गुणों के सहारे ही व्यक्ति सफल हो पाता है ,मगर विनय और विवेक साथ हो तो शिखर छू जाता है
आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 31/01/2023, मंगलवार* दशमी, शुक्ल पक्ष, माघ समाप्ति काल
तिथि | दशमी 11:53:14 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | रोहिणी 24:38:06 |
योग | ब्रह्म 10:57:25 |
करण | गर 11:53:14 |
करण | वणिज 24:54:43 |
वार | मंगलवार |
माह | माघ |
चन्द्र राशि | वृषभ |
सूर्य राशि | मकर |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 07:07:46 |
सूर्यास्त | 17:57:43 |
दिन काल | 10:49:57 |
रात्री काल | 13:09:32 |
चंद्रोदय | 13:21:33 |
चंद्रास्त | 27:46:41 |
लग्न—- मकर 16°43′ , 286°43′
सूर्य नक्षत्र | श्रवण |
चन्द्र नक्षत्र | रोहिणी |
नक्षत्र पाया | लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वा | रोहिणी 11:22:59 |
वी | रोहिणी 17:59:50 |
वु | रोहिणी 24:38:06 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह | राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य | मकर 16 : 29 श्रवण , 3 खे |
चन्द्र | वृषभ 14°:23, रोहिणी , 2 वा |
बुध | धनु 21°: 34′ पूo षा o ‘ 3 फा |
शुक्र | कुम्भ 10°05, शतभिषा ‘ 2 सा |
मंगल | वृषभ 15°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु | मीन 11°30 ‘ उ o भा o, 3 झ |
शनि | कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू | (व)मेष 14°30 भरणी , 1 ली |
केतु | (व)तुला 14°30 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 16:36 17:58अशुभ |
यम घंटा | 09:50 – 11:12 अशुभ |
गुली काल | 12:33 – 13:54 अशुभ |
अभिजित | 12:11 – 12:54 शुभ |
दूर मुहूर्त | 09:18 – 10:01 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:14 – 23:57 अशुभ |
वर्ज्यम | 15:47 – 17:33 अशुभ |
💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक 07:10 – 18:36 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग | 16:36 – 17:58 अशुभ |
लाभ | 11:12 – 12:33 शुभ |
काल | 13:54 – 15:15 अशुभ |
शुभ | 15:15 – 16:36 शुभ |
रोग | 07:08 – 08:29 अशुभ |
उद्वेग | 08:29 – 09:50 अशुभ |
चर | 09:50 – 11:12 शुभ |
अमृत | 12:33 – 13:54 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत | 17:54 – 19:33 शुभ |
चर | 17:57 – 19:36 शुभ |
रोग | 27:50 – 29:29 अशुभ |
काल | 17:58 – 19:36 अशुभ |
लाभ | 19:36 – 21:15 शुभ |
उद्वेग | 21:15 – 22:54 अशुभ |
शुभ | 22:54 – 24:33* शुभ |
अमृत | 24:33 – 26:11 शुभ |
चर | 26:11 – 27:50 शुभ |
काल | 29:29 – 31:07 अशुभ |
🚩होरा, दिन
चन्द्र | 10:44 – 11:39 |
शनि | 11:39 – 12:33 |
बृहस्पति | 12:33 – 13:27 |
मंगल | 07:08 – 08:02 |
सूर्य | 08:02 – 08:56 |
शुक्र | 08:56 – 09:50 |
बुध | 09:50 – 10:44 |
चन्द्र | 17:04 – 17:58 |
मंगल | 13:27 – 14:21 |
शनि | 14:21 – 15:15 |
बृहस्पति | 15:15 – 16:09 |
सूर्य | 14:21 – 15:15 |
शुक्र | 15:15 – 16:09 |
बुध | 16:09 – 17:04 |
🚩होरा, रात
बुध | 23:27 – 24:33 |
बृहस्पति | 19:04 – 20:09 |
मंगल | 20:09 – 21:15 |
सूर्य | 21:15 – 22:21 |
शुक्र | 22:21 – 23:27 |
चन्द्र | 24:33* – 25:38 |
शनि | 25:38* – 26:44 |
बृहस्पति | 26:44* – 27:50 |
मंगल | 27:50* – 28:56 |
सूर्य | 28:56* – 30:01 |
शुक्र | 30:01* – 31:07 |
शनि | 28:56* – 30:02 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु | 02:56 से 05:02 तक |
मकर | 05:06 से 06:54 तक |
कुम्भ | 06:54 से 08:36 तक |
मीन | 08: 36 से 09:54 तक |
मेष | 09:54 से 11:30 तक |
वृषभ | 11:30 से 15:58 तक |
कर्क | 15:58 से 18:04 तक |
सिंह | 18:04 से 20:18 तक |
कन्या | 20:18 से 10:22 तक |
तुला | 10:22 से 01:46 तक |
वृश्चिक | 01:46 से 02:56 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
10 + 3 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
10+ 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 24:58 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
विशेष जानकारी
ठाकुर राधादामोदार प्राकट्योत्सव वृन्दावन
रोहिणी व्रत
गुरु हरराय जयंती
जयशंकर प्रसार जयंती (तिथि अनुसार)