हर पल को जी भर कर जिओ,हर दिन आपका महोत्सव है प्रसन्न रहना ,संतुष्ठ रहना ,शान्त रहना उत्साहित रहना तथा प्रेममय रहना इस जीवन उत्सव के पँचरंग है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 05/07/2023, बुधवारद्वितीया, कृष्ण पक्ष,श्रावण समाप्ति काल
तिथि | द्वितीया 10:01:35 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | उत्तराषाढा 05:38:28 |
नक्षत्र | श्रवण 26:55:01 |
योग | वैधृति 07:46:06 |
योग | विश्कुम्भ 27:47:02 |
करण | गर 10:01:35 |
करण | -वणिज 20:14:32 |
वार | बुधवार |
माह | श्रावण |
चन्द्र राशि | मकर |
सूर्य राशि | मिथुन |
रितु | वर्षा |
आयन | दक्षिणायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:30:04 |
सूर्यास्त | 19:17:20 |
दिन काल | 13:47:16 |
रात्री काल | 10:13:08 |
चंद्रोदय | 21:24:51 |
चंद्रास्त | 07:09:51 |
लग्न—– मिथुन 18°34′ , 78°34′
सूर्य नक्षत्र | आर्द्रा |
चन्द्र नक्षत्र | उत्तराषाढा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
जी | उत्तराषाढा 05:38:28 |
खी | श्रवण 10:56:59 |
खू | श्रवण 16:15:48 |
खे | श्रवण 21:35:06 |
खो | श्रवण 26:55:01 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मिथुन 18:30 आर्द्रा , 4 छ |
चन्द्र | मकर 09:16 , उत्तराषाढा , 4 जी |
बुध | मिथुन 23°: 34′ पुनर्वसु , 1 के |
शुक्र | कर्क 28°05, अश्लेषा ‘ 4 डो |
मंगल | सिंह 01°30 ‘ मघा ‘ 1 मा |
गुरु | मेष 15°30 ‘ भरणी , 1 ली |
शनि | कुम्भ 12°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू | (व) मेष 06°17 अश्विनी , 2 चे |
केतु | (व) तुला 06°17 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 12:24 – 14:07 अशुभ |
यम घंटा | 07:13 – 08:57 अशुभ |
गुली काल | 10:40 – 12: 24 अशुभ |
अभिजित | 11:56 – 12:51 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 11:56 – 12:51 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 15:36 – 16:31 अशुभ |
वर्ज्यम | 09:11 – 10:36 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध | 05:30 – 06:39 |
चन्द्र | 06:39 – 07:48 |
शनि | 07:48 – 08:57 |
बृहस्पति | 08:57 – 10:06 |
मंगल | 10:06 – 11:15 |
सूर्य | 11:15 – 12:24 |
शुक्र | 12:24 – 13:33 |
बुध | 13:33 – 14:42 |
चन्द्र | 14:42 – 15:51 |
शनि | 15:51 – 16:59 |
बृहस्पति | 16:59 – 18:08 |
मंगल | 18:08 – 19:17 |
🚩होरा, रात
सूर्य | 19:17 – 20:08 |
शुक्र | 20:08 – 20:59 |
बुध | 20:59 – 21:51 |
चन्द्र | 21:51 – 22:42 |
शनि | 22:42 – 23:33 |
बृहस्पति | 23:33 – 24:24 |
मंगल | 24:24* – 25:15 |
सूर्य | 25:15* – 26:06 |
शुक्र | 26:06* – 26:57 |
बुध | 26:57* – 27:48 |
चन्द्र | 27:48* – 28:39 |
शनि | 28:39* – 29:30 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन | 03:18 से 05:34 तक |
कर्क | 05:34 से 07:52 तक |
सिंह | 07:52 से 11:16 तक |
कन्या | 11:16 से 13:32 तक |
तुला | 13:32 से 14:32 तक |
वृश्चिक | 14:32 से 16:56 तक |
धनु | 16:56 से 19:00 तक |
मकर | 19:00 से 20:46 तक |
कुम्भ | 20:46 से 22:36 तक |
मीन | 22:36 से 23:50 तक |
मेष | 23:50 से 01:28 तक |
वृषभ | 01:28 से 03:16 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 2 + 4 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩💮 भद्रा वास एवं फल 💮🚩
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 20:16 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
अशुन्य शयन व्रत
जया पार्वती व्रत जागरण (गुजरात)