घड़ी कितनी भी मूल्यवान हो किंतु समय को वश में नहीं कर सकती , है वैसे ही मनुष्य कितना भी धनवान हो नियति को वश में नहीं कर सकता आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 17/03/2023, शुक्रवार दशमी, कृष्ण पक्ष,चैत्र (समाप्ति काल)
तिथि | दशमी 14:06:24 |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | उत्तराषाढा 26:45:19 |
नक्षत्र | ज्येष्ठा 07:32:40 |
योग | वरियान 06:57:41 |
योग | परिघ 27:31:29 |
करण | विष्टि भद्र 14:06:24 |
करण | बव 24:42:02 |
वार | शुक्रवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | धनु 10:17:36 |
चन्द्र राशि | मकर |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 06:28:17 |
सूर्यास्त | 18:27:18 |
दिन काल | 11:59:01 |
रात्री काल | 11:59:52 |
चंद्रोदय | 28:06:59 |
चंद्रास्त | 13:38:52 |
लग्न—–मीन 1°59′ , 331°59′
सूर्य नक्षत्र | पूर्वा भाद्रपदा |
चन्द्र नक्षत्र | उत्तराषाढा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
भे | उत्तराषाढा 10:17:36 |
भो | उत्तराषाढा 15:48:04 |
जा | उत्तराषाढा 21:17:16 |
जी | उत्तराषाढा 26:45:19 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 01 : 29 पू o भा o , 4 दी |
चन्द्र | धनु 27°:23, उ o षाo, 1 भेे |
बुध | मीन 01°: 34′ पूoभाo’ 4 दी |
शुक्र | मेष 05 °05, अश्विनी ‘ 2 चे |
मंगल | मिथुन 01°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का |
गुरु | मीन 21°30 ‘ रेवती , 2 दो |
शनि | कुम्भ 6°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 12°08 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 12°08 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 10:58 – 12:28 अशुभ |
यम घंटा | 15:28 – 16:57 अशुभ |
गुली काल | 07:58 – 09: 28अशुभ |
अभिजित | 12:04 – 12:52 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:52 – 09:40 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:52 – 13:40 अशुभ |
वर्ज्यम | 12:08 – 13:36 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
चर | 06:28 – 07:58 शुभ |
लाभ | 07:58 – 09:28 शुभ |
अमृत | 09:28 – 10:58 शुभ |
काल | 10:58 – 12:28 अशुभ |
शुभ | 12:28 – 13:58 शुभ |
रोग | 13:58 – 15:28 अशुभ |
उद्वेग | 15:28 – 16:57 अशुभ |
चर | 16:57 – 18:27 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग | 18:27 – 19:57 अशुभ |
काल | 19:57 – 21:27 अशुभ |
लाभ | 21:27 – 22:57 शुभ |
उद्वेग | 22:57 – 24:27* अशुभ |
शुभ | 24:27 – 25:57 शुभ |
अमृत | 25:57 – 27:27 शुभ |
चर | 27:27 – 28:57 शुभ |
रोग | 28:57 – 30:27 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र | 06:28 – 07:28 |
बुध | 07:28 – 08:28 |
चन्द्र | 08:28 – 09:28 |
शनि | 09:28 – 10:28 |
बृहस्पति | 10:28 – 11:28 |
मंगल | 11:28 – 12:28 |
सूर्य | 12:28 – 13:28 |
शुक्र | 13:28 – 14:28 |
बुध | 14:28 – 15:28 |
चन्द्र | 15:28 – 16:27 |
शनि | 16:27 – 17:27 |
बृहस्पति | 17:27 – 18:27 |
🚩होरा, रात
मंगल | 18:27 – 19:27 |
सूर्य | 19:27 – 20:27 |
शुक्र | 20:27 – 21:27 |
बुध | 21:27 – 22:27 |
चन्द्र | 22:27 – 23:27 |
शनि | 23:27 – 24:27 |
बृहस्पति | 24:27* – 25:27 |
मंगल | 25:27* – 26:27 |
सूर्य | 26:27* – 27:27 |
शुक्र | 27:27* – 28:27 |
बुध | 28:27* – 29:27 |
चन्द्र | 29:27* – 30:27 |
मीन | 05:29 से 06:54 तक |
मेष | 06:54 से 08:38 तक |
वृषभ | 08:58 से 10:36 तक |
मिथुन | 10:036 से 12:46 तक |
कर्क | 12:46 से 15:06 तक |
सिंह | 15:06 से 17:14 तक |
कन्या | 17:14 से 21:44 तक |
तुला | 21:44 से 23:40 तक |
वृश्चिक | 23:40 से 00:10 तक |
धनु | 00:10 से 02: 07 तक |
मकर | 02:07 से 03: 34 तक |
कुम्भ | 03: 34 से 05:25 तक |
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 6 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:06 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
सर्वार्थ सिद्धि योग 26:45 से
दशा माता व्रत