जीवन में कोई एक लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो आपको प्रातः काल जल्दी उठने पर विवश कर दे
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 15/03/2023 बुधवार* अष्टमी, कृष्ण पक्ष,चैत्र समाप्ति काल
तिथि | अष्टमी 18:45:08 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | मूल 30:23:07 |
नक्षत्र | ज्येष्ठा 07:32:40 |
योग | सिद्वि 12:51:01 |
करण | बालव 07:37:17 |
करण | कौलव 18:45:08 |
करण | तैतिल 29:45:32 |
वार | बुधवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | वृश्चिक 07:32:40 |
चन्द्र राशि | धनु |
सूर्य राशि | मीन |
सूर्य राशि | कुम्भ 05:33:09 |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 06:32:42 |
सूर्यास्त | 18:25:07 |
दिन काल | 11:52:25 |
रात्री काल | 12:03:10 |
चंद्रोदय | 26:13:17 |
चंद्रास्त | 11:29:57 |
लग्न—–कुम्भ 29°59′ , 329°59′
सूर्य नक्षत्र | पूर्वा भाद्रपदा |
चन्द्र नक्षत्र | ज्येष्ठा |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
यू | ज्येष्ठा 07:32:40 |
ये | मूल 13:18:04 |
यो | मूल 19:01:34 |
भा | मूल 24:43:15 |
भी | मूल 30:23:07 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 00 : 29 पू o भा o , 4 दी |
चन्द्र | वृश्चिक 29°:23, ज्येष्ठा, 4 यू |
बुध | कुम्भ 29°: 34′ पूoभाo’ 3 दा |
शुक्र | मीन 02 °05, अश्विनी ‘ 2 चे |
मंगल | मिथुन 00°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का |
गुरु | मीन 20°30 ‘ रेवती , 2 दो |
शनि | कुम्भ 6°53 ‘ शतभिषा ‘ 4 गे |
राहू | (व) मेष 12°15 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 12°15 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 12:28 – 13:58 अशुभ |
यम घंटा | 07:59 – 09:29 अशुभ |
गुली काल | 10:59 – 12:28 अशुभ |
अभिजित | 12:05 – 12:52 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:05 – 12:52 अशुभ |
वर्ज्यम | 28:53 – 30:23 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
लाभ | 06:31 – 07:59 शुभ |
अमृत | 07:59 – 09:29 शुभ |
काल | 09:29 – 10:59 अशुभ |
शुभ | 10:59 – 12:28 शुभ |
रोग | 12:28 – 13:58 अशुभ |
उद्वेग | 13:58 – 15:27 अशुभ |
चर | 15:27 – 16:57 शुभ |
लाभ | 16:57 – 18:26 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग | 18:26 – 19:57 अशुभ |
शुभ | 19:57 – 21:27 शुभ |
अमृत | 21:27 – 22:57 शुभ |
चर | 22:57 – 24:28* शुभ |
रोग | 24:28 – 25:58 अशुभ |
काल | 25:58 – 27:29 अशुभ |
लाभ | 27:29 – 28:59 शुभ |
उद्वेग | 28:59 – 30:29 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध | 06:31 – 07:30 |
चन्द्र | 07:30 – 08:30 |
शनि | 08:30 – 09:29 |
बृहस्पति | 09:29 – 10:29 |
मंगल | 10:29 – 11:29 | सूर्य | 11:29 – 12:28 |
शुक्र | 12:28 – 13:28 |
बुध | 13:28 – 14:28 |
चन्द्र | 14:28 – 15:27 |
शनि | 15:27 – 16:27 |
बृहस्पति | 16:27 – 17:27 |
मंगल | 17:27 – 18:26 |
🚩होरा, रात
सूर्य | 18:26 – 19:26 |
शुक्र | 19:26 – 20:27 |
बुध | 20:27 – 21:27 |
चन्द्र | 21:27 – 22:27 |
शनि | 22:27 – 23:28 |
बृहस्पति | 23:28 – 24:28 |
मंगल | 24:28* – 25:28 |
सूर्य | 25:28* – 26:28 |
शुक्र | 26:28* – 27:29 |
बुध | 27:29* – 28:29 |
चन्द्र | 28:29* – 29:29 |
शनि | 29:29* – 30:29 |
कुम्भ | 04: 00 से 06:22 तक |
मीन | 06:22 से 07:34 तक |
मेष | 07:34 से 09:08 तक |
वृषभ | 09:08 से 11:06 तक |
मिथुन | 11:06 से 13:56 तक |
कर्क | 13:56 से 16:36 तक |
सिंह | 16:36 से 17:54 तक |
कन्या | 17:54 से 21:04 तक |
तुला | 21:04 से 23:40 तक |
वृश्चिक | 23:40 से 00:40 तक |
धनु | 00:40 से 02: 42 तक |
मकर | 02:42 से 03: 54 तक |
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 8 + 4 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
शीतलाष्टमी पूजन
श्री ऋषभदेव जयंती
रथोत्सव प्रारम्भ रंगजी वृन्दावन
विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस