यदि आप स्वयं प्रसन्न हैं,तो जिंदगी उत्तम है,यदि आपकी वजह से लोग प्रसन्न हैं,तो जिंदगी सर्वोत्तम है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-27/01/2023, शुक्रवार षष्ठी, शुक्ल पक्ष, माघ समाप्ति काल
तिथि |
षष्ठी 09:09:41 तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
रेवती 18:35:34 |
योग |
सिद्ध 13:20:26 |
करण |
तैतिल 09:09:41 |
करण |
गर 20:49:46 |
वार |
शुक्रवार |
माह |
माघ |
चन्द्र राशि |
मीन, मेष |
सूर्य राशि |
मकर |
रितु |
शिशिर |
आयन |
उत्तरायण |
सायन |
वसंत |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:09:31 |
सूर्यास्त |
17:54:32 |
दिन काल |
10:45:00 |
रात्री काल |
13:14:35 |
चंद्रोदय |
10:57:07 |
चंद्रास्त |
23:54:15 |
लग्न—- मकर 12°39′ , 282°39′
सूर्य नक्षत्र |
श्रवण |
चन्द्र नक्षत्र |
रेवती |
नक्षत्र पाया |
स्वर्ण |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
च |
रेवती 12:35:55 |
ची |
रेवती 18:35:34 |
चु |
अश्विनी 24:38:20 |
चे |
अश्विनी 30:44:10 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह |
राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य |
मकर 12 : 29 श्रवण , 1 खी |
चन्द्र |
मीन 23°:23, रेवती , 3 च |
बुध |
धनु 18°: 34′ पूo षा o ‘ 2 धा |
शुक्र |
मकर 05°05, धनिष्ठा ‘ 4 गे |
मंगल |
वृषभ 15°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु |
मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ |
शनि |
कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी |
राहू |
(व)मेष 14°40 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व)तुला 14°40 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
11:11 – 12:32 अशुभ |
यम घंटा |
15:13 – 16:34 अशुभ |
गुली काल |
08:30 – 09: 51अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:54 शुभ |
दूर मुहूर्त |
09:19 – 10:02 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:54 – 13:37 अशुभ |
वर्ज्यम |
38:57 – 40:36 अशुभ |
💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक 07:10 – 18:36 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ |
08:30 – 09:51 शुभ |
काल |
11:11 – 12:32 अशुभ |
शुभ |
12:32 – 13:53 शुभ |
रोग |
13:53 – 15:13 अशुभ |
उद्वेग |
15:13 – 16:34 अशुभ |
चर |
16:34 – 17:55 शुभ |
अमृत |
09:51 – 11:11 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत |
17:54 – 19:33 शुभ |
चर |
27:50 – 29:30 शुभ |
रोग |
29:30 – 31:09 अशुभ |
काल |
19:34 – 21:13 अशुभ |
लाभ |
21:13 – 22:53 शुभ |
उद्वेग |
22:53 – 24:32* अशुभ |
शुभ |
24:32 – 26:11 शुभ |
अमृत |
26:11 – 27:50 शुभ |
🚩होरा, दिन
बुध |
08:03 – 08:57 |
चन्द्र |
08:57 – 09:51 |
शनि |
09:51 – 10:45 |
बृहस्पति |
10:45 – 11:38 |
मंगल |
11:38 – 12:32 |
सूर्य |
12:32 – 13:26 |
शुक्र |
07:10 – 08:03 |
बुध |
14:20 – 15:13 |
चन्द्र |
15:13 – 16:07 |
मंगल |
14:19 – 15:13 |
शनि |
16:07 – 17:01 |
बृहस्पति |
17:01 – 17:55 |
सूर्य |
15:13 – 16:06 |
शुक्र |
13:26 – 14:20 |
🚩होरा, रात
बुध |
21:13 – 22:19 |
बृहस्पति |
24:32* – 25:38 |
मंगल |
17:55 – 19:01 |
सूर्य |
19:01 – 20:07 |
शुक्र |
20:07 – 21:13 |
चन्द्र |
22:19 – 23:26 |
शनि |
23:26 – 24:32 |
बृहस्पति |
27:51* – 28:57 |
मंगल |
25:38* – 26:44 |
सूर्य |
26:44* – 27:50 |
शुक्र |
27:50* – 28:57 |
शनि |
26:44* – 27:51 |
बुध |
28:57* – 30:03 |
चन्द्र |
30:03* – 31:09 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु |
03:32 से 05:42 तक |
मकर |
05:52 से 07:38 तक |
कुम्भ |
07:38 से 09:18 तक |
मीन |
09: 18 से 10:38 तक |
मेष |
10:38 से 12:20 तक |
वृषभ |
12:20 से 16:38 तक |
कर्क |
16:38 से 18:50 तक |
सिंह |
18:50 से 21:04 तक |
कन्या |
21:04 से 11:08 तक |
तुला |
11:08 से 02:22 तक |
वृश्चिक |
02:22 से 03:32 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा दही खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
6 + 6 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है।
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष
वृषाभा रूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
मंदार षष्ठी दरिद्रहरण
सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग 18:36 तक
भास्कर श्रीनिवासाचार्य, श्रीदेवाचार्य पाटोत्सव