जिंदगी प्रतियोगिता नहीं जो दौड़कर पूरा कर दिया जाये यह तो एक यात्रा है,जिसमें हमें आनंद पूर्वक चलना है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 21/04/2023, शुक्रवार प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष, वैशाख समाप्ति काल
तिथि | प्रतिपदा 08:28:12 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | भरणी 22:58:23 |
योग | प्रीति 10:57:42 |
करण | बव 08:28:12 |
करण | बालव 20:03:56 |
वार | शुक्रवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | मेष 29:01:04 |
चन्द्र राशि | वृषभ |
सूर्य राशि | मेष |
रितु | ग्रीष्म |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | शोभकृत |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:50:32 |
सूर्यास्त | 18:45:46 |
दिन काल | 12:55:14 |
रात्री काल | 11:03:48 |
चंद्रोदय | 06:25:11 |
चंद्रास्त | 20:08:24 |
लग्न—– मेष 6°29′ , 6°29′
सूर्य नक्षत्र | अश्विनी |
चन्द्र नक्षत्र | भरणी |
नक्षत्र पाया | स्वर्ण |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
लू | भरणी 10:59:43 |
ले | भरणी 16:57:58 |
लो | भरणी 22:58:23 |
अ | कृत्तिका 29:01:04 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मेष 06 : 59 अश्विनी , 2 चे |
चन्द्र | मेष 17:56 , भरणी , 2 लू |
बुध | मेष 21°: 34′ भरणी’ 3 ले |
शुक्र | वृषभ 17 °05, रोहिणी ‘ 3 वी |
मंगल | मिथुन 19°30 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ |
गुरु | मीन 29°30 ‘ रेवती , 4 ची |
शनि | कुम्भ 10°13 ‘ शतभिषा ‘ 2 सा |
राहू | (व) मेष 10°12 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 10°12 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 10:41 – 12:18 अशुभ |
यम घंटा | 15:32 – 17:09 अशुभ |
गुली काल | 07:27 – 09:04 अशुभ |
अभिजित | 11:52 – 12:44 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:26 – 09:17 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:44 – 13:36 अशुभ |
वर्ज्यम | 08:37 – 10:12 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
चर | 05:51 – 07:27 शुभ |
लाभ | 07:27 – 09:04 शुभ |
अमृत | 09:04 – 10:41 शुभ |
काल | 10:41 – 12:18 अशुभ |
शुभ | 12:18 – 13:55 शुभ |
रोग | 13:55 – 15:32 अशुभ |
उद्वेग | 15:32 – 17:09 अशुभ |
चर | 17:09 – 18:46 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग | 18:46 – 20:09 अशुभ |
काल | 20:09 – 21:32 अशुभ |
लाभ | 21:32 – 22:55 शुभ |
उद्वेग | 22:55 – 24:18* अशुभ |
शुभ | 24:18 – 25:41 शुभ |
अमृत | 25:41 – 27:04 शुभ |
चर | 27:04 – 28:27 शुभ |
रोग | 28:27 – 29:50 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र | 05:51 – 06:55 |
बुध | 06:55 – 07:59 |
चन्द्र | 07:59 – 09:04 |
शनि | 09:04 – 10:09 |
बृहस्पति | 10:09 – 11:14 |
मंगल | 11:14 – 12:18 |
सूर्य | 12:18 – 13:23 |
शुक्र | 13:23 – 14:27 |
बुध | 14:27 – 15:32 |
चन्द्र | 15:32 – 16:37 |
शनि | 16:37 – 17:41 |
बृहस्पति | 17:41 – 18:46 |
🚩होरा, रात
मंगल | 18:46 – 19:41 |
सूर्य | 19:41 – 20:36 |
शुक्र | 20:36 – 21:32 |
बुध | 21:32 – 22:27 |
चन्द्र | 22:27 – 23:22 |
शनि | 23:22 – 24:18 |
बृहस्पति | 24:18* – 25:13 |
मंगल | 25:13* – 26:08 |
सूर्य | 26:08* – 27:04 |
शुक्र | 27:04* – 27:59 |
बुध | 27:59* – 28:54 |
चन्द्र | 28:54* – 29:50 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मेष | 04:38 से 07:22 तक |
वृषभ | 07:22 से 08:14 तक |
मिथुन | 08:14 से 10:34 तक |
कर्क | 10:34 से 12:32 तक |
सिंह | 12:32 से 14:58 तक |
कन्या | 14:58 से 17:24 तक |
तुला | 17:24 से 19:32 तक |
वृश्चिक | 19:32 से 2138 तक |
धनु | 21:38 से 11:44 तक |
मकर | 11:44 से 01:28 तक |
कुम्भ | 01:28 से 03:28 तक |
मीन | 03:28 से 05:34 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
1 + 6 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
*भारतीय वैशाख प्रारम्भ
*ऋषि पाराशर जयंती
*राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस
*सचिव दिवस