विचार और व्यवहार हमारे बगीचे के वो फूल है जो हमारे पूरे व्यक्तित्व को महका देते है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-02/04/2023, रविवार* द्वादशी, शुक्ल पक्ष, चैत्र समाप्ति काल
तिथि |
द्वादशी अहोरात्र तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
मघा 31:22:37 |
योग |
शूल 27:19:19 |
करण |
बव 17:23:59 |
वार |
रविवार |
माह |
चैत्र |
चन्द्र राशि |
सिंह |
सूर्य राशि |
मीन |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
06:10:22 |
सूर्यास्त |
18:35:41 |
दिन काल |
12:25:19 |
रात्री काल |
11:33:34 |
चंद्रोदय |
15:15:32 |
चंद्रास्त |
28:42:02 |
लग्न—– मीन 17°51′ , 347°51′
सूर्य नक्षत्र |
रेवती |
चन्द्र नक्षत्र |
मघा |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
मा |
मघा 11:27:56 |
मी |
मघा 18:07:26 |
|
मघा 24:45:42 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मीन 17 : 59 रेवती , 1 दे |
चन्द्र |
सिंह 00°:56, मघा। , 1 मा |
बुध |
मेष 02°: 34′ अश्वनी’ 1 चू |
शुक्र |
मेष 25 °05, भरणी ‘ 4 लो |
मंगल |
मिथुन 09°30 ‘ आर्द्रा ‘ 1 कु |
गुरु |
मीन 25°30 ‘ रेवती , 3 च |
शनि |
कुम्भ 8°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू |
(व) मेष 11°25 अश्विनी , 4 ला |
केतु |
(व) तुला 11°25 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
17:03 – 18:36 अशुभ |
यम घंटा |
12:23 – 13:56 अशुभ |
गुली काल |
15:29 – 17:03 अशुभ |
अभिजित |
11:58 – 12:48 शुभ |
दूर मुहूर्त |
16:56 – 17:46 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:48 – 13:38 अशुभ |
वर्ज्यम |
18:07 – 19:54 अशुभ |
🚩गंड मूल 06:10 – 31:23* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग |
15:29 – 17:02 अशुभ |
चर |
07:44 – 09:17 शुभ |
लाभ |
09:17 – 10:50 शुभ |
अमृत |
10:50 – 12:23 शुभ |
काल |
12:23 – 13:56 अशुभ |
शुभ |
13:56 – 15:29 शुभ |
रोग |
15:29 – 17:03 अशुभ |
उद्वेग |
17:03 – 18:36 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
शुभ |
18:36 – 20:02 शुभ |
अमृत |
220:02 – 21:29 शुभ |
चर |
21:29 – 22:56 शुभ |
रोग |
22:56 – 24:22* अशुभ |
काल |
24:22 – 25:49 अशुभ |
लाभ |
25:49 – 27:16 शुभ |
उद्वेग |
27:16 – 28:43 अशुभ |
शुभ |
28:43 – 30:09 शुभ |
🚩होरा, दिन
सूर्य |
06:10 – 07:12 |
शुक्र |
07:12 – 08:15 |
बुध |
08:15 – 09:17 |
चन्द्र |
09:17 – 10:19 |
शनि |
10:19 – 11:21 |
बृहस्पति |
11:21 – 12:23 |
मंगल |
12:23 – 13:25 |
सूर्य |
13:25 – 14:27 |
शुक्र |
14:27 – 15:29 |
बुध |
15:29 – 16:31 |
चन्द्र |
16:31 – 17:34 |
शनि |
17:34 – 18:36 |
🚩होरा, रात
बृहस्पति |
18:36 – 19:33 |
मंगल |
19:33 – 20:31 |
सूर्य |
20:31 – 21:29 |
शुक्र |
21:29 – 22:27 |
बुध |
22:27 – 23:25 |
चन्द्र |
23:25 – 24:22 |
शनि |
24:22* – 25:20 |
बृहस्पति |
25:20* – 26:18 |
मंगल |
26:18* – 27:16 |
सूर्य |
27:16* – 28:14 |
शुक्र |
28:14* – 29:11 |
बुध |
29:11* – 30:09 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन |
04:30 से 06:00 तक |
मेष |
06:00 से 07:46 तक |
वृषभ |
07:46 से 09:36 तक |
मिथुन |
09:36 से 11:56 तक |
कर्क |
11:56 से 14:08 तक |
सिंह |
14:08 से 16:20 तक |
कन्या |
16:20 से 18:30 तक |
तुला |
18:30 से 20:46 तक |
वृश्चिक |
20:46 से 23:06 तक |
धनु |
23:06 से 01:12 तक |
मकर |
01:12 से 02:46 तक |
कुम्भ |
02:46 से 04:26 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–उत्तर
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
12 + 1 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
एकादशी व्रत (वैष्णव)