आप में कितनी भी प्रतिभा क्यों न हो,प्रयास और अभ्यास के बिना सब व्यर्थ है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 21/03/2023, मंगलवार अमावस्या, कृष्ण पक्ष,चैत्र(समाप्ति काल)
तिथि | अमावस्या 22:52:09 तक |
तिथि | चतुर्दशी 25:46:45 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | पूo भाo 17:24:33 |
योग | शुभ 12:39:45 |
करण | चतुष्पद 12:17:10 |
करण | नाग 22:52:09 |
वार | मंगलवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | कुम्भ 11:56:28 |
चन्द्र राशि | मीन |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 06:23:48 |
सूर्यास्त | 18:29:26 |
दिन काल | 12:05:37 |
रात्री काल | 11:53:15 |
चंद्रोदय | 30:43:00 |
चंद्रास्त | 18:14:07 |
लग्न—–मीन 5°58′ , 335°58′
सूर्य नक्षत्र | उत्तरा भाद्रपदा |
चन्द्र नक्षत्र | पूर्वा भाद्रपदा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
सो | पूर्वा भाद्रपदा 06:29:32 |
दा | पूर्वा भाद्रपदा 11:56:28 |
दी | पूर्वा भाद्रपदा 17:24:33 |
दू | उत्तरा भाद्रपदा 22:53:55 |
थ | उत्तरा भाद्रपदा 28:24:43 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 05 : 59 उ o भा o , 1 दू |
चन्द्र | कुम्भ 26°:23, पू o भा o, 2 सो |
बुध | मीन 09°: 34′ उ oभाo’ 2 थ |
शुक्र | मेष 10 °05, अश्विनी ‘ 4 ला |
मंगल | मिथुन 03°30 ‘ मृगशिरा’ 4 की |
गुरु | मीन 22°30 ‘ रेवती , 2 दो |
शनि | कुम्भ 7°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 11°50 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 11°50 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 13.57 । 15:28 अशुभ |
यम घंटा | 09:25 – 10:56 अशुभ |
गुली काल | 12:27 – 13:57 अशुभ |
अभिजित | 12:02 – 12:51 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:49 – 09:37 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:15 – 24:04* अशुभ |
वर्ज्यम | 26:12 – 27:41 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
रोग | 06:24 – 07:55 अशुभ |
उद्वेग | 07:55 – 09:25 अशुभ |
चर | 09:25 – 10:56 शुभ |
लाभ | 10:56 – 12:27 शुभ |
अमृत | 12:27 – 13:57 शुभ |
काल | 13:57 – 15:28 अशुभ |
शुभ | 15:28 – 16:59 शुभ |
रोग | 16:59 – 18:29 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल | 18:29 – 19:59 अशुभ |
लाभ | 19:59 – 21:28 शुभ |
उद्वेग | 21:28 – 22:57 अशुभ |
शुभ | 22:57 – 24:26* शुभ |
अमृत | 24:26 – 25:55 शुभ |
चर | 25:55 – 27:24 शुभ |
रोग | 27:24 – 28:54 अशुभ |
काल | 28:54 – 30:23 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल | 06:24 – 07:24 |
सूर्य | 07:24 – 08:25 |
शुक्र | 08:25 – 09:25 |
बुध | 09:25 – 10:26 |
चन्द्र | 10:26 – 11:26 |
शनि | 11:26 – 12:27 |
बृहस्पति | 12:27 – 13:27 |
मंगल | 13:27 – 14:28 |
सूर्य | 14:28 – 15:28 |
शुक्र | 15:28 – 16:29 |
बुध | 16:29 – 17:29 |
चन्द्र | 17:29 – 18:29 |
🚩होरा, रात
शनि | 18:29 – 19:29 |
बृहस्पति | 19:29 – 20:28 |
मंगल | 20:28 – 21:28 |
सूर्य | 21:28 – 22:27 |
शुक्र | 22:27 – 23:27 |
बुध | 23:27 – 24:26 |
चन्द्र | 24:26* – 25:26 |
शनि | 25:26* – 26:25 |
बृहस्पति | 26:25 – 27:24 |
मंगल | 27:24* – 28:24 |
सूर्य | 28:24* – 29:23 |
शुक्र | 29:23* – 30:23 |
मीन | 05:12 से 06:36 तक |
मेष | 06:36 से 08:20 तक |
वृषभ | 08:20 से 10:18 तक |
मिथुन | 10:18 से 12:28 तक |
कर्क | 12:28 से 14:48 तक |
सिंह | 14:48 से 16:56 तक |
कन्या | 16:56 से 21:26 तक |
तुला | 21:26 से 23:22 तक |
वृश्चिक | 23:22 से 00:02 तक |
धनु | 00:02 से 01:58 तक |
मकर | 01:58 से 03:26 तक |
कुम्भ | 03:16 से 05:08 तक |
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 14 + 2 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
*भौमवती अमावस्या
*देवपितृकार्य अमावस्या
*सर्वार्थ सिद्धि योग 17:24
*चांद्रवर्ष समाप्त