आपको कुछ भी सर्वश्रेष्ठ पाना है तो पहले दुनिया को सर्वश्रेष्ठ देना होगा आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 28/04/2023, शुक्रवार अष्टमी, शुक्ल पक्ष, वैशाख समाप्ति काल
| तिथि |
अष्टमी 16:00:48 तक |
| पक्ष |
शुक्ल |
| नक्षत्र |
पुष्य 09:51:38 |
| योग |
शूल 09:37:06 |
| करण |
बव 16:00:48 |
| करण |
बालव 29:12:20 |
| वार |
शुक्रवार |
| माह |
वैशाख |
| चन्द्र राशि |
कर्क |
| सूर्य राशि |
मेष |
| रितु |
ग्रीष्म |
| आयन |
उत्तरायण |
| संवत्सर |
पिंगल |
| विक्रम संवत |
2080 |
| शक संवत |
1945 |
| सूर्योदय |
05:44:10 |
| सूर्यास्त |
18:49:41 |
| दिन काल |
13:05:31 |
| रात्री काल |
10:53:37 |
| चंद्रोदय |
12:10:04 |
| चंद्रास्त |
26:08:53 |
लग्न—– मेष 13°18′ , 13°18′
| सूर्य नक्षत्र |
अश्विनी |
| चन्द्र नक्षत्र |
पुष्य |
| नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
| ड |
पुष्य 09:51:38 |
| डी |
आश्लेषा 16:35:39 |
| डू |
आश्लेषा 23:19:33 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
| सूर्य |
मेष 13 : 59 अश्विनी , 4 ला |
| चन्द्र |
कर्क 14:56 , पुष्य , 4 ड |
| बुध |
मेष 19°: 34′ भरणी’ , 2 लू |
| शुक्र |
वृषभ 25°05, मृगशिरा ‘ 1 वे |
| मंगल |
मिथुन 23°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 1 के |
| गुरु |
मेष 01°30 ‘ अश्विनी , 1 चू |
| शनि |
कुम्भ 11°13 ‘ शतभिषा ,2 सा |
| राहू |
(व) मेष 09°50 अश्विनी , 4 ला |
| केतु |
(व) तुला 09°50 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
| राहू काल |
10:39 – 12:17 अशुभ |
| यम घंटा |
15:33 – 17:11 अशुभ |
| गुली काल |
07:22 – 09:01अशुभ |
| अभिजित |
11:51 – 12:43 शुभ |
| दूर मुहूर्त |
08:21 – 09:14 अशुभ |
| दूर मुहूर्त |
12:43 – 13:35 अशुभ |
| वर्ज्यम |
24:13 – 26:01 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
| चर |
05:44 – 07:22 शुभ |
| लाभ |
07:22 – 09:01 शुभ |
| अमृत |
09:01 – 10:39 शुभ |
| काल |
10:39 – 12:17 अशुभ |
| शुभ |
12:17 – 13:55 शुभ |
| रोग |
13:55 – 15:33 अशुभ |
| उद्वेग |
15:33 – 17:11 अशुभ |
| चर |
17:11 – 18:50 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
| रोग |
18:50 – 20:11 अशुभ |
| काल |
20:11 – 21:33 अशुभ |
| लाभ |
21:33 – 22:55 शुभ |
| उद्वेग |
22:55 – 24:17* अशुभ |
| शुभ |
24:17 – 25:38 शुभ |
| अमृत |
25:38 – 26:59 शुभ |
| चर |
26:59 – 28:22 शुभ |
| रोग |
28:22 – 29:43 अशुभ |
🚩होरा, दिन
| शुक्र |
05:44 – 06:50 |
| बुध |
06:50 – 07:55 |
| चन्द्र |
07:55 – 09:01 |
| शनि |
09:01 – 10:06 |
| बृहस्पति |
10:06 – 11:11 |
| मंगल |
11:11 – 12:17 |
| सूर्य |
12:17 – 13:22 |
| शुक्र |
13:22 – 14:28 |
| बुध |
14:28 – 15:33 |
| चन्द्र |
15:33 – 16:39 |
| शनि |
16:39 – 17:44 |
| बृहस्पति |
17:44 – 18:50 |
🚩होरा, रात
| मंगल |
18:50 – 19:44 |
| सूर्य |
19:44 – 20:39 |
| शुक्र |
20:39 – 21:33 |
| बुध |
21:33 – 22:28 |
| चन्द्र |
22:28 – 23:22 |
| शनि |
23:22 – 24:17 |
| बृहस्पति |
24:17* – 25:11 |
| मंगल |
25:11* – 26:05 |
| सूर्य |
26:05* – 26:59 |
| शुक्र |
26:59* – 27:54 |
| बुध |
27:54* – 28:49 |
| चन्द्र |
28:49* – 29:43 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
| मेष |
04:18 से 06:58 तक |
| वृषभ |
06:58 से 07: 50 तक |
| मिथुन |
07:50 से 10:14 तक |
| कर्क |
10:14 से 12:12 तक |
| सिंह |
12:12 से 14:28 तक |
| कन्या |
14:28 से 16:54 तक |
| तुला |
16:54 से 19:02 तक |
| वृश्चिक |
19:02 से 21:08 तक |
| धनु |
21:08 से 11:14 तक |
| मकर |
11:14 से 00:54 तक |
| कुम्भ |
00:54 से 02:48 तक |
| मीन |
02:48 से 04:14 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
| दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
| जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
| कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
| लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
| कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 6 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशानवास वास = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
देवी बगलामुखी जयंती
श्रीजी मन्दिर चाव सवारी 4दिन राधाबल्लभ वृन्दावन