मनुष्य सिर्फ़ उतना होता है, जितना वह किसी की स्मृति में बचा रह जाए.स्मृति सिर्फ़ उतनी होती है,जितनी वह किसी को मनुष्य के रूप में बचा ले जाए आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 14/07/2023, शुक्रवार द्वादशी, कृष्ण पक्ष श्रावण समाप्ति काल
तिथि |
द्वादशी 19:16:30 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
रोहिणी 22:25:30 |
योग |
गण्ड 08:25:47 |
करण |
कौलव 06:47:15 |
करण |
तैतिल 19:16:30 |
वार |
शुक्रवार |
माह |
श्रावण |
चन्द्र राशि |
मेष 25:56:52 |
चन्द्र राशि |
वृषभ |
सूर्य राशि |
मिथुन |
रितु |
वर्षा |
आयन |
दक्षिणायण |
संवत्सर |
शोभकृत |
संवत्सर (उत्तर) |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
05:34:07 |
सूर्यास्त |
19:15:48 |
दिन काल |
13:41:41 |
रात्री काल |
10:18:47 |
चंद्रोदय |
27:02:40 |
चंद्रास्त |
16:41:06 |
लग्न—-मिथुन 27°9′ , 87°9′
सूर्य नक्षत्र |
पुनर्वसु |
चन्द्र नक्षत्र |
रोहिणी |
नक्षत्र पाया |
लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वा |
रोहिणी 09:35:17 |
वी |
रोहिणी 15:59:41 |
वु |
रोहिणी 22:25:30 |
वे |
मृगशिरा 28:52:43 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मिथुन 26:30 पुनर्वसु , 3 हा |
चन्द्र |
मिथुन 27:16 , रोहिणी, 2 वा |
बुध |
कर्क 11°: 34′ पुष्य , 2 हो |
शुक्र |
सिंह 02°05, मघा ‘ 1 मा |
मंगल |
सिंह 07°30 ‘ मघा ‘ 3 मू |
गुरु |
मेष 17°30 ‘ भरणी , 2 लू |
शनि |
कुम्भ 12°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू |
(व) मेष 05°50 अश्विनी , 2 चे |
केतु |
(व) तुला 05°50 चित्रा , 4 री |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
10:42 – 12:25 अशुभ |
यम घंटा |
15:50 – 17:33 अशुभ |
गुली काल |
07:17 – 08: 59अशुभ |
अभिजित |
11:58 – 12:52 शुभ |
दूर मुहूर्त |
08:18 – 09:13 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:52 – 13:47 अशुभ |
वर्ज्यम |
13:51 – 15:34 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
चर |
05:34 – 07:17 शुभ |
लाभ |
07:17 – 08:59 शुभ |
अमृत |
08:59 – 10:42 शुभ |
काल |
10:42 – 12:25 अशुभ |
शुभ |
12:25 – 14:08 शुभ |
रोग |
14:08 – 15:50 अशुभ |
उद्वेग |
15:50 – 17:33 अशुभ |
चर |
17:33 – 19:16 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग |
19:16 – 20:33 अशुभ |
काल |
20:33 – 21:51 अशुभ |
लाभ |
21:51 – 23:08 शुभ |
उद्वेग |
23:08 – 24:25* अशुभ |
शुभ |
24:25 – 25:43 शुभ |
अमृत |
25:43 – 26:59 शुभ |
चर |
26:59 – 28:17 शुभ |
रोग |
28:17 – 29:35 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र |
05:34 – 06:43 |
बुध |
06:43 – 07:51 |
चन्द्र |
07:51 – 08:59 |
शनि |
08:59 – 10:08 |
बृहस्पति |
10:08 – 11:16 |
मंगल |
11:16 – 12:25 |
सूर्य |
12:25 – 13:33 |
शुक्र |
13:33 – 14:42 |
बुध |
14:42 – 15:50 |
चन्द्र |
15:50 – 16:59 |
शनि |
16:59 – 18:07 |
बृहस्पति |
18:07 – 19:16 |
🚩होरा, रात
मंगल |
19:16 – 20:07 |
सूर्य |
20:07 – 20:59 |
शुक्र |
20:59 – 21:51 |
बुध |
21:51 – 22:42 |
चन्द्र |
22:42 – 23:34 |
शनि |
23:34 – 24:25 |
बृहस्पति |
24:25* – 25:17 |
मंगल |
25:17* – 26:08 |
सूर्य |
26:08* – 26:59 |
शुक्र |
26:59* – 27:51 |
बुध |
27:51* – 28:43 |
चन्द्र |
28:43* – 29:35 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन |
02:48 से 05:02 तक |
कर्क |
05:10 से 07:28 तक |
सिंह |
07:20 से 10:44 तक |
कन्या |
10:44 से 13:00 तक |
तुला |
13:08 से 14:08 तक |
वृश्चिक |
14:04 से 16:20 तक |
धनु |
16:20 से 18:24 तक |
मकर |
18:24 से 20:14 तक |
कुम्भ |
20:14 से 22:04 तक |
मीन |
22:04 से 23:18 तक |
मेष |
23:18 से 01:00 तक |
वृषभ |
01:00 से 02:44 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 4 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
27 +27 +5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
(शिव पूजन)
रोहिणी व्रत( जैन)