चुनौतिया ही जिंदगी को रोमांचक बनाती है और इसी से आपके जीवन में महत्त्व का निर्माण होता है| आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-01/03/2023, बुधवार दशमी, शुक्ल पक्ष, फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
दशमी 30:38:51 तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
मृग० 09:50:30 |
योग |
प्रीति 17:00:21 |
करण |
तैतुल 17:26:25 |
करण |
गर 30:38:51 |
वार |
बुधवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
मिथुन |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:45:20 |
सूर्यास्त |
18:18:11 |
दिन काल |
11:32:51 |
रात्री काल |
12:26:08 |
चंद्रोदय |
12:50:46 |
चंद्रास्त |
27:28:14 |
लग्न—- कुम्भ 16°0′ , 316°0′
सूर्य नक्षत्र |
शतभिषा |
चन्द्र नक्षत्र |
मृगशिरा |
नक्षत्र पाया |
लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
की |
मृगशिरा 09:50:30 |
कु |
आर्द्रा 16:32:04 |
घ |
आर्द्रा 23:14:40 |
ङ |
आर्द्रा 29:58:08 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 15 : 29 शतभिषा , 3 सी |
चन्द्र |
मिथुन 05°:23, मृगशिरा , 4 की |
बुध |
कुम्भ 02 °: 34′ धनिष्ठा’ 3 गु |
शुक्र |
मीन 15 °05, उ o भा o ‘ 4 ञ |
मंगल |
वृषभ 24°30 ‘ मृगशिरा’ 1 वे |
गुरु |
मीन 17°30 ‘ रेवती , 1 दे |
शनि |
कुम्भ 05°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
राहू |
(व)मेष 12°50 अश्विनी , 4 ला |
केतु |
(व)तुला 12°50 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
12:32 – 13:58 अशुभ |
यम घंटा |
08:12 – 09:39 अशुभ |
गुली काल |
11:05 – 12:32 अशुभ |
अभिजित |
12:09 – 12:55 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:09 – 12:55 अशुभ |
वर्ज्यम |
19:13 – 21:00 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग |
13:58 – 15:25 अशुभ |
चर |
15:25 – 16:52 शुभ |
लाभ |
06:45 – 08:12 शुभ |
अमृत |
08:12 – 09:39 शुभ |
काल |
09:39 – 11:05 अशुभ |
शुभ |
11:05 – 12:32 शुभ |
रोग |
12:32 – 13:58 अशुभ |
लाभ |
16:52 – 18:18 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग |
24:31 – 26:05 अशुभ |
काल |
26:05 – 27:38 अशुभ |
लाभ |
27:38 – 29:11 शुभ |
उद्वेग |
18:18 – 19:51 अशुभ |
शुभ |
19:51 – 21:25 शुभ |
अमृत |
21:25 – 22:58 शुभ |
चर |
22:58 – 24:31* शुभ |
उद्वेग |
29:11 – 30:44 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र |
12:32 – 13:30 |
बुध |
06:45 – 07:43 |
चन्द्र |
07:43 – 08:41 |
शनि |
08:41 – 09:39 |
बृहस्पति |
09:39 – 10:36 |
मंगल |
10:36 – 11:34 |
सूर्य |
11:34 – 12:32 |
बुध |
13:30 – 14:27 |
चन्द्र |
14:27 – 15:25 |
शनि |
15:25 – 16:23 |
मंगल |
17:20 – 18:18 |
बृहस्पति |
16:23 – 17:20 |
🚩होरा, रात
शुक्र |
26:36* – 27:38 |
बुध |
27:38* – 28:40 |
चन्द्र |
28:40* – 29:42 |
शनि |
29:42* – 30:44 |
बृहस्पति |
19:20 – 20:22 |
मंगल |
24:31* – 25:33 |
सूर्य |
18:18 – 19:20 |
शुक्र |
19:20 – 20:23 |
बुध |
20:23 – 21:25 |
चन्द्र |
21:25 – 22:27 |
शनि |
22:27 – 23:29 |
बृहस्पति |
23:29 – 24:31 |
मंगल |
24:31* – 25:33 |
सूर्य |
25:33* – 26:36 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
03:14 से 04: 24 तक |
कुम्भ |
04: 38 से 07:02 तक |
मीन |
07:02 से 08:10 तक |
मेष |
08:10 से 09:44 तक |
वृषभ |
09:44 से 11:46 तक |
मिथुन |
11:46 से 14:14 तक |
कर्क |
14:14 से 17:16 तक |
सिंह |
17:16 से 18:30 तक |
कन्या |
18:30 से 21:36 तक |
तुला |
21:36 से 00:12 तक |
वृश्चिक |
00:12 से 01:12 तक |
धनु |
01:12 से 03: 14 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–उत्तर
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
10 + 4 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
* लठ्ठमार होली नंदगांव
* सर्वार्थ सिद्धि योग 0951 तक
* फागु दशमी (उड़ीसा)