भरोसा रखो जब हम किसी का अच्छा कर रहे होते हैं तो हमारे लिए भी कहीं न कहीं कुछ अच्छा हो रहा होता है
दिनाँक 11/02/2023 शनिवार* पंचमी, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन
तिथि |
पंचमी 09:07:31 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
चित्रा 25:38:50 |
योग |
शूल 16:20:32 |
करण |
तैतुल 09:07:31 |
करण |
गर 21:30:46 |
वार |
शनिवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
कन्या 13:01:43 |
चन्द्र राशि |
तुला |
सूर्य राशि |
मकर |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:01:04 |
सूर्यास्त |
18:06:07 |
दिन काल |
11:05:03 |
रात्री काल |
12:54:12 |
चंद्रास्त |
10:04:44 |
चंद्रोदय |
23:06:22 |
लग्न—- मकर 27°52′ , 297°52′
सूर्य नक्षत्र |
धनिष्ठा |
चन्द्र नक्षत्र |
चित्रा |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
पो |
चित्रा 13:01:43 |
रा |
चित्रा 19:21:18 |
री |
चित्रा 25:38:50 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मकर 27 : 29 धनिष्ठा , 2 गी |
चन्द्र |
कन्या 26°:23, चित्रा , 2 पो |
बुध |
मकर 05 °: 34′ उ o षा o’ 3 जा |
शुक्र |
कुम्भ 24 °05, पू o भा o ‘ 2 सो |
मंगल |
वृषभ 18°30 ‘ रोहिणी’ 3 वी |
गुरु |
मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 02°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 14°10 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 14°10 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
09:47 – 11:10 अशुभ |
यम घंटा |
13:57 – 15:20 अशुभ |
गुली काल |
07:01 – 08:24 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:56 शुभ |
दूर मुहूर्त |
09:15 – 09:59 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
08:30 – 09:14 अशुभ |
वर्ज्यम |
08:48 – 10:29 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
रोग |
09:47 – 11:10 अशुभ |
उद्वेग |
11:10 – 12:34 अशुभ |
चर |
12:34 – 13:57 शुभ |
लाभ |
13:57 – 15:20 शुभ |
अमृत |
15:20 – 16:43 शुभ |
काल |
07:01 – 08:24 अशुभ |
शुभ |
08:24 – 09:47 शुभ |
काल |
16:43 – 18:06 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
चर |
24:33 – 26:10 शुभ |
रोग |
26:10 – 27:47 अशुभ |
काल |
27:47 – 29:24 अशुभ |
लाभ |
18:06 – 19:43 शुभ |
उद्वेग |
19:43 – 21:20 अशुभ |
शुभ |
21:20 – 22:56 शुभ |
अमृत |
22:56 – 24:33* शुभ |
लाभ |
29:24 – 31:00 शुभ |
🚩होरा, दिन
बृहस्पति |
07:56 – 08:52 |
मंगल |
08:52 – 09:47 |
सूर्य |
09:47 – 10:43 |
शुक्र |
10:43 – 11:38 |
बुध |
11:38 – 12:34 |
चन्द्र |
12:34 – 13:29 |
शनि |
07:01 – 07:56 |
बृहस्पति |
14:24 – 15:20 |
मंगल |
15:20 – 16:15 |
सूर्य |
16:15 – 17:11 |
शुक्र |
17:11 – 18:06 |
शनि |
13:29 – 14:24 |
🚩होरा, रात
बुध |
18:06 – 19:11 |
चन्द्र |
19:11 – 20:15 |
शनि |
20:15 – 21:20 |
बृहस्पति |
21:20 – 22:24 |
मंगल |
22:24 – 23:29 |
सूर्य |
23:29 – 24:33 |
शुक्र |
24:33* – 25:38 |
बुध |
25:38* – 26:42 |
चन्द्र |
26:42* – 27:47 |
शनि |
27:47* – 28:51 |
मंगल |
29:56* – 31:00 |
बृहस्पति |
28:51* – 29:56 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
04:24 से 06: 08 तक |
कुम्भ |
06: 08 से 07:56 तक |
मीन |
07: 56 से 09:18 तक |
मेष |
09:18 से 10:48 तक |
वृषभ |
10:48 से 12:50 तक |
मिथुन |
12:50 से 15:18 तक |
कर्क |
15:18 से 18:22 तक |
सिंह |
18:22 से 19:34 तक |
कन्या |
19:34 से 22:42 तक |
तुला |
22:42 से 01:04 तक |
वृश्चिक |
01:04 से 02:16 तक |
धनु |
02:16 से 04: 18 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 5 + 7 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
20+ 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
*माता यशोदा जयंती
*भगवान गोपालबिहारी जी पाटोत्सव
*पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुण्य तिथि