कल्पना सुंदर होती है पर उसे जिया नहीं जा सकता और वास्तविकता कड़वी होती है पर उसे छोड़ा नहीं जा सकता आपका आज का दिन मंगलमय हो

दिनाँक 17/04/2023, सोमवार* द्वादशी, कृष्ण पक्ष,वैशाख “(समाप्ति काल) सोम प्रदोष व्रत

तिथि द्वादशी 15:45:53 तक
पक्ष कृष्ण
नक्षत्र पूoभाo 26:26:56
योग ब्रह्म 21:05:28
करण तैतुल 15:45:53
करण गर 26:34:50
वार सोमवार
माह वैशाख
चन्द्र राशि कुम्भ 20:50:48
चन्द्र राशि मीन
सूर्य राशि मेष
रितु वसंत
आयन उत्तरायण
संवत्सर पिंगल
विक्रम संवत 2080
शक संवत 1945
सूर्योदय 05:54:27
सूर्यास्त 18:43:35
दिन काल 12:49:08
रात्री काल 11:09:51
चंद्रोदय 28:43:22
चंद्रास्त 15:57:23

लग्न—– मेष 2°34′ , 2°34′

सूर्य नक्षत्र अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र पूoभाo
नक्षत्र पाया ताम्र

🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩

से पूर्वा भाद्रपदा 09:40:23
सो पूर्वा भाद्रपदा 15:15:19
दा पूर्वा भाद्रपदा 20:50:48
दी पूर्वा भाद्रपदा 26:26:56

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

सूर्य मेष 02 : 59 अश्विनी , 1 चू
चन्द्र कुंभ 15:56, शतभिषा , 3 सी
बुध मेष 20°: 34′ भरणी’ 3 ले
शुक्र वृषभ 12 °05, रोहिणी ‘ 1 ओ
मंगल मिथुन 17°30 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ
गुरु मीन 28°30 ‘ रेवती , 4 ची
शनि कुम्भ 10°53 ‘ शतभिषा ‘ 2 सा
राहू (व) मेष 10°32 अश्विनी , 4 ला
केतु (व) तुला 10°32 स्वाति , 2 रे

🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩

राहू काल 07:31 – 09:07 अशुभ
यम घंटा 10:43 – 12:19 अशुभ
गुली काल 13:55 – 15: 31अशुभ
अभिजित 11:53 – 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 12:45 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:18 – 16:10 अशुभ
वर्ज्यम 10:03 – 11:32 अशुभ

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन

अमृत 05:54 – 07:31 शुभ
काल 07:31 – 09:07 अशुभ
शुभ 09:07 – 10:43 शुभ
रोग 10:43 – 12:19 अशुभ
उद्वेग 12:19 – 13:55 अशुभ
चर 13:55 – 15:31 शुभ
लाभ 15:31 – 17:07 शुभ
अमृत 17:07 – 18:44 शुभ

🚩चोघडिया, रात

चर 18:44 – 20:07 शुभ
रोग 20:07 – 21:31 अशुभ
काल 21:31 – 22:55 अशुभ
लाभ 22:55 – 24:19* शुभ
उद्वेग 24:19 – 25:42 अशुभ
शुभ 25:42 – 27:06 शुभ
अमृत 27:06 – 28:30 शुभ
चर 28:30 – 29:53 शुभ

🚩होरा, दिन

चन्द्र 05:54 – 06:59
शनि 06:59 – 08:03
बृहस्पति 08:03 – 09:07
मंगल 09:07 – 10:11
सूर्य 10:11 – 11:15
शुक्र 11:15 – 12:19
बुध 12:19 – 13:23
चन्द्र 13:23 – 14:27
शनि 14:27 – 15:31
बृहस्पति 15:31 – 16:35
मंगल 16:35 – 17:40
सूर्य 17:40 – 18:44

🚩होरा, रात

शुक्र 18:44 – 19:39
बुध 19:39 – 20:35
चन्द्र 20:35 – 21:31
शनि 21:31 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:23
मंगल 23:23 – 24:19
सूर्य 24:19* – 25:14
शुक्र 25:14* – 26:10
बुध 26:10* – 27:06
चन्द्र 27:06* – 28:02
शनि 28:02* – 28:58
बृहस्पति 28:58* – 29:53

🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩

मेष 05:00 से 07:44 तक
वृषभ 07:44 से 08:36 तक
मिथुन 08:36 से 10:56 तक
कर्क 10:56 से 13:04 तक
सिंह 13:04 से 15:20 तक
कन्या 15:20 से 17:46 तक
तुला 17:46 से 19:50 तक
वृश्चिक 19:50 से 21:50 तक
धनु 21:50 से 00:06 तक
मकर 00:06 से 01:50 तक
कुम्भ 01:50 से 03:46 तक
मीन 03:46 से 05:00 तक

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)

दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व

परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:

शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 12 + 2 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

💮 शिव वास एवं फल -:

27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

विशेष जानकारी

सोम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
श्री सैन जयंती