जीवन न तो पीड़ा है,और न ही आनंद,यह वैसा ही बन जाता है जैसा आप उसे बनाते है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:- 27/02/2023, सोमवार* अष्टमी, शुक्ल पक्ष, फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि | अष्टमी 26:20:51 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | रोहिणी 31:18:26 |
योग | वैधृति 16:10:01 |
करण | विष्टि भद्र 13:34:33 |
करण | बव 26:20:51 |
वार | सोमवार |
माह | फाल्गुन |
चन्द्र राशि | वृषभ |
सूर्य राशि | कुम्भ |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 06:47:18 |
सूर्यास्त | 18:16:57 |
दिन काल | 11:29:38 |
रात्री काल | 12:29:22 |
चंद्रोदय | 11:17:44 |
चंद्रास्त | 25:39:38 |
लग्न—- कुम्भ 13°59′ , 313°59′
सूर्य नक्षत्र | शतभिषा |
चन्द्र नक्षत्र | रोहिणी |
नक्षत्र पाया | लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ओ | रोहिणी 11:44:18 |
वा | रोहिणी 18:13:26 |
वी | रोहिणी 24:44:52 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | कुम्भ 13 : 29 शतभिषा , 2 सा |
चन्द्र | वृषभ 10°:23, रोहिणी , 1 ओ |
बुध | मकर 29 °: 34′ धनिष्ठा’ 2 गी |
शुक्र | मीन 14 °05, उ o भा o ‘ 4 ञ |
मंगल | वृषभ 24°30 ‘ मृगशिरा’ 1 वे |
गुरु | मीन 17°30 ‘ रेवती , 1 दे |
शनि | कुम्भ 04°53 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे |
राहू | (व)मेष 13°05 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व)तुला 13°05 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 08:14 – 09:40 अशुभ |
यम घंटा | 11:06 – 12:32 अशुभ |
गुली काल | 13:58 – 15:25 अशुभ |
अभिजित | 12:09 – 12:55 शुभ |
दूर मुहूर्त | 12:55 – 13:41 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 15:13 – 15:59 अशुभ |
वर्ज्यम | 22:34 – 24:19* अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
रोग | 11:06 – 12:32 अशुभ |
उद्वेग | 12:32 – 13:58 अशुभ |
चर | 13:58 – 15:25 शुभ |
लाभ | 15:25 – 16:51 शुभ |
अमृत | 06:47 – 08:14 शुभ |
काल | 08:14 – 09:40 अशुभ |
शुभ | 09:40 – 11:06 शुभ |
चर | 16:49 – 18:15 शुभ |
काल | 16:50 – 18:16 अशुभ |
अमृत | 16:51 – 18:17 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
चर | 18:17 – 19:51 शुभ |
रोग | 19:51 – 21:24 अशुभ |
काल | 21:24 – 22:58 अशुभ |
लाभ | 22:58 – 24:32* शुभ |
उद्वेग | 24:32 – 26:05 अशुभ |
शुभ | 26:05 – 27:39 शुभ |
अमृत | 27:39 – 29:13 शुभ |
चर | 29:13 – 30:46 शुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र | 10:38 – 11:35 |
बुध | 11:35 – 12:32 |
चन्द्र | 06:47 – 07:45 |
शनि | 07:45 – 08:42 |
बृहस्पति | 08:42 – 09:40 | मंगल | 09:40 – 10:37 |
सूर्य | 10:37 – 11:35 |
शुक्र | 11:35 – 12:32 |
बुध | 12:32 – 13:30 |
चन्द्र | 13:30 – 14:27 |
शनि | 14:27 – 15:25 |
मंगल | 16:22 – 17:19 |
बृहस्पति | 15:25 – 16:22 |
सूर्य | 17:19 – 18:17 |
🚩होरा, रात
शुक्र | 18:17 – 19:19 |
बुध | 19:19 – 20:22 |
चन्द्र | 20:22 – 21:24 |
शनि | 21:24 – 22:27 |
बृहस्पति | 22:27 – 23:29 |
मंगल | 23:29 – 24:32 |
सूर्य | 24:32* – 25:34 |
शुक्र | 25:34* – 26:37 |
बुध | 26:37* – 27:39 |
चन्द्र | 27:39* – 28:41 |
शनि | 28:41* – 29:44 |
बृहस्पति | 29:44* – 30:46 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर | 03:22 से 04: 32 तक |
कुम्भ | 04: 46 से 07:10 तक |
मीन | 07:10 से 08:18 तक |
मेष | 08:18 से 09:52 तक |
वृषभ | 09:52 से 11:54 तक |
मिथुन | 11:54 से 14:22 तक |
कर्क | 14:22 से 17:24 तक |
सिंह | 17:24 से 18:38 तक |
कन्या | 18:38 से 21:44 तक |
तुला | 21:44 से 00:20 तक |
वृश्चिक | 00:20 से 01:20 तक |
धनु | 01:20 से 03: 22 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 2 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:34 तक समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
विशेष जानकारी
होलाष्टक प्रारम्भ
दुर्गाष्टमी
लड्डुओं की होली श्रीजी मंदिर बरसाना
चन्द्र शेखर आजाद शहीद दिवस
दादू दयाल पुण्य तिथि
*कुम्भे बुध:*