हमारा स्वास्थ्य जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति है परन्तु इसका अनुभव तब होता है जब व्यक्ति इसे खो देता है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 12/07/2023, बुधवार दशमी, कृष्ण पक्ष, श्रावण समाप्ति काल
तिथि |
दशमी 17:58:51 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
भरणी 19:42:20 |
योग |
धृति 09:38:19 |
करण |
वणिज 05:57:25 |
करण |
विष्टि भद्र 17:58:51 |
वार |
बुधवार |
माह |
श्रावण |
चन्द्र राशि |
मेष 25:56:52 |
चन्द्र राशि |
वृषभ |
सूर्य राशि |
मिथुन |
रितु |
वर्षा |
आयन |
दक्षिणायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
05:33:09 |
सूर्यास्त |
19:16:18 |
दिन काल |
13:43:08 |
रात्री काल |
10:17:19 |
चंद्रोदय |
25:36:13 |
चंद्रास्त |
14:40:51 |
लग्न—– मिथुन 25°15′ , 85°15′
सूर्य नक्षत्र |
पुनर्वसु |
चन्द्र नक्षत्र |
भरणी |
नक्षत्र पाया |
स्वर्ण |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
लू |
भरणी 07:18:55 |
ले |
भरणी 13:29:40 |
लो |
भरणी 19:42:20 |
अ |
कृत्तिका 25:56:52 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मिथुन 25:30 पुनर्वसु , 2 को |
चन्द्र |
मेष 19:16 , भरणी, 2 लू |
बुध |
कर्क 07°: 34′ पुष्य , 2 हे |
शुक्र |
सिंह 02°05, मघा ‘ 1 मा |
मंगल |
सिंह 06°30 ‘ मघा ‘ 3 मू |
गुरु |
मेष 16°30 ‘ भरणी , 2 लू |
शनि |
कुम्भ 12°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू |
(व) मेष 05°55 अश्विनी , 2 चे |
केतु |
(व) तुला 05°55 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
12:25 – 14:08 अशुभ |
यम घंटा |
07:16 – 08:59 अशुभ |
गुली काल |
10:42 – 12: 25अशुभ |
अभिजित |
11:57 – 12:52 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
11:57 – 12:52 अशुभ |
वर्ज्यम |
32:13 – 33:54 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
लाभ |
05:33 – 07:16 शुभ |
अमृत |
07:16 – 08:59 शुभ |
काल |
08:59 – 10:42 अशुभ |
शुभ |
10:42 – 12:25 शुभ |
रोग |
12:25 – 14:08 अशुभ |
उद्वेग |
14:08 – 15:51 अशुभ |
चर |
15:51 – 17:33 शुभ |
लाभ |
17:33 – 19:16 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग |
19:16 – 20:33 अशुभ |
शुभ |
20:33 – 21:51 शुभ |
अमृत |
21:51 – 23:08 शुभ |
चर |
23:08 – 24:25* शुभ |
रोग |
24:25 – 25:42 अशुभ |
काल |
25:42 – 26:59 अशुभ |
लाभ |
26:59 – 28:16 शुभ |
उद्वेग |
28:16 – 29:34 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध |
05:33 – 06:42 |
चन्द्र |
06:42 – 07:50 |
शनि |
07:50 – 08:59 |
बृहस्पति |
08:59 – 10:08 |
मंगल |
10:08 – 11:16 |
सूर्य |
11:16 – 12:25 |
शुक्र |
12:25 – 13:33 |
बुध |
13:33 – 14:42 |
चन्द्र |
14:42 – 15:51 |
शनि |
15:51 – 16:59 |
बृहस्पति |
16:59 – 18:08 |
मंगल |
18:08 – 19:16 |
🚩होरा, रात
सूर्य |
19:16 – 20:08 |
शुक्र |
20:08 – 20:59 |
बुध |
20:59 – 21:51 |
चन्द्र |
21:51 – 22:42 |
शनि |
22:42 – 23:34 |
बृहस्पति |
23:34 – 24:25 |
मंगल |
24:25* – 25:16 |
सूर्य |
25:16* – 26:08 |
शुक्र |
26:08* – 26:59 |
बुध |
26:59* – 27:51 |
चन्द्र |
27:51* – 28:42 |
शनि |
28:42* – 29:34 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन |
02:56 से 05:10 तक |
कर्क |
05:10 से 07:28 तक |
सिंह |
07:28 से 10:52 तक |
कन्या |
10:52 से 13:08 तक |
तुला |
13:08 से 14:08 तक |
वृश्चिक |
14:08 से 16:28 तक |
धनु |
16:28 से 18:32 तक |
मकर |
18:32 से 20:22 तक |
कुम्भ |
20:22 से 22:12 तक |
मीन |
22:12 से 23:26 तक |
मेष |
23:26 से 01:08 तक |
वृषभ |
01:08 से 02:52 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 4 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 06:02 से सांय 17:59 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
विशेष जानकारी
सर्वार्थ सिद्धि योग 19:43 से