ज्ञान अतीत की व्याख्या करने के लिए नहीं,बल्कि भविष्य के निर्माण के लिए होता है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 21/06/2023, बुधवार तृतीया, शुक्ल पक्ष, आषाढ समाप्ति काल
तिथि | तृतीया 15:09:11 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | पुष्य 25:19:46 |
योग | व्याघात 26:33:01 |
करण | गर 15:09:11 |
करण | वणिज 28:16:42 |
वार | बुधवार |
माह | आषाढ |
चन्द्र राशि | कर्क |
सूर्य राशि | मिथुन |
रितु | ग्रीष्म |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:25:40 |
सूर्यास्त | 19:16:14 |
दिन काल | 13:50:33 |
रात्री काल | 10:09:39 |
चंद्रोदय | 07:50:17 |
चंद्रास्त | 22:03:52 |
लग्न—– मिथुन 5°13′ , 65°13′
सूर्य नक्षत्र | मृगशिरा |
चन्द्र नक्षत्र | पुष्य |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
हे | पुष्य 11:55:36 |
हो | पुष्य 18:37:14 |
ड | पुष्य 25:19:46 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मिथुन 05: 30 मृगशिरा , 4 की |
चन्द्र | कर्क 06:16 , पुष्य , 2 हे |
बुध | वृषभ 23°: 34′ रोहिणी , 4 बु |
शुक्र | कर्क 19°05, अश्लेषा ‘ 1 डी |
मंगल | कर्क 24°30 ‘ अश्लेषा ‘ 3 डे |
गुरु | मेष 13°30 ‘ अश्विनी , 4 ला |
शनि | कुम्भ 13°13 ‘शतभिषा,2 सा |
राहू | (व) मेष 07°03 अश्विनी , 3 चो |
केतु | (व) तुला 07°03 स्वाति , 1 रू |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 12:21 – 14:05 अशुभ |
यम घंटा | 07:09 – 08:53 अशुभ |
गुली काल | 10:37 – 12: 21अशुभ |
अभिजित | 11:53 – 12:49 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 11:53 – 12:49 अशुभ |
वर्ज्यम | 07:28 – 09:15 अशुभ |
गंड मूल | 25:20* – अहोरात्र अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
लाभ | 05:26 – 07:09 शुभ |
अमृत | 07:09 – 08:53 शुभ |
काल | 08:53 – 10:37 अशुभ |
शुभ | 10:37 – 12:21 शुभ |
रोग | 12:21 – 14:05 अशुभ |
उद्वेग | 14:05 – 15:49 अशुभ |
चर | 15:49 – 17:32 शुभ |
लाभ | 17:32 – 19:16 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग | 19:16 – 20:32 अशुभ |
शुभ | 20:32 – 21:49 शुभ |
अमृत | 21:49 – 23:05 शुभ |
चर | 23:05 – 24:21* शुभ |
रोग | 24:21 – 25:37 अशुभ |
काल | 25:37 – 26:53 अशुभ |
लाभ | 26:53 – 28:10 शुभ |
उद्वेग | 28:10 – 29:26 अशुभ |
🚩होरा, दिन
बुध | 05:26 – 06:35 |
चन्द्र | 06:35 – 07:44 |
शनि | 07:44 – 08:53 |
बृहस्पति | 08:53 – 10:03 |
मंगल | 10:03 – 11:12 |
सूर्य | 11:12 – 12:21 |
शुक्र | 12:21 – 13:30 |
बुध | 13:30 – 14:39 |
चन्द्र | 14:39 – 15:49 |
शनि | 15:49 – 16:58 |
बृहस्पति | 16:58 – 18:07 |
मंगल | 18:07 – 19:16 |
🚩होरा, रात
सूर्य | 19:16 – 20:07 |
शुक्र | 20:07 – 20:58 |
बुध | 20:58 – 21:49 |
चन्द्र | 21:49 – 22:39 |
शनि | 22:39 – 23:30 |
बृहस्पति | 23:30 – 24:21 |
मंगल | 24:21* – 25:12 |
सूर्य | 25:12* – 26:03 |
शुक्र | 26:03* – 26:53 |
बुध | 26:53* – 27:44 |
चन्द्र | 27:44* – 28:35 |
शनि | 28:35* – 29:26 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मिथुन | 04:22 से 06:26 तक |
कर्क | 06:26 से 08:54 तक |
सिंह | 08:54 से 12:08 तक |
कन्या | 12:08 से 14:24 तक |
तुला | 14:24 से 15:24 तक |
वृश्चिक | 15:24 से 17:48 तक |
धनु | 17:48 से 19:52 तक |
मकर | 19:52 से 21:38 तक |
कुम्भ | 21:38 से 23:28 तक |
मीन | 23:28 से 00:42 तक |
मेष | 00:42 से 02:20 तक |
वृषभ | 02:20 से 04:18 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
3 + 4 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 28:18 से प्रारम्भ
मृत्यु लोक = सर्वकार विनाशिनी
विशेष जानकारी
*श्री वल्लभाचार्य पुण्य तिथि
विश्व योग दिवस
*सायन दक्षिणायन प्रारम्भ