कर्तव्य और कर्म जिसके साथ है,बस समझो जीत उसके पास है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 06/07/2023, गुरुवार तृतीया, कृष्ण पक्ष, श्रावण समाप्ति काल आज चतुर्थी व्रत
तिथि |
तृतीया 06:29:48 तक |
तिथि |
चतुर्थी 27:12:00 (क्षय ) |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
धनिष्ठा 24:24:06 |
योग |
प्रीति 23:58:43 |
करण |
बव 16:48:35 |
करण |
बालव 27:12:00 |
वार |
गुरूवार |
माह |
श्रावण |
चन्द्र राशि |
मकर13:37:23 |
चन्द्र राशि |
कुम्भ |
सूर्य राशि |
मिथुन |
रितु |
वर्षा |
आयन |
दक्षिणायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
05:30:29 |
सूर्यास्त |
19:17:15 |
दिन काल |
13:46:46 |
रात्री काल |
10:13:38 |
चंद्रोदय |
22:08:17 |
चंद्रास्त |
08:21:59 |
लग्न—– मिथुन 19°32′ , 79°32′
सूर्य नक्षत्र |
आर्द्रा |
चन्द्र नक्षत्र |
धनिष्ठा |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
गा |
धनिष्ठा 08:15:44 |
गी |
धनिष्ठा 13:37:23 |
गु |
धनिष्ठा 19:00:08 |
गे |
धनिष्ठा 24:24:06 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मिथुन 19:30 आर्द्रा , 4 छ |
चन्द्र |
मकर 24:16 , धनिष्ठा , 1 गा |
बुध |
मिथुन 25°: 34′ पुनर्वसु , 2 को |
शुक्र |
कर्क 29°05, अश्लेषा ‘ 4 डो |
मंगल |
सिंह 03°30 ‘ मघा ‘ 1 मा |
गुरु |
मेष 15°30 ‘ भरणी , 1 ली |
शनि |
कुम्भ 12°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू |
(व) मेष 06°15 अश्विनी , 2 चे |
केतु |
व) तुला 06°15 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
14:07 – 15:51 अशुभ |
यम घंटा |
05:30 – 07:14 अशुभ |
गुली काल |
08:57 – 10: 41 अशुभ |
अभिजित |
11:56 – 12:51 शुभ |
दूर मुहूर्त |
10:06 – 11:01 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:37 – 16:32 अशुभ |
वर्ज्यम |
06:29 – 07:54 अशुभ |
🚩 पंचक 13:37 – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ |
05:30 – 07:14 शुभ |
रोग |
07:14 – 08:57 अशुभ |
उद्वेग |
08:57 – 10:41 अशुभ |
चर |
10:41 – 12:24 शुभ |
लाभ |
12:24 – 14:07 शुभ |
अमृत |
14:07 – 15:51 शुभ |
काल |
15:51 – 17:34 अशुभ |
शुभ |
17:34 – 19:17 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत |
19:17 – 20:34 शुभ |
चर |
20:34 – 21:51 शुभ |
रोग |
21:51 – 23:07 अशुभ |
काल |
23:07 – 24:24* अशुभ |
लाभ |
24:24 – 25:41 शुभ |
उद्वेग |
25:41 – 26:57 अशुभ |
शुभ |
26:57 – 28:14 शुभ |
अमृत |
28:14 – 29:31 शुभ |
🚩होरा, दिन
बृहस्पति |
05:30 – 06:39 |
मंगल |
06:39 – 07:48 |
सूर्य |
07:48 – 08:57 |
शुक्र |
08:57 – 10:06 |
बुध |
10:06 – 11:15 |
चन्द्र |
11:15 – 12:24 |
शनि |
12:24 – 13:33 |
बृहस्पति |
13:33 – 14:42 |
मंगल |
14:42 – 15:51 |
सूर्य |
15:51 – 16:59 |
शुक्र |
16:59 – 18:08 |
बुध |
18:08 – 19:17 |
🚩होरा, रात
चन्द्र |
19:17 – 20:08 |
शनि |
20:08 – 20:59 |
बृहस्पति |
20:59 – 21:51 |
मंगल |
21:51 – 22:42 |
सूर्य |
22:42 – 23:33 |
शुक्र |
23:33 – 24:24 |
बुध |
24:24* – 25:15 |
चन्द्र |
25:15* – 26:06 |
शनि |
26:06* – 26:57 |
बृहस्पति |
26:57* – 27:49 |
मंगल |
27:49* – 28:40 |
सूर्य |
28:40* – 29:31 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन |
03:14 से 05:30 तक |
कर्क |
05:30 से 07:48 तक |
सिंह |
07:48 से 11:12 तक |
कन्या |
11:12 से 13:28 तक |
तुला |
13:28 से 14:28 तक |
वृश्चिक |
14:28 से 16:52 तक |
धनु |
16:52 से 18:56 तक |
मकर |
18:56 से 20:42 तक |
कुम्भ |
20:42 से 22:32 तक |
मीन |
22:32 से 23:46 तक |
मेष |
23:46 से 01:28 तक |
वृषभ |
01:28 से 03:12 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 3 + 5 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 6:30 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि 22:10
पंचक प्रारम्भ
चतुर्थीक्षय