दिनाँक | 10 नवम्बर 2023 |
वार | शुक्रवार |
विक्रम संवत् | 2080 |
शक संवत् | 1945 |
आयन | दक्षिणायन |
ऋतु | हेमंत |
मास | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | द्वादशी दोपहर 12:35 तक तत्पश्चात त्रयोदशी |
नक्षत्र | हस्त रात्रि 12:08 तक तत्पश्चात चित्रा |
योग | विष्कम्भ शाम 05:06 तक तत्पश्चात प्रीति |
राहु काल | सुबह 11:00 से 12:23 तक |
सूर्योदय | 06:50 |
सूर्यास्त | 05:57 |
दिशा शूल | पश्चिम दिशा में |
ब्राह्ममुहूर्त | प्रातः 05:07 से 05:58 तक |
निशिता मुहूर्त | रात्रि 11:58 से 12:49 तक |
व्रत पर्व विवरण | धनतेरस, भगवान धन्वंतरिजी जयंती, प्रदोष व्रत, राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस, यम दीपदान |
विशेष | द्वादशी को पूतिका (पोई) एवं त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) |
🌹 धनतेरस – 10 नवम्बर 2023 🌹
🌹अकालमृत्यु निवारण हेतु दीपदान 🌹
🌹 धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि ने दुःखीजनों के रोग-निवारणार्थ आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन संध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हें इस मंत्र के साथ दीपदान करना चाहिए । इससे अकाल मृत्यु नहीं होती ।
🌹 मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह । त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।
🌹 यमराज को दो दीपक दान करने चाहिए व तुलसी के आगे दीपक रखना चाहिए । इससे दरिद्रता मिटाने में मदद मिलती है । (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)
🌹 काली चौदस/ नरक चतुर्दशी – 11 नवम्बर 2023 🌹
🌹 नारकीय यातनाओं से रक्षा 🌹
🌹 नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है । ‘सनत्कुमार संहिता’ एवं ‘धर्मसिंधु’ ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है ।
🌹 काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है ।
🌹 इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दिये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है ।
🌹 दीपावली – 12 नवम्बर 2023🌹
🌹 सुख-सम्पत्ति की वृद्धि के लिए दो विशेष दीपक
दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उसपर दो दीपक जला दें । हो सके तो वें रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी । दीपावली की रात मंदिर में रातभर घी का दीया जलता रहे सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है ।
🌹 प्रसन्नता एवं रोगप्रतिकारक शक्ति-वर्धक – तोरण
पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बंधते थे । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधकर इसका लाभ उठाएं ।