सम्बन्ध को जोड़ना एक कला है, लेकिन सम्बन्ध को निभाना” एक साधना आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 26/01/2023, गुरुवार* पंचमी, शुक्ल पक्ष, माघ समाप्ति काल, बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
तिथि | पंचमी 10:27:33 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | उत्तरा भाद्रपद 18:55:36 |
योग | शिव 15:27:39 |
करण | बालव 10:27:33 |
करण | कौलव 21:42:21 |
वार | गुरूवार |
माह | माघ |
चन्द्र राशि | मीन |
सूर्य राशि | मकर |
रितु | शिशिर |
आयन | उत्तरायण |
सायन | वसंत |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 07:09:54 |
सूर्यास्त | 17:53:43 |
दिन काल | 10:43:49 |
रात्री काल | 13:15:47 |
चंद्रोदय | 10:24:42 |
चंद्रास्त | 22:54:31 |
लग्न—- मकर 11°38′ , 281°38′
सूर्य नक्षत्र | श्रवण |
चन्द्र नक्षत्र | उoभाo |
नक्षत्र पाया | ताम्र |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
थ | उत्तरभाद्रपदा 07:24:02 |
झ | उत्तरभाद्रपदा 13:08:19 |
ञ | उत्तरभाद्रपदा 18:55:36 |
दे | रेवती 24:45:56 |
दो | रेवती 30:39:22 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह | राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य | मकर 11 : 29 श्रवण , 1 खी |
चन्द्र | मीन 09°:23, पू o भा o , 2 थ |
बुध | धनु 17°: 34′ पूo षा o ‘ 2 धा |
शुक्र | मकर 04°05, धनिष्ठा ‘ 4 गे |
मंगल | वृषभ 15°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु | मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ |
शनि | कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी |
राहू | (व) मेष 14°45 भरणी , 1 ली |
केतु | (व)तुला 14°45 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 15:13 16.33 अशुभ |
यम घंटा | 07:10 – 08:30 अशुभ |
गुली काल | 09:51 – 11: 11अशुभ |
अभिजित | 12:10 – 12:53 शुभ |
दूर मुहूर्त | 10:45 – 11:27 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 15:02 – 15:45 अशुभ |
वर्ज्यम | 30:39 – 32:14 अशुभ |
💮गंड मूल 18:56 – अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ | 12:32 – 13:52 शुभ |
काल | 15:13 – 16:33 अशुभ |
शुभ | 07:10 – 08:30 शुभ |
रोग | 08:30 – 09:51 अशुभ |
उद्वेग | 09:51 – 11:11 अशुभ |
चर | 11:11 – 12:32 शुभ |
अमृत | 13:52 – 15:13 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत | 17:54 – 19:33 शुभ |
चर | 19:33 – 21:13 शुभ |
रोग | 21:13 – 22:52 अशुभ |
काल | 22:52 – 24:32* अशुभ |
लाभ | 24:32 – 26:11 शुभ |
उद्वेग | 26:11 – 27:51 अशुभ |
शुभ | 27:51 – 29:30 शुभ |
अमृत | 29:30 – 31:10 शुभ |
🚩होरा, दिन
बुध | 10:45 – 11:38 |
चन्द्र | 08:04 – 08:57 |
शनि | 08:57 – 09:51 |
बृहस्पति | 07:10 – 08:04 |
मंगल | 08:04 – 08:57 |
सूर्य | 08:57 – 09:51 |
शुक्र | 09:51 – 10:45 |
बुध | 17:00 – 17:54 |
चन्द्र | 11:38 – 12:32 |
मंगल | 14:19 – 15:13 |
शनि | 12:32 – 13:25 |
बृहस्पति | 13:25 – 14:19 |
सूर्य | 15:13 – 16:06 |
शुक्र | 16:06 – 17:00 |
🚩होरा, रात
बुध | 24:32* – 25:38 |
बृहस्पति | 20:06 – 21:13 |
मंगल | 21:13 – 22:19 |
सूर्य | 22:19 – 23:25 |
शुक्र | 23:25 – 24:32 |
चन्द्र | 17:54 – 19:00 |
शनि | 19:00 – 20:06 |
बृहस्पति | 27:51* – 28:57 |
मंगल | 28:57* – 30:03 |
सूर्य | 30:03* – 31:10 |
शुक्र | 26:44* – 27:51 |
शनि | 26:44* – 27:51 |
चन्द्र | 25:38* – 26:44 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु | 03:36 से 05:46 तक |
मकर | 05:56 से 07:42 तक |
कुम्भ | 07:42 से 09:22 तक |
मीन | 09: 22 से 10:42 तक |
मेष | 10:42 से 12:24 तक |
वृषभ | 12:24 से 16:42 तक |
कर्क | 16:42 से 18:54 तक |
सिंह | 18:54 से 21:08 तक |
कन्या | 21:08 से 11:12 तक |
तुला | 11:12 से 02:26 तक |
वृश्चिक | 02:26 से 03:36 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
5 + 5 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
5 + 5+ 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
वसंत पंचमी (सरस्वती पूजन)
सरस्वती प्राकट्योत्सव
गणतंत्र दिवस
सर्वार्थ सिद्धि योग 18:56 से
होली डंडा रोपण
बसंती पोशाक धारण श्री राधावल्लभ जी
वसंती कमरा दर्शन श्री शाहजी मन्दिर वृन्दावन