |
शुभ |
22:58 – 24:33* शुभ |
अमृत |
24:33 – 26:07 शुभ |
चर |
26:07 – 27:42 शुभ |
रोग |
27:42 – 29:17 अशुभ |
काल |
29:17 – 30:52 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल |
06:53 – 07:50 |
सूर्य |
07:50 – 08:46 |
शुक्र |
08:46 – 09:43 |
बुध |
09:43 – 10:40 |
चन्द्र |
10:40 – 11:36 |
शनि |
11:36 – 12:33 |
बृहस्पति |
12:33 – 13:30 |
मंगल |
13:30 – 14:26 |
सूर्य |
14:26 – 15:23 |
शुक्र |
15:23 – 16:20 |
बुध |
16:20 – 17:16 |
चन्द्र |
17:16 – 18:13 |
🚩होरा, रात
शनि |
18:13 – 19:16 |
बृहस्पति |
19:16 – 20:20 |
मंगल |
20:20 – 21:23 |
सूर्य |
21:23 – 22:26 |
शुक्र |
22:26 – 23:29 |
बुध |
23:29 – 24:33 |
चन्द्र |
24:33* – 25:36 |
शनि |
25:36* – 26:39 |
बृहस्पति |
26:39* – 27:42 |
मंगल |
27:42* – 28:46 |
सूर्य |
28:46* – 29:49 |
शुक्र |
29:49* – 30:52 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
03:45 से 05: 26 तक |
कुम्भ |
05: 36 से 07:30 तक |
मीन |
07:20 से 08:38 तक |
मेष |
08:38 से 10:12 तक |
वृषभ |
10:12 से 12:14 तक |
मिथुन |
12:14 से 14:42 तक |
कर्क |
14:42 से 17:46 तक |
सिंह |
17:46 से 18:58 तक |
कन्या |
18:58 से 22:06 तक |
तुला |
22:06 से 00:34 तक |
वृश्चिक |
00:34 से 01:40 तक |
धनु |
01:40 से 03: 42 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
1 + 1 + 1 = 3 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
फुलेरा फौज (अभूझ मुहूर्त)
रामकृष्ण परमहंस जयंती
श्री खाटूश्याम जी मेला 11 दिवसीय
द्वितीयाक्षय