हमें हमेशा बड़े सपने देखने चाहिए, क्योंकि अगर हम उनको देख सकते हैं, तो हम निश्चय ही उनको पूरा भी कर सकते हैं
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 01/02/2023, बुधवार*एकादशी, शुक्ल पक्ष, माघ (समाप्ति काल)
तिथि | एकादशी 14:01:25 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | मृगशिरा 27:22:06 |
योग | ऐन्द्र 11:27:40 |
करण | विष्टि भद्र 14:01:25 |
करण | बव 27:12:06 |
वार | बुधवार |
माह | माघ |
चन्द्र राशि | वृषभ 13:58:13 |
चन्द्र राशि | मिथुन |
सूर्य राशि | मकर |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | शुभकृत |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
गुजराती संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 07:07:16 |
सूर्यास्त | 17:58:31 |
दिन काल | 10:51:15 |
रात्री काल | 13:08:13 |
चंद्रोदय | 14:06:47 |
चंद्रास्त | 28:41:14 |
लग्न—- मकर 17°44′ , 287°44′
सूर्य नक्षत्र | श्रवण |
चन्द्र नक्षत्र | मृगशिरा |
नक्षत्र पाया | लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वे | मृगशिरा 07:17:36 |
वो | मृगशिरा 13:58:13 |
का | मृगशिरा 20:39:45 |
की | मृगशिरा 27:22:06 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह | राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य | मकर 17 : 29 श्रवण, 3 खे |
चन्द्र | वृषभ 26°:23, मृगशिरा, 1 वे |
बुध | धनु 22°: 34′ पूo षा o’3 फा |
शुक्र | कुम्भ 12°05, शतभिषा ‘2 सा |
मंगल | वृषभ 16°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु | मीन 11°30 ‘उ o भा o,3 झ |
शनि | कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू | (व) मेष 14°30 भरणी , 1 ली |
केतु | (व) तुला 14°30 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 12:33 – 13:54 अशुभ |
यम घंटा | 08:29 – 09:50 अशुभ |
गुली काल | 11:11 – 12:33 अशुभ |
अभिजित | 12:11 – 12:55 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:11 – 12:55 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:14 – 23:57 अशुभ |
वर्ज्यम | 36:47 – 38:34 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
लाभ | 07:07 – 08:29 शुभ |
अमृत | 08:29 – 09:50 शुभ |
काल | 09:50 – 11:11 अशुभ |
शुभ | 11:11 – 12:33 शुभ |
रोग | 12:33 – 13:54 अशुभ |
उद्वेग | 13:54 – 15:16 अशुभ |
चर | 15:16 – 16:37 शुभ |
लाभ | 16:37 – 17:59 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग | 17:59 – 19:37 अशुभ |
शुभ | 19:37 – 21:16 शुभ |
अमृत | 21:16 – 22:54 शुभ |
चर | 22:54 – 24:33* शुभ |
रोग | 24:33 – 26:11 अशुभ |
काल | 26:11 – 27:50 अशुभ |
लाभ | 27:50 – 29:28 शुभ |
उद्वेग | 29:28 – 31:07 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध | 07:07 – 08:02 |
चन्द्र | 08:02 – 08:56 |
शनि | 08:56 – 09:50 |
बृहस्पति | 09:50 – 10:44 |
मंगल | 10:44 – 11:39 |
सूर्य | 11:39 – 12:33 |
शुक्र | 12:33 – 13:27 |
बुध | 13:27 – 14:21 |
चन्द्र | 14:21 – 15:16 |
शनि | 15:16 – 16:10 |
बृहस्पति | 16:10 – 17:04 |
मंगल | 17:04 – 17:59 |
🚩होरा, रात
सूर्य | 17:59 – 19:04 |
शुक्र | 19:04 – 20:10 |
बुध | 20:10 – 21:16 |
चन्द्र | 21:16 – 22:21 |
शनि | 22:21 – 23:27 |
बृहस्पति | 23:27 – 24:33 |
मंगल | 24:33* – 25:38 |
सूर्य | 25:38* – 26:44 |
शुक्र | 26:44* – 27:50 |
बुध | 27:50* – 28:55 |
चन्द्र | 28:55* – 30:01 | शनि | 30:01* – 31:07 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर | 05:02 से 06:50 तक |
कुम्भ | 06:50 से 08:32 तक |
मीन | 08: 32 से 09:50 तक |
मेष | 09:50 से 11:26 तक |
वृषभ | 11:26 से 15:54 तक |
कर्क | 15:54 से 18:00 तक |
सिंह | 18:00 से 20:10 तक |
कन्या | 20:10 से 10:18 तक |
तुला | 10:18 से 01:42 तक |
वृश्चिक | 01:42 से 02:52 तक |
धनु | 02:52 से 05: 00 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
11 + 4 + 1 = 16÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:01 तक समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
विशेष जानकारी
जया एकादशी व्रत (सर्वेषां)
भीष्म द्वादशी
सर्वार्थ सिद्धि योग 27:22 तक
तटरक्षक दिवस
मेला बेणेश्वर धाम 5 दिवस (डूगरपुर)