30 साल बाद सहयोग होली के दिन फ्री ग्रही योग सूर्य बुध और शनि एक ही राशि में बनेंगे
रंगों का त्योहार होली सोमवार को मनाया जाएगा। अगले दिन मंगलवार 7 मार्च को दुल्हँडी यानी रंग खेलने का पर्व होगा। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित समय में करना श्रेष्ठ माना गया है। लेकिन इस बार भद्रा अर्धरात्रि के बाद यानी निश्चित काल से आगे चली जाती है। तो ज्योतिषशास्त्र में भद्रा में ही होलिका दहन करने की अनुमति दी गई है। पिछले साल भी होलिका दहन भद्रा में ही हुआ था।
ज्योतिष साधना आपको बता रही है। कि पंचांग के माध्यम से होलिका दहन सोमवार को प्रदोष युक्त गोधूलि बेला में शाम 6:26 से 6:38 यानी 12 मिनट का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इस समय में होलिका दहन नहीं किया जाता है तो आगे प्रदोष बेला जो शाम 6:26 से रात 8:55 बजे तक भी किया जा सकता है।
सर्वश्रेष्ठ तो 12 मिनट के बाद 2 घंटे 17 मिनट का समय श्रेष्ठ रहेगा खास बात यह है कि होलिका दहन के समय दो ग्रह बृहस्पति व शनी तो स्वराशि रहेंगे। बृहस्पति ग्रह मीन राशि व शनि देव कुंभ राशि में विराजमान होंगे। वही सुख समृद्धि व वैभव के कारक ग्रह है शुक्र देव अपनी उच्च राशि मीन में बृहस्पति के साथ विराजमान होंगे। और कुंभ राशि में सूर्य बुध और शनि का 3 ग्रही योग भी बनेगा। जिससे बुधादित्य योग भी श्रेष्ठ फलदायक होगा। इस बार की होली सुख समृद्धि तथा वैभव वाली होगी।
30 साल बाद बन रहा है शुभ योग ज्योतिष साधना के ज्योतिषाचार्य डॉ विष्णु शास्त्री ने बताया कि होलिका दहन के दिन शनि की राशि कुंभ में सूर्य बुध और शनि का त्रि ग्रही योग बन रहा है। ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है इससे पूर्व वर्ष 1993 में होलिका दहन के अवसर पर उक्त तीनों ग्रह कुंभ राशि में थे। त्री ग्रही योग के अलावा मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति से भी शुभ योग बन रहा है। शुक्र अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य योग और गुरु अपनी स्वराशि में होने से हंस नामक राज योग बन रहा है। वही कुंभ राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है। ज्योतिष में बुधादित्य राज योग को बहुत शुभ माना गया है। होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
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ज्योतिषाचार्य (डॉ) विष्णु शास्त्री