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आपका आज का दिन मंगलमय हो दिनाँक 10/07/2023, सोमवार अष्टमी, कृष्ण पक्ष, श्रावण (समाप्ति काल)
तिथि |
अष्टमी 18:43:29 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
रेवती 18:57:56 |
योग |
रेवती 18:57:56 |
करण |
बालव 07:16:40 |
करण |
कौलव 18:43:29 |
वार |
सोमवार |
माह |
श्रावण |
चन्द्र राशि |
मीन 18:57:56 |
चन्द्र राशि |
मेष |
सूर्य राशि |
मिथुन |
रितु |
वर्षा |
आयन |
दक्षिणायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
05:32:14 |
सूर्यास्त |
19:16:43 |
दिन काल |
13:44:29 |
रात्री काल |
10:15:58 |
चंद्रोदय |
24:25:2 |
चंद्रास्त |
12:40:11 |
लग्न—– मिथुन 23°20′ , 83°20′
सूर्य नक्षत्र |
पुनर्वसु |
चन्द्र नक्षत्र |
रेवती |
नक्षत्र पाया |
स्वर्ण |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
दो |
रेवती 07:08:31 |
च |
रेवती 13:02:06 |
ची |
रेवती 18:57:56 |
चु |
अश्विनी 24:56:01 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मिथुन 23:30 पुनर्वसु , 2 को |
चन्द्र |
मीन 22:16 , रेवती, 2 दो |
बुध |
कर्क 03°: 34′ पुष्य , 1 हु |
शुक्र |
सिंह 01°05, मघा ‘ 1 मा |
मंगल |
सिंह 04°30 ‘ मघा ‘ 2 मी |
गुरु |
मेष 16°30 ‘ भरणी , 1 ली |
शनि |
कुम्भ 12°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू |
(व) मेष 06°00 अश्विनी , 2 चे |
केतु |
(व) तुला 06°00 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
07:15 – 08:58 अशुभ |
यम घंटा |
10:41 – 12:24 अशुभ |
गुली काल |
14:08 – 15: 51अशुभ |
अभिजित |
11:57 – 12:52 शुभ |
दूर मुहूर्त |
12:52 – 13:47 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:37 – 16:32 अशुभ |
वर्ज्यम |
07:09 – 08:43 अशुभ |
💮गंड मूल |
अहोरात्र अशुभ |
🚩पंचक |
05:32 – 18:58 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
अमृत |
05:32 – 07:15 शुभ |
काल |
07:15 – 08:58 अशुभ |
शुभ |
08:58 – 10:41 शुभ |
रोग |
10:41 – 12:24 अशुभ |
उद्वेग |
12:24 – 14:08 अशुभ |
चर |
14:08 – 15:51 शुभ |
लाभ |
15:51 – 17:34 शुभ |
अमृत |
17:34 – 19:17 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
चर |
19:17 – 20:34 शुभ |
रोग |
20:34 – 21:51 अशुभ |
काल |
21:51 – 23:08 अशुभ |
लाभ |
23:08 – 24:25* शुभ |
उद्वेग |
24:25 – 25:42 अशुभ |
शुभ |
25:42 – 26:59 शुभ |
अमृत |
26:59 – 28:16 शुभ |
चर |
28:16 – 29:33 शुभ |
🚩होरा, दिन
चन्द्र |
05:32 – 06:41 |
शनि |
06:41 – 07:50 |
बृहस्पति |
07:50 – 08:58 |
मंगल |
08:58 – 10:07 |
सूर्य |
10:07 – 11:16 |
शुक्र |
11:16 – 12:24 |
बुध |
12:24 – 13:33 |
चन्द्र |
13:33 – 14:42 |
शनि |
14:42 – 15:51 |
बृहस्पति |
15:51 – 16:59 |
मंगल |
16:59 – 18:08 |
सूर्य |
18:08 – 19:17 |
🚩होरा, रात
शुक्र |
19:17 – 20:08 |
बुध |
20:08 – 20:59 |
चन्द्र |
20:59 – 21:51 |
शनि |
21:51 – 22:42 |
बृहस्पति |
22:42 – 23:33 |
मंगल |
23:33 – 24:25 |
सूर्य |
24:25* – 25:16 |
शुक्र |
25:16* – 26:07 |
बुध |
26:07* – 26:59 |
चन्द्र |
26:59* – 27:50 |
शनि |
27:50* – 28:41 |
बृहस्पति |
28:41* – 29:33 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन |
03:04 से 05:18 तक |
कर्क |
05:18 से 07:36 तक |
सिंह |
07:36 से 11:00 तक |
कन्या |
11:00 से 13:16 तक |
तुला |
13:16 से 14:16 तक |
वृश्चिक |
14:16 से 16:36 तक |
धनु |
16:36 से 18:40 तक |
मकर |
18:40 से 20:30 तक |
कुम्भ |
20:30 से 22:20 तक |
मीन |
22:20 से 23:34 तक |
मेष |
23:34 से 01:16 तक |
वृषभ |
01:16 से 03:00 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 8 + 2 + 1 = 26 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
23 + 23 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
श्रावण प्रथम सोमवार
वन सोमवार
कालाष्टमी