समुद्री जहाज किनारे पर सबसे ज्यादा सुरक्षित होता है ,लेकिन वो वहां पर खड़े रहने के लिए नहीं बना है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 25/03/2023, शनिवार* चतुर्थी, शुक्ल पक्ष, चैत्र समाप्ति काल
तिथि | चतुर्थी 16:22:32 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | भरणी 13:17:53 |
योग | विश्कुम्भ 24:17:57 |
करण | विष्टि भद्र 16:22:32 |
करण | बव 28:21:37 |
वार | शनिवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | वृषभ |
चन्द्र राशि | मेष 19:24:08 |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 06:19:19 |
सूर्यास्त | 18:31:32 |
दिन काल | 12:12:13 |
रात्री काल | 11:46:39 |
चंद्रोदय | 08:31:16 |
चंद्रास्त | 22:26:07 |
लग्न—–मीन 9°56′ , 339°56′
सूर्य नक्षत्र | उo भाo |
चन्द्र नक्षत्र | भरणी |
नक्षत्र पाया | स्वर्ण |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ले | भरणी 07:14:29 |
लो | भरणी 13:17:53 |
अ | कृत्तिका 19:24:08 |
ई | कृत्तिका 25:33:14 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 09 : 59 उ o भा o , 2 थ |
चन्द्र | मेष 22°:23, भरणी, 3 ले |
बुध | मीन 17°: 34′ रेवती’ 1 दे |
शुक्र | मेष 15 °05, भरणी ‘ 1 ली |
मंगल | मिथुन 05°30 ‘ मृगशिरा’ 4 की |
गुरु | मीन 23°30 ‘ रेवती , 2 दो |
शनि | कुम्भ 7°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 11°40 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 11°40 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 09:22 – 10:54 अशुभ |
यम घंटा | 13:57 – 15:28 अशुभ |
गुली काल | 06:19 – 07: 51अशुभ |
अभिजित | 12:01 – 12:50 शुभ |
दूर मुहूर्त | 07:57 – 08:46 अशुभ |
वर्ज्यम | 25:33 – 27:12 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
काल | 06:19 – 07:51 अशुभ |
शुभ | 07:51 – 09:22 शुभ |
रोग | 09:22 – 10:54 अशुभ |
उद्वेग | 10:54 – 12:25 अशुभ |
चर | 12:25 – 13:57 शुभ |
लाभ | 13:57 – 15:28 शुभ |
अमृत | 15:28 – 17:00 शुभ |
काल | 17:00 – 18:32 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
लाभ | 18:32 – 19:59 शुभ |
उद्वेग | 19:59 – 21:28 अशुभ |
शुभ | 21:28 – 22:57 शुभ |
अमृत | 22:57 – 24:25* शुभ |
चर | 24:25 – 25:53 शुभ |
रोग | 25:53 – 27:22 अशुभ |
काल | 27:22 – 28:50 अशुभ |
लाभ | 28:50 – 30:18 शुभ |
🚩होरा, दिन
शनि | 06:19 – 07:20 |
बृहस्पति | 07:20 – 08:21 |
मंगल | 08:21 – 09:22 |
सूर्य | 09:22 – 10:23 |
शुक्र | 10:23 – 11:24 |
बुध | 11:24 – 12:25 |
चन्द्र | 12:25 – 13:26 |
शनि | 13:26 – 14:27 |
बृहस्पति | 14:27 – 15:28 |
मंगल | 15:28 – 16:30 |
सूर्य | 16:30 – 17:31 |
शुक्र | 17:31 – 18:32 |
🚩होरा, रात
बुध | 18:32 – 19:30 |
चन्द्र | 19:30 – 20:29 |
शनि | 20:29 – 21:28 |
बृहस्पति | 21:28 – 22:27 |
मंगल | 22:27 – 23:26 |
सूर्य | 23:26 – 24:25 |
शुक्र | 24:25* – 25:24 |
बुध | 25:24* – 26:23 |
चन्द्र | 26:23* – 27:22 |
शनि | 27:22* – 28:20 |
बृहस्पति | 28:20* – 29:19 |
मंगल | 29:19* – 30:18 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन | 04:58 से 06:28 तक |
मेष | 06:28 से 08:12 तक |
वृषभ | 08:12 से 10:06 तक |
मिथुन | 10:06 से 12:24 तक |
कर्क | 12:24 से 14:36 तक |
सिंह | 14:36 से 16:48 तक |
कन्या | 16:48 से 18:58 तक |
तुला | 18:58 से 21:14 तक |
वृश्चिक | 21:14 से 00:34 तक |
धनु | 00:34 से 01:40 तक |
मकर | 01:40 से 03:12 तक |
कुम्भ | 03:12 से 04:54 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
4 + 7 + 1 = 12 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
सांय 16:22 तक समाप्त
विशेष जानकारी
नवरात्रि चतुर्थ दिवस कुष्मांडा पूजन
विनायक चतुर्थी व्रत
बूढ़ी गणगौर
गुरु अंगददेव पुण्य दिवस