ध्यान रहे चरण उनके छूने चाहिए जिनके आचरण छूने लायक हो आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 29/06/2023, गुरुवार एकादशी, शुक्ल पक्ष,आषाढ़ (समाप्ति काल)
तिथि |
एकादशी 26:41:38 तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
स्वाति 16:28:54 |
योग |
सिद्ध 27:41:58 |
करण |
वणिज 15:06:08 |
करण |
विष्टि भद्र 26:41:38 |
वार |
गुरूवार |
माह |
आषाढ |
चन्द्र राशि |
तुला |
सूर्य राशि |
मिथुन |
रितु |
वर्षा |
आयन |
दक्षिणायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
05:27:51 |
सूर्यास्त |
19:17:22 |
दिन काल |
13:49:31 |
रात्री काल |
10:10:49 |
चंद्रोदय |
15:09:26 |
चंद्रास्त |
26:13:39 |
लग्न—– मिथुन 11°54′ , 71°54′
सूर्य नक्षत्र |
आर्द्रा |
चन्द्र नक्षत्र |
स्वाति |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
रो |
स्वाति 10:26:12 |
ता |
स्वाति 16:28:54 |
ती |
विशाखा 22:28:29 |
तू |
विशाखा 28:25:01 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मिथुन 12: 30 आर्द्रा , 2 घ |
चन्द्र |
तुला 13:16 , स्वाति , 3 रो |
बुध |
मिथुन 10°: 34′ आर्द्रा , 2 घ |
शुक्र |
कर्क 25°05, अश्लेषा ‘ 3 डे |
मंगल |
कर्क 28°30 ‘ अश्लेषा ‘ 4 डो |
गुरु |
मेष 14°30 ‘ भरणी , 1 ली |
शनि |
कुम्भ 13°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू |
(व) मेष 06°37 अश्विनी , 2 चे |
केतु |
(व) तुला 06°37 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
14:06 – 15:50 अशुभ |
यम घंटा |
05:28 – 07:12 अशुभ |
गुली काल |
08:55 – 10:39अशुभ |
अभिजित |
11:55 – 12:50 शुभ |
दूर मुहूर्त |
10:04 – 10:59 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:36 – 16:31 अशुभ |
वर्ज्यम |
22:05 – 23:40 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
शुभ |
05:28 – 07:12 शुभ |
रोग |
07:12 – 08:55 अशुभ |
उद्वेग |
08:55 – 10:39 अशुभ |
चर |
10:39 – 12:23 शुभ |
लाभ |
12:23 – 14:06 शुभ |
अमृत |
14:06 – 15:50 शुभ |
काल |
15:50 – 17:34 अशुभ |
शुभ |
17:34 – 19:17 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत |
19:17 – 20:34 शुभ |
चर |
20:34 – 21:50 शुभ |
रोग |
21:50 – 23:06 अशुभ |
काल |
23:06 – 24:23* अशुभ |
लाभ |
24:23 – 25:39 शुभ |
उद्वेग |
25:39 – 26:55 अशुभ |
शुभ |
26:55 – 28:12 शुभ |
अमृत |
28:12 – 29:28 शुभ |
🚩होरा, दिन
बृहस्पति |
05:28 – 06:37 |
मंगल |
06:37 – 07:46 |
सूर्य |
07:46 – 08:55 |
शुक्र |
08:55 – 10:04 |
बुध |
10:04 – 11:13 |
चन्द्र |
11:13 – 12:23 |
शनि |
12:23 – 13:32 |
बृहस्पति |
13:32 – 14:41 |
मंगल |
14:41 – 15:50 |
सूर्य |
15:50 – 16:59 |
शुक्र |
16:59 – 18:08 |
बुध |
18:08 – 19:17 |
🚩होरा, रात
चन्द्र |
19:17 – 20:08 |
शनि |
20:08 – 20:59 |
बृहस्पति |
20:59 – 21:50 |
मंगल |
21:50 – 22:41 |
सूर्य |
22:41 – 23:32 |
शुक्र |
23:32 – 24:23 |
बुध |
24:23* – 25:14 |
चन्द्र |
25:14* – 26:05 |
शनि |
26:05* – 26:55 |
बृहस्पति |
26:55* – 27:46 |
मंगल |
27:46* – 28:37 |
सूर्य |
28:37* – 29:28 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन |
03:46 से 05:58 तक |
कर्क |
05:58 से 08:16 तक |
सिंह |
08:16 से 11:40 तक |
कन्या |
11:40 से 13:56 तक |
तुला |
13:56 से 14:56 तक |
वृश्चिक |
14:56 से 17:20 तक |
धनु |
17:20 से 19:24 तक |
मकर |
19:24 से 21:10 तक |
कुम्भ |
21:10 से 23:00 तक |
मीन |
23:00 से 00:14 तक |
मेष |
00:14 से 01:52 तक |
वृषभ |
01:52 से 03:40 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
11 + 5 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां= शोक, दुःख कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 15:00 रात्रि 26:42 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
देवशयनी एकादशी व्रत (स्मार्त)
चातुर्मास नियम प्रारम्भ