जीवन में सदैव श्रेय मिले न मिले,अपना श्रेष्ठ देना कभी भी बंद न करें आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 21/01/2023, शनिवार* अमावस्या, कृष्ण पक्ष,माघ समाप्ति काल
तिथि | अमावस्या 26:22:17 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | पूर्वाषाढा 09:39:13 |
नक्षत्र | उत्तराषाढा 30:28:42 |
योग | हर्शण 14:33:20 |
करण | चतुष्पद 16:20:28 |
करण | नाग 26:22:17 |
वार | शनिवार |
माह | माघ |
चन्द्र राशि | धनु 14:52:06 |
चन्द्र राशि | मकर |
सूर्य राशि | मकर |
रितु | शिशिर |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 07:11:25 |
सूर्यास्त | 17:49:40 |
दिन काल | 10:38:14 |
रात्री काल | 13:21:29 |
चंद्रास्त | 17:13:01 |
चंद्रोदय | 31:30:37 |
लग्न—- मकर 6°33′ , 276°33′
सूर्य नक्षत्र | उत्तराषाढा |
चन्द्र नक्षत्र | पूर्वाषाढा |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ढा | पूर्वाषाढा 09:39:13 |
भे | उत्तराषाढा 14:52:06 |
भो | उत्तराषाढा 20:04:30 |
जा | उत्तराषाढा 25:16:39 |
जी | उत्तराषाढा 30:28:42 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह | राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य | मकर 06 : 29 उ oषाo , 3 जा |
चन्द्र | धनु 25°:23, पू oषाo , 3 भा |
बुध | धनु 14°: 34′ पूo षा o ‘ 1 भू |
शुक्र | मकर 28°05, धनिष्ठा ‘ 2 गी |
मंगल | वृषभ 09°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु | मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ |
शनि | मकर 00°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू | (व)मेष 15°00 भरणी , 1 ली |
केतु | (व)तुला 15°00 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 09:51 – 11:11 अशुभ |
यम घंटा | 13:50 – 15:10 अशुभ |
गुली काल | 07:11 – 08:31 अशुभ |
अभिजित | 12:09 – 12:52 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:37 – 09:19 अशुभ |
वर्ज्यम | 16:36 – 17:59 अशुभ |
🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ | 13:50 – 15:10 शुभ |
अमृत | 15:10 – 16:30 शुभ |
काल | 07:11 – 08:31 अशुभ |
शुभ | 08:31 – 09:51 शुभ |
रोग | 09:51 – 11:11 अशुभ |
उद्वेग | 11:11 – 12:31 अशुभ |
चर | 12:31 – 13:50 शुभ |
काल | 16:30 – 17:50 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
लाभ | 17:50 – 19:30 शुभ |
शुभ | 21:10 – 22:50 शुभ |
अमृत | 22:50 – 24:30* शुभ |
चर | 24:30 – 26:11 शुभ |
रोग | 26:11 – 27:51 अशुभ |
काल | 27:51 – 29:31 अशुभ |
लाभ | 29:31 – 31:11 शुभ |
उद्वेग | 19:30 – 21:10 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शनि | 07:11 – 08:05 |
बृहस्पति | 08:05 – 08:58 |
मंगल | 08:58 – 09:51 |
सूर्य | 09:51 – 10:44 |
शुक्र | 10:44 – 11:37 |
बुध | 11:37 – 12:31 |
चन्द्र | 12:31 – 13:24 |
शनि | 13:24 – 14:17 |
बृहस्पति | 14:17 – 15:10 |
मंगल | 15:10 – 16:03 |
सूर्य | 16:03 – 16:56 |
शुक्र | 16:56 – 17:50 |
🚩होरा, रात
बुध | 17:50 – 18:56 |
चन्द्र | 18:56 – 20:03 |
शनि | 20:03 – 21:10 |
बृहस्पति | 21:10 – 22:17 |
मंगल | 22:17 – 23:24 |
सूर्य | 23:24 – 24:30 |
शुक्र | 24:30* – 25:37 |
बुध | 25:37* – 26:44 |
चन्द्र | 26:44* – 27:51 |
शनि | 27:51* – 28:58 |
बृहस्पति | 28:58* – 30:04 |
मंगल | 30:04* – 31:11 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु | 03:28 से 05:38 तक |
मकर | 05:46 से 07:34 तक |
कुम्भ | 07:34 से 09:14 तक |
मीन | 09: 14 से 10:34 तक |
मेष | 10:34 से 12:16 तक |
वृषभ | 12:16 से 16:34 तक |
कर्क | 16:34 से 18:46 तक |
सिंह | 18:46 से 21:00 तक |
कन्या | 21:00 से 11:10 तक |
तुला | 11:10 से 02:18 तक |
वृश्चिक | 02:18 से 03:28 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट–दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 7 + 1 = 38 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
शनिश्चरी अमावस्या
देव पितृकार्य अमावस्या
मौनी अमावस्या
दाऊजी जी झांकी श्री राधाबल्लभ जी
श्री बलभद्र भट्टाचार्य पाटोत्सव
सर्वार्थ सिद्धि योग 30:29तक
विश्व वानकी दिवस