सपने तो प्रतिदिन हर लोग हजारों देखते है पर हमारे अंदर उन्हें पूरा करने की जिद भी होनी चाहिए आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 31/03/2023, शुक्रवार दशमी, शुक्ल पक्ष, चैत्र समाप्ति काल
तिथि |
दशमी 25:57:53 तक |
पक्ष |
शुक्ल |
नक्षत्र |
पुष्य 25:56:00 |
योग |
सुकर्मा 25:54:25 |
करण |
तैतुल 12:43:56 |
करण |
गर 25:57:53 |
वार |
शुक्रवार |
माह |
चैत्र |
चन्द्र राशि |
कर्क |
सूर्य राशि |
मीन |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
पिंगल |
विक्रम संवत |
2080 |
शक संवत |
1945 |
सूर्योदय |
06:12:35 |
सूर्यास्त |
18:34:39 |
दिन काल |
12:22:03 |
रात्री काल |
11:36:49 |
चंद्रोदय |
13:24:39 |
चंद्रास्त |
27:35:11 |
लग्न—– मीन 15°52′ , 345°52′
सूर्य नक्षत्र |
उo भाo |
चन्द्र नक्षत्र |
पुष्य |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
हे |
पुष्य 12:27:14 |
हो |
पुष्य 19:11:44 |
|
पुष्य 25:56:00 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मीन 15 : 59 उ o भा o , 4 ञ |
चन्द्र |
कर्क 06°:56, पुष्य, 2 हे |
बुध |
मीन 29°: 34′ रेवती’ 4 ची |
शुक्र |
मेष 22 °05, भरणी ‘ 3 ले |
मंगल |
मिथुन 08°30 ‘ आर्द्रा ‘ 1 कु |
गुरु |
मीन 24°30 ‘ रेवती , 3 च |
शनि |
कुम्भ 8°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू |
(व) मेष 11°25 अश्विनी , 4 ला |
केतु |
(व) तुला 11°25 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
10:51 – 12:24 अशुभ |
यम घंटा |
15:29 – 17:02 अशुभ |
गुली काल |
07:45 – 09: 18 अशुभ |
अभिजित |
11:59 – 12:48 शुभ |
दूर मुहूर्त |
08:41 – 09:30 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
12:48 – 13:38 अशुभ |
वर्ज्यम |
07:58 – 09:45 अशुभ |
🚩गंड मूल 25:56* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर |
06:13 – 07:45 शुभ |
लाभ |
07:45 – 09:18 शुभ |
अमृत |
09:18 – 10:51 शुभ |
काल |
10:51 – 12:24 अशुभ |
शुभ |
12:24 – 13:56 शुभ |
रोग |
13:56 – 15:29 अशुभ |
उद्वेग |
15:29 – 17:02 अशुभ |
चर |
17:02 – 18:35 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग |
18:35 – 20:02 अशुभ |
काल |
20:02 – 21:29 अशुभ |
लाभ |
21:29 – 22:56 शुभ |
उद्वेग |
22:56 – 24:23* अशुभ |
शुभ |
24:23 – 25:50 शुभ |
अमृत |
25:50 – 27:17 शुभ |
चर |
27:17 – 28:44 शुभ |
रोग |
28:44 – 30:11 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र |
06:13 – 07:14 |
बुध |
07:14 – 08:16 |
चन्द्र |
08:16 – 09:18 |
शनि |
09:18 – 10:20 |
बृहस्पति |
10:20 – 11:22 |
मंगल |
11:22 – 12:24 |
सूर्य |
12:24 – 13:25 |
शुक्र |
13:25 – 14:27 |
बुध |
14:27 – 15:29 |
चन्द्र |
15:29 – 16:31 |
शनि |
16:31 – 17:33 |
बृहस्पति |
17:33 – 18:35 |
🚩होरा, रात
मंगल |
18:35 – 19:33 |
सूर्य |
19:33 – 20:31 |
शुक्र |
20:31 – 21:29 |
बुध |
21:29 – 22:27 |
चन्द्र |
22:27 – 23:25 |
शनि |
23:25 – 24:23 |
बृहस्पति |
24:23* – 25:21 |
मंगल |
25:21* – 26:19 |
सूर्य |
26:19* – 27:17 |
शुक्र |
27:17* – 28:15 |
बुध |
28:15* – 29:13 |
चन्द्र |
29:13* – 30:11 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन |
04:34 से 06:04 तक |
मेष |
06:04 से 07:50 तक |
वृषभ |
07:50 से 09:40 तक |
मिथुन |
09:40 से 12:00 तक |
कर्क |
12:00 से 14:12 तक |
सिंह |
14:12 से 16:24 तक |
कन्या |
16:24 से 18:30 तक |
तुला |
18:30 से 20:46 तक |
वृश्चिक |
20:46 से 23:06 तक |
धनु |
23:06 से 01:12 तक |
मकर |
01:12 से 02:46 तक |
कुम्भ |
02:46 से 04:26 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–उत्तर
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
10 + 6 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
धर्मराज दशमी
गुरूअस्त पश्चिमे 26:40
वित्तीय लेखा वर्ष समाप्त
शालीवाहन जयंती