मन में उतरना और मन से उतरना सदैव केवल अपने स्वभाव पर निर्भर करता है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:- 11/04/2023, मंगलवार पंचमी, कृष्ण पक्ष,वैशाख समाप्ति काल
तिथि | पंचमी 07:17:29 तक |
तिथि | षष्ठी 29:38:59(क्षय ) |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | ज्येष्ठा 12:57:18 |
योग | वरियान 17:51:10 |
करण | तैतिल 07:17:29 |
करण | गर 18:30:30 |
करण | वणिज 29:38:59 |
वार | मंगलवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | वृश्चिक 12:57:18 |
चन्द्र राशि | धनु |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 06:00:37 |
सूर्यास्त | 18:40:23 |
दिन काल | 12:39:46 |
रात्री काल | 11:19:10 |
चंद्रोदय | 24:07:12 |
चंद्रास्त | 09:25:24 |
लग्न—– मीन 26°41′ , 356°41′
सूर्य नक्षत्र | रेवती |
चन्द्र नक्षत्र | ज्येष्ठा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
यी | ज्येष्ठा 07:09:24 |
यू | ज्येष्ठा 12:57:18 |
ये | मूल 24:29:42 |
यो | चित्रा 25:09:47 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 26 : 59 रेवती , 4 ची |
चन्द्र | वृश्चिक 26:56, ज्येष्ठा, 3 यी |
बुध | मेष 08°: 34′ अश्वनी’ 4 ला |
शुक्र | वृषभ 05 °05, कृतिका ‘ 3 उ |
मंगल | मिथुन 14°30 ‘ आर्द्रा ‘ 3 ङ |
गुरु | मीन 27°30 ‘ रेवती , 4 ची |
शनि | कुम्भ 9°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 10°52 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 10°52 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 15:30 – 17:05 अशुभ |
यम घंटा | 09:11 – 10:46 अशुभ |
गुली काल | 12:21 – 13:55 अशुभ |
अभिजित | 11:55 – 12:46 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:33 – 09:23 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:12 – 24:03* अशुभ |
वर्ज्यम | 34:26 – 35:58 अशुभ |
🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ | 06:06 – 07:40 शुभ |
रोग | 06:01 – 07:36 अशुभ |
उद्वेग | 07:36 – 09:11 अशुभ |
चर | 09:11 – 10:46 शुभ |
लाभ | 10:46 – 12:21 शुभ |
अमृत | 12:21 – 13:55 शुभ |
काल | 13:55 – 15:30 अशुभ |
शुभ | 15:30 – 17:05 शुभ |
रोग | 17:05 – 18:40 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल | 18:40 – 20:05 अशुभ |
लाभ | 20:05 – 21:30 शुभ |
उद्वेग | 21:30 – 22:55 अशुभ |
शुभ | 22:55 – 24:20* शुभ |
अमृत | 24:20 – 25:45 शुभ |
चर | 25:45 – 27:10 शुभ |
रोग | 27:10 – 28:35 अशुभ |
काल | 28:35 – 29:59 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल | 06:01 – 07:04 |
सूर्य | 07:04 – 08:07 |
शुक्र | 08:07 – 09:11 |
बुध | 09:11 – 10:14 |
चन्द्र | 10:14 – 11:17 |
शनि | 11:17 – 12:21 |
बृहस्पति | 12:21 – 13:24 |
मंगल | 13:24 – 14:27 |
सूर्य | 14:27 – 15:30 |
शुक्र | 15:30 – 16:34 |
बुध | 16:34 – 17:37 |
चन्द्र | 17:37 – 18:40 |
🚩होरा, रात
शनि | 18:40 – 19:37 |
बृहस्पति | 19:37 – 20:34 |
मंगल | 20:34 – 21:30 |
सूर्य | 21:30 – 22:27 |
शुक्र | 22:27 – 23:23 |
बुध | 23:23 – 24:20 |
चन्द्र | 24:20* – 25:17 |
शनि | 26:16* – 27:13 |
बृहस्पति | 26:13* – 27:10 |
मंगल | 27:10* – 28:06 |
सूर्य | 28:06* – 29:03 |
शुक्र | 29:03* – 29:59 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन | 03:52 से 05:20 तक |
मेष | 05:20 से 07:06 तक |
वृषभ | 07:06 से 08:56 तक |
मिथुन | 08:56 से 11:16 तक |
कर्क | 11:16 से 13:28 तक |
सिंह | 13:28 से 15:40 तक |
कन्या | 15:40 से 17:52 तक |
तुला | 17:52 से 20:06 तक |
वृश्चिक | 20:06 से 22:06 तक |
धनु | 22:06 से 00:22 तक |
मकर | 00:22 से 02:06 तक |
कुम्भ | 02:06 से 04:02 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चंद्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 29:38 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
षष्ठीक्षय
विश्व मातृत्व सुरक्षा दिवस