फिर से प्रयास करने से मत घबराना,क्योंकि इस बार शुरुआत शून्य से नहीं,अनुभव से होगी आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 02/05/2023, मंगलवार द्वादशी, शुक्ल पक्ष,वैशाख समाप्ति काल
तिथि | द्वादशी 23:17:21 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | उo फाo 19:40:12 |
योग | व्याघात 11:47:49 |
करण | बव 10:47:38 |
करण | बालव 23:17:21 |
वार | मंगलवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | -कन्या |
सूर्य राशि | मेष |
रितु | ग्रीष्म |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:40:50 |
सूर्यास्त | 18:51:58 |
दिन काल | 13:11:07 |
रात्री काल | 10:48:05 |
चंद्रोदय | 15:47:42 |
चंद्रास्त | 28:09:20 |
लग्न—– मेष 17°11′ , 17°11′
सूर्य नक्षत्र | भरणी |
चन्द्र नक्षत्र | उo फाo |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
टो | उo फाo 06:49:17 |
पा | उo फाo 13:15:49 |
पी | उo फाo 19:40:12 |
पू | हस्त 26:02:22 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मेष 17 : 14 भरणी , 2 लू |
चन्द्र | कन्या 02:56 , उ oफा o , 2 टो |
बुध | मेष 17°: 34′ भरणी’ , 2 लू |
शुक्र | वृषभ 29°05, मृगशिरा ‘ 2 वो |
मंगल | मिथुन 25°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 2 को |
गुरु | मेष 02°30 ‘ अश्विनी , 1 चू |
शनि | कुम्भ 11°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
राहू | (व) मेष 09°40 अश्विनी , 3 चो |
केतु | (व) तुला 09°40 स्वाति , 1 रू |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 15:34 – 17:13 अशुभ |
यम घंटा | 08:59 – 10:38 अशुभ |
गुली काल | 12:16 – 13:55 अशुभ |
अभिजित | 11:50 – 12:43 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:19 – 09:12 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:12 – 24:04* अशुभ |
वर्ज्यम | 28:35 – 30:16 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
रोग | 05:41 – 07:20 अशुभ |
उद्वेग | 07:20 – 08:59 अशुभ |
चर | 08:59 – 10:38 शुभ |
लाभ | 10:38 – 12:16 शुभ |
अमृत | 12:16 – 13:55 शुभ |
काल | 13:55 – 15:34 अशुभ |
शुभ | 15:34 – 17:13 शुभ |
रोग | 17:13 – 18:52 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल | 18:52 – 20:13 अशुभ |
लाभ | 20:13 – 21:34 शुभ |
उद्वेग | 21:34 – 22:55 अशुभ |
शुभ | 22:55 – 24:16* शुभ |
अमृत | 24:16 – 25:37 शुभ |
चर | 25:37 – 26:58 शुभ |
रोग | 26:58 – 28:19 अशुभ |
काल | 28:19 – 29:40 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल | 05:41 – 06:47 |
सूर्य | 06:47 – 07:53 |
शुक्र | 07:53 – 08:59 |
बुध | 08:59 – 10:05 |
चन्द्र | 10:05 – 11:10 |
शनि | 11:10 – 12:16 |
बृहस्पति | 12:16 – 13:22 |
मंगल | 13:22 – 14:28 |
सूर्य | 14:28 – 15:34 |
शुक्र | 15:34 – 16:40 |
बुध | 16:40 – 17:46 |
चन्द्र | 17:46 – 18:52 |
🚩होरा, रात
शनि | 18:52 – 19:46 |
बृहस्पति | 19:46 – 20:40 |
मंगल | 20:40 – 21:34 |
सूर्य | 21:34 – 22:28 |
शुक्र | 22:28 – 23:22 |
बुध | 23:22 – 24:16 |
चन्द्र | 24:16* – 25:10 |
शनि | 25:10* – 26:04 |
बृहस्पति | 26:04* – 26:58 |
मंगल | 26:58* – 27:52 |
सूर्य | 27:52* – 28:46 |
शुक्र | 28:46* – 29:40 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मेष | 03:58 से 05:36 तक |
वृषभ | 05:36 से 07: 36 तक |
मिथुन | 07:36 से 09:50 तक |
कर्क | 09:50 से 12:06 तक |
सिंह | 12:06 से 14:18 तक |
कन्या | 14:18 से 16:30 तक |
तुला | 16:30 से 18:46 तक |
वृश्चिक | 18:46 से 21:01 तक |
धनु | 21:01 से 23:52 तक |
मकर | 23:52 से 00:52 तक |
कुम्भ | 00:52 से 02:24 तक |
मीन | 02:24 से 03:54 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
12 + 3 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
* परशुराम द्वादशी
*राधा द्वादशी
* रुक्मिणी द्वादशी
*विश्व अस्थमा दिवस