हम किसी की जरूरत हो सकते है ,आदत हो सकते है, पर यह सत्य है जरूरी किसी के लिए नहीं होते आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 18/04/2023, मंगलवार त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष, वैशाख(समाप्ति काल)
तिथि | त्रयोदशी 13:26:49 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | उoभाo 25:00:04 |
योग | ऐन्द्र 18:07:51 |
करण | वणिज 13:26:49 |
करण | विष्टि भद्र 24:22:38 |
वार | मंगलवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | मीन |
सूर्य राशि | मेष |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:53:27 |
सूर्यास्त | 18:44:08 |
दिन काल | 12:50:41 |
रात्री काल | 11:08:19 |
चंद्रोदय | 29:16:29 |
चंद्रास्त | 17:00:41 |
लग्न—– मेष 3°33′ , 3°33′
सूर्य नक्षत्र | अश्विनी |
चन्द्र नक्षत्र | उत्तरभाद्रपदा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
दू | उत्तरा भाद्रपदा 08:03:49 |
थ | उत्तरा भाद्रपदा 13:41:35 |
झ | उत्तरा भाद्रपदा 19:20:17 |
ञ | उत्तरा भाद्रपदा 19:20:17 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मेष 04 : 59 अश्विनी , 2 चे |
चन्द्र | मीन 12:56, उoभाo, 3 झ |
बुध | मेष 21°: 34′ भरणी’ 3 ले |
शुक्र | वृषभ 14 °05, रोहिणी ‘ 2 वा |
मंगल | मिथुन 18°30 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ |
गुरु | मीन 29°30 ‘ रेवती , 4 ची |
शनि | कुम्भ 10°13 ‘ शतभिषा ‘ 2 सा |
राहू | (व) मेष 10°22 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 10°22 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 15:31 – 17:08 अशुभ |
यम घंटा | 09:06 – 10:42 अशुभ |
गुली काल | 12:19 – 13:55 अशुभ |
अभिजित | 11:53 – 12:44 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:28 – 09:19 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:12 – 24:03* अशुभ |
वर्ज्यम | 11:26 – 12:56 अशुभ |
💮 गंड मूल 25:00* – अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग | 05:53 – 07:30 अशुभ |
उद्वेग | 07:30 – 09:06 अशुभ |
चर | 09:06 – 10:42 शुभ |
लाभ | 10:42 – 12:19 शुभ |
अमृत | 12:19 – 13:55 शुभ |
काल | 13:55 – 15:31 अशुभ |
शुभ | 15:31 – 17:08 शुभ |
रोग | 17:08 – 18:44 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल | 18:44 – 20:08 अशुभ |
लाभ | 20:08 – 21:31 शुभ |
उद्वेग | 21:31 – 22:55 अशुभ |
शुभ | 22:55 – 24:18* शुभ |
अमृत | 24:18 – 25:42 शुभ |
चर | 25:42 – 27:05 शुभ |
रोग | 27:05 – 28:29 अशुभ |
काल | 28:29 – 29:52 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल | 05:53 – 06:58 |
सूर्य | 06:58 – 08:02 |
शुक्र | 08:02 – 09:06 |
बुध | 09:06 – 10:10 |
चन्द्र | 10:10 – 11:15 |
शनि | 11:15 – 12:19 |
बृहस्पति | 12:19 – 13:23 |
मंगल | 13:23 – 14:27 |
सूर्य | 14:27 – 15:31 |
शुक्र | 15:31 – 16:36 |
बुध | 16:36 – 17:40 |
चन्द्र | 17:40 – 18:44 |
🚩होरा, रात
शनि | 18:44 – 19:40 |
बृहस्पति | 19:40 – 20:36 |
मंगल | 20:36 – 21:31 |
सूर्य | 21:31 – 22:27 |
शुक्र | 22:27 – 23:23 |
बुध | 23:23 – 24:18 |
चन्द्र | 24:18* – 25:14 |
शनि | 25:14* – 26:10 |
बृहस्पति | 26:10* – 27:05 |
मंगल | 27:05* – 28:01 |
सूर्य | 28:01* – 28:57 |
शुक्र | 28:57* – 29:52 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मेष | 04:50 से 07:34 तक |
वृषभ | 07:34 से 08:26 तक |
मिथुन | 08:26 से 10:46 तक |
कर्क | 10:46 से 12:44 तक |
सिंह | 12:54 से 15:10 तक |
कन्या | 15:10 से 17:36 तक |
तुला | 17:36 से 19:40 तक |
वृश्चिक | 19:50 से 21:50 तक |
धनु | 21:50 से 11:56 तक |
मकर | 11:56 से 01:40 तक |
कुम्भ | 01:40 से 03:36 तक |
मीन | 03:36 से 05:45 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 3 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
13:26 से रात्रि 24:22 तक
विशेष जानकारी
मास शिवरात्रि व्रत
सर्वार्थ सिद्धि योग 25:00 तक