दिनाँक:-06/03/2023, सोमवार चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,फाल्गुन(समाप्ति काल)
| तिथि | चतुर्दशी 16:16:45 तक |
| पक्ष | शुक्ल |
| नक्षत्र | मघा 24:03:47 |
| योग | सुकर्मा 20:52:37 |
| करण | वणिज 16:16:44 |
| करण | विष्टि भद्र 29:15:24 |
| वार | सोमवार |
| माह | फाल्गुन |
| चन्द्र राशि | सिंह |
| सूर्य राशि | कुम्भ |
| रितु | वसंत |
| आयन | उत्तरायण |
| संवत्सर | नल |
| विक्रम संवत | 2079 |
| शक संवत | 1944 |
| सूर्योदय | 06:40:13 |
| सूर्यास्त | 18:21:10 |
| दिन काल | 11:40:57 |
| रात्री काल | 12:17:59 |
| चंद्रोदय | 17:23:56 |
| चंद्रास्त | 30:40:54 |
लग्न—–कुम्भ 21°1′ , 321°1′
| सूर्य नक्षत्र | पूoभाo |
| चन्द्र नक्षत्र | मघा |
| नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
| मी | मघा 10:48:30 |
| मू | मघा 17:26:40 |
| मे | मघा 24:03:47 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
| सूर्य | कुम्भ 21 : 29 पू o भा o , 1 से |
| चन्द्र | सिंह 4°:23, मघा, 2 मी |
| बुध | कुम्भ 11 °: 34′ शतभिषा’ 2 सा |
| शुक्र | मीन 22 °05, रेवती ‘ 2 दो |
| मंगल | वृषभ 27°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो |
| गुरु | मीन 18°30 ‘ रेवती , 1 दे |
| शनि | कुम्भ 05°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
| राहू | (व) मेष 12°40 अश्विनी , 4 ला |
| केतु | (व) तुला 12°40 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
| राहू काल | 08:08 – 09:35 अशुभ |
| यम घंटा | 11:03 – 12:31 अशुभ |
| गुली काल | 13:58 -15: 26 अशुभ |
| अभिजित | 12:07 – 12:54 शुभ |
| दूर मुहूर्त | 12:54 – 13:41 अशुभ |
| दूर मुहूर्त | 15:14 – 16:01 अशुभ |
| वर्ज्यम | 10:48 – 12:35 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
| अमृत | 06:40 – 08:08 शुभ |
| काल | 08:08 – 09:35 अशुभ |
| शुभ | 09:35 – 11:03 शुभ |
| रोग | 11:03 – 12:31 अशुभ |
| उद्वेग | 12:31 – 13:58 अशुभ |
| चर | 13:58 – 15:26 शुभ |
| लाभ | 15:26 – 16:54 शुभ |
| अमृत | 16:54 – 18:21 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
| चर | 18:21 – 19:53 शुभ |
| रोग | 19:53 – 21:26 अशुभ |
| काल | 21:26 – 22:58 अशुभ |
| लाभ | 22:58 – 24:30* शुभ |
| उद्वेग | 24:30 – 26:02 अशुभ |
| शुभ | 26:02 – 27:35 शुभ |
| अमृत | 27:35 – 29:07 शुभ |
| चर | 29:07 – 30:39 शुभ |
🚩होरा, दिन
| चन्द्र | 06:40 – 07:39 |
| शनि | 07:39 – 08:37 |
| बृहस्पति | 08:37 – 09:35 |
| मंगल | 09:35 – 10:34 |
| सूर्य | 10:34 – 11:32 |
| शुक्र | 11:32 – 12:31 |
| बुध | 12:31 – 13:29 |
| चन्द्र | 13:29 – 14:28 |
| शनि | 14:28 – 15:26 |
| बृहस्पति | 15:26 – 16:24 |
| मंगल | 16:24 – 17:23 |
| सूर्य | 17:23 – 18:21 |
🚩होरा, रात
| शुक्र | 18:21 – 19:23 |
| बुध | 19:23 – 20:24 |
| चन्द्र | 20:24 – 21:26 |
| शनि | 21:26 – 22:27 |
| बृहस्पति | 22:27 – 23:29 |
| मंगल | 23:29 – 24:30 |
| सूर्य | 24:30* – 25:32 |
| शुक्र | 25:32* – 26:33 |
| बुध | 26:33* – 27:35 |
| चन्द्र | 27:35* – 28:36 |
| शनि | 28:36* – 29:38 |
| बृहस्पति | 29:38* – 30:39 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
| कुम्भ | 04: 18 से 06:38 तक |
| मीन | 06:38 से 07:50 तक |
| मेष | 07:50 से 09:20 तक |
| वृषभ | 09:20 से 11:22 तक |
| मिथुन | 11:22 से 14:08 तक |
| कर्क | 14:08 से 16:52 तक |
| सिंह | 16:52 से 18:10 तक |
| कन्या | 18:10 से 21:16 तक |
| तुला | 21:16 से 23:52 तक |
| वृश्चिक | 23:52 से 00:52 तक |
| धनु | 00:52 से 02: 54 तक |
| मकर | 02:54 से 04: 04 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
| दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
| जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
| कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
| लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
| कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 2 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 16:16 से रात्रि 29:15 तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
विशेष जानकारी
*होलिका दहन (भद्रा पुंछ भागे) अथवा भद्रोपरान्त
*जेल पौणी भद्रा पूर्व
*होलिकाष्टक पूर्ण
* पूर्णिमा व्रत
