सम्मान पूर्ण जीवन के लिए इच्छा से ज्यादा सहनशीलता की आवश्यकता होती है आपको और आपके परिवार को अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 22/04/2023, शनिवार द्वितीया, शुक्ल पक्ष, वैशाख “(समाप्ति काल)
तिथि | द्वितीया 07:48:42 तक फिर तृतीया |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | कृत्तिका 23:23:04 |
योग | आयुष्मान 09:23:49 |
करण | कौलव 07:48:42 |
करण | तैतिल 19:42:56 |
वार | शनिवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | वृषभ |
सूर्य राशि | मेष |
रितु | ग्रीष्म |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 05:49:35 |
सूर्यास्त | 18:46:19 |
दिन काल | 12:56:44 |
रात्री काल | 11:02:19 |
चंद्रोदय | 07:03:27 |
चंद्रास्त | 21:10:59 |
लग्न—– मेष 7°27′ , 7°27′
सूर्य नक्षत्र | अश्विनी |
चन्द्र नक्षत्र | कृत्तिका |
नक्षत्र पाया | लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ई | कृत्तिका 11:06:02 |
उ | कृत्तिका 17:13:22 |
ए | कृत्तिका 23:23:04 |
ओ | रोहिणी 29:35:10 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मेष 07 : 59 अश्विनी , 3 चो |
चन्द्र | वृषभ 00:56 , कृतिका , 2 ई |
बुध | मेष 21°: 34′ भरणी’ 3 ले |
शुक्र | वृषभ 18 °05, रोहिणी ‘ 3 वी |
मंगल | मिथुन 19°30 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ |
गुरु | मीन 29°30 ‘ रेवती , 4 ची |
शनि | कुम्भ 10°13 ‘ शतभिषा ‘ 2 सा |
राहू | (व) मेष 10°12 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 10°12 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 09:04 – 10:41 अशुभ |
यम घंटा | 13:55 – 15:32 अशुभ |
गुली काल | 05:50 – 07: 27अशुभ |
अभिजित | 11:52 – 12:44 शुभ |
दूर मुहूर्त | 07:33 – 08:25 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:44 – 13:36 अशुभ |
वर्ज्यम | 11:06 – 12:44 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
काल | 05:50 – 07:27 अशुभ |
शुभ | 07:27 – 09:04 शुभ |
रोग | 09:04 – 10:41 अशुभ |
उद्वेग | 10:41 – 12:18 अशुभ |
चर | 12:18 – 13:55 शुभ |
लाभ | 13:55 – 15:32 शुभ |
अमृत | 15:32 – 17:09 शुभ |
काल | 17:09 – 18:46 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
लाभ | 18:46 – 20:09 शुभ |
उद्वेग | 20:09 – 21:32 अशुभ |
शुभ | 21:32 – 22:55 शुभ |
अमृत | 22:55 – 24:17* शुभ |
चर | 24:17 – 25:40 शुभ |
रोग | 25:40 – 27:03 अशुभ |
काल | 27:03 – 28:26 अशुभ |
लाभ | 28:26 – 29:49 शुभ |
🚩होरा, दिन
शनि | 05:50 – 06:54 |
बृहस्पति | 06:54 – 07:59 |
मंगल | 07:59 – 09:04 |
सूर्य | 09:04 – 10:09 |
शुक्र | 10:09 – 11:13 |
बुध | 11:13 – 12:18 |
चन्द्र | 12:18 – 13:23 |
शनि | 13:23 – 14:27 |
बृहस्पति | 14:27 – 15:32 |
मंगल | 15:32 – 16:37 |
सूर्य | 16:37 – 17:42 |
शुक्र | 17:42 – 18:46 |
🚩होरा, रात
बुध | 18:46 – 19:42 |
चन्द्र | 19:42 – 20:37 |
शनि | 20:37 – 21:32 |
बृहस्पति | 21:32 – 22:27 |
मंगल | 22:27 – 23:22 |
सूर्य | 23:22 – 24:17 |
शुक्र | 24:17* – 25:13 |
बुध | 25:13* – 26:08 |
चन्द्र | 26:08* – 27:03 |
शनि | 27:03* – 27:58 |
बृहस्पति | 27:58* – 28:53 |
मंगल | 28:53* – 29:49 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मेष | 04:34 से 07:18 तक |
वृषभ | 07:18 से 08:10 तक |
मिथुन | 08:10 से 10:30 तक |
कर्क | 10:30 से 12:28 तक |
सिंह | 12:28 से 14:54 तक |
कन्या | 14:54 से 17:20 तक |
तुला | 17:20 से 19:28 तक |
वृश्चिक | 19:28 से 2134 तक |
धनु | 21:34 से 11:40 तक |
मकर | 11:40 से 01:24 तक |
कुम्भ | 01:24 से 03:24 तक |
मीन | 03:24 से 05:30 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
2 + 7 + 1 = 10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
2 + 2 + 5 = 9 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
अक्षय तृतीया
श्री परशुराम जन्मोत्सव
श्री शिवाजी जयंती
श्री बांके बिहारी जी चरण दर्शन
चंदन यात्रा, जलकुम्भ दान श्री द्वारिकाधीश जी
सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 23:23 से