सुख के लिए बाहर की दौड़ लगाना व्यर्थ है, सुख अपने भीतर है उसे ढूंढने का प्रयत्न करना चाहिए
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-20/02/2023, सोमवार*अमावस्या, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
अमावस्या 12:34:47 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
धनिष्ठा 11:45:05 |
योग |
परिघ 11:01:35 |
करण |
नाग 12:34:47 |
करण |
किन्स्तुघ्न 22:47:15 |
वार |
सोमवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
कुम्भ |
सूर्य राशि |
कुम्भ |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
06:53:49 |
सूर्यास्त |
18:12:26 |
दिन काल |
11:18:36 |
रात्री काल |
12:40:29 |
चंद्रास्त |
18:23:03 |
चंद्रोदय |
31:13:01 |
लग्न—- कुम्भ 6°57′ , 306°57′
सूर्य नक्षत्र |
शतभिषा |
चन्द्र नक्षत्र |
धनिष्ठा |
नक्षत्र पाया |
ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
गे |
धनिष्ठा 11:45:05, |
गो |
शतभिष 17:02:03 |
सा |
शतभिष 22:19:58 |
सी |
शतभिष 27:39:00 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
कुम्भ 06 : 29 शतभिषा , 1 गो |
चन्द्र |
मकर 03°:23, धनिष्ठा , 4 गे |
बुध |
मकर 18 °: 34′ श्रवण’ 3 खे |
शुक्र |
मीन 05 °05, उ o भा o ‘ 1 दू |
मंगल |
वृषभ 21°30 ‘ रोहिणी’ 4 वू |
गुरु |
मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ |
शनि |
कुम्भ 03°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
राहू |
(व) मेष 13°30 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 13°30 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
08:19 – 09:43 अशुभ |
यम घंटा |
11:08 – 12:33 अशुभ |
गुली काल |
13:58 – 15:23 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:56 शुभ |
दूर मुहूर्त |
12:56 – 13:41 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:11 – 15:57 अशुभ |
वर्ज्यम |
18:06 – 19:30 अशुभ |
🚩💮 गंड मूल 26:01* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत |
06:54 – 08:19 शुभ |
काल |
08:19 – 09:43 अशुभ |
शुभ |
09:43 – 11:08 शुभ |
रोग |
11:08 – 12:33 अशुभ |
उद्वेग |
12:33 – 13:58 अशुभ |
चर |
13:58 – 15:23 शुभ |
लाभ |
15:23 – 16:48 शुभ |
अमृत |
16:48 – 18:12 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
चर |
18:12 – 19:47 शुभ |
रोग |
19:47 – 21:23 अशुभ |
काल |
21:23 – 22:58 अशुभ |
लाभ |
22:58 – 24:33* शुभ |
उद्वेग |
24:33 – 26:08 अशुभ |
शुभ |
26:08 – 27:43 शुभ |
अमृत |
27:43 – 29:18 शुभ |
चर |
29:18 – 30:53 शुभ |
🚩होरा, दिन
चन्द्र |
06:54 – 07:50 |
शनि |
07:50 – 08:47 |
बृहस्पति |
08:47 – 09:43 |
मंगल |
09:43 – 10:40 |
सूर्य |
10:40 – 11:37 |
शुक्र |
11:37 – 12:33 |
बुध |
12:33 – 13:30 |
चन्द्र |
13:30 – 14:26 |
शनि |
14:26 – 15:23 |
बृहस्पति |
15:23 – 16:19 |
मंगल |
16:19 – 17:16 |
सूर्य |
17:16 – 18:12 |
🚩होरा, रात
शुक्र |
18:12 – 19:16 |
बुध |
19:16 – 20:19 |
चन्द्र |
20:19 – 21:23 |
शनि |
21:23 – 22:26 |
बृहस्पति |
22:26 – 23:29 |
मंगल |
23:29 – 24:33 |
सूर्य |
24:33* – 25:36 |
शुक्र |
25:36* – 26:39 |
बुध |
26:39* – 27:43 |
चन्द्र |
27:43* – 28:46 |
शनि |
24:33* – 25:36 |
बृहस्पति |
29:50* – 30:53 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
03:48 से 05: 30 तक |
कुम्भ |
05: 30 से 07:34 तक |
मीन |
07:24 से 08:42 तक |
मेष |
08:42 से 10:16 तक |
वृषभ |
10:16 से 12:18 तक |
मिथुन |
12:18 से 14:46 तक |
कर्क |
14:46 से 17:50 तक |
सिंह |
17:50 से 19:02 तक |
कन्या |
19:02 से 22:10 तक |
तुला |
22:10 से 00:34 तक |
वृश्चिक |
22:10 से 00:34 तक |
धनु |
01:44 से 03: 46 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 2 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 20:01 से रात्रि 30:10
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
सोमवती अमावस्या
देवपितृकार्य अमावस्या
शिव खप्पर पूजन
अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस