संघर्ष ही इंसान को सशक्त और मजबूत बनाता है, फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों न हो
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 19/02/2023, रविवार* चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन,समाप्ति काल)
तिथि |
चतुर्दशी 16:17:44 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
श्रवण 14:42:50 |
योग |
वरियान 15:17:55 |
करण |
शकुनी 16:17:43 |
करण |
चतुष्पद 26:25:25 |
करण |
विष्टि भद्र 30:10:18 |
वार |
रविवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
मकर 25:13:11 |
चन्द्र राशि |
कुम्भ |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:54:41 |
सूर्यास्त |
18:11:45 |
दिन काल |
11:17:04 |
रात्री काल |
12:42:03 |
चंद्रास्त |
17:11:47 |
चंद्रोदय |
31:03:02 |
लग्न—-कुम्भ 5°57′ , 305°57
सूर्य नक्षत्र |
धनिष्ठा |
चन्द्र नक्षत्र |
श्रवण |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
खे |
श्रवण 09:27:46 |
खो |
श्रवण 14:42:50 |
गा |
धनिष्ठा 19:57:55 |
गी |
धनिष्ठा 25:13:11 |
गु- |
धनिष्ठा 30:28:51 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 05 : 29 धनिष्ठा , 4 गे |
चन्द्र |
मकर 18°:23, श्रवण , 3 खे |
बुध |
मकर 16 °: 34′ श्रवण’ 3 खे |
शुक्र |
मीन 04 °05, उ o भा o ‘ 1 दू |
मंगल |
वृषभ 21°30 ‘ रोहिणी’ 4 वू |
गुरु |
मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 03°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
राहू |
(व) मेष 13°40 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 13°30 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
16:47 – 18:12 अशुभ |
यम घंटा |
12:33 – 13:58 अशुभ |
गुली काल |
15:22 – 16:47 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:56 शुभ |
दूर मुहूर्त |
16:41 – 17:27 अशुभ |
वर्ज्यम |
18:13 – 19:37अशुभ |
🚩💮 गंड मूल 26:01* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग |
06:55 – 08:19 अशुभ |
चर |
08:19 – 09:44 शुभ |
लाभ |
09:44 – 11:09 शुभ |
अमृत |
11:09 – 12:33 शुभ |
काल |
12:33 – 13:58 अशुभ |
शुभ |
13:58 – 15:22 शुभ |
रोग |
15:22 – 16:47 अशुभ |
उद्वेग |
16:47 – 18:12 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
शुभ |
18:12 – 19:47 शुभ |
अमृत |
19:47 – 21:22 शुभ |
चर |
21:22 – 22:58 शुभ |
रोग |
22:58 – 24:33* अशुभ |
काल |
24:33 – 26:08 अशुभ |
लाभ |
26:08 – 27:43 शुभ |
उद्वेग |
27:43 – 29:19 अशुभ |
शुभ |
29:19 – 30:54 शुभ |
🚩होरा, दिन
सूर्य |
06:55 – 07:51 |
शुक्र |
07:51 – 08:48 |
बुध |
08:48 – 09:44 |
चन्द्र |
09:44 – 10:40 |
शनि |
10:40 – 11:37 |
बृहस्पति |
11:37 – 12:33 |
मंगल |
12:33 – 13:30 |
सूर्य |
13:30 – 14:26 |
शुक्र |
14:26 – 15:22 |
बुध |
15:22 – 16:19 |
चन्द्र |
16:19 – 17:15 |
शनि |
17:15 – 18:12 |
🚩होरा, रात
बृहस्पति |
18:12 – 19:15 |
मंगल |
19:15 – 20:19 |
सूर्य |
20:19 – 21:22 |
शुक्र |
21:22 – 22:26 |
बुध |
22:26 – 23:29 |
चन्द्र |
23:29 – 24:33 |
शनि |
24:33* – 25:36 |
बृहस्पति |
25:36* – 26:40 |
मंगल |
26:40* – 27:43 |
सूर्य |
27:43* – 28:47 |
शुक्र |
28:47* – 29:50 |
बुध |
29:50* – 30:54 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
03:52 से 05: 34 तक |
कुम्भ |
05: 34 से 07:328 तक |
मीन |
07:28 से 08:46 तक |
मेष |
08:46 से 10:20 तक |
वृषभ |
10:20 से 12:22 तक |
मिथुन |
12:22 से 14:50 तक |
कर्क |
14:50 से 17:54 तक |
सिंह |
17:54 से 19:06 तक |
कन्या |
19:06 से 22:14 तक |
तुला |
22:10 से 00:38 तक |
वृश्चिक |
00:38 से 01:48 तक |
धनु |
01:48 से 03: 50 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 14 + 1 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 20:01 से रात्रि 30:10
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
*पंचक प्रारम्भ 25:15 से
*वासुदेव पूज्यनाथ जयंत
*शिवाजी जयंती
*गोपालकृष्ण गोखले निधन दिवस