अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं हैं, जितना की सीखने की इच्छा ना रखना आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-04/04/2023, बुधवार त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष, चैत्र (समाप्ति काल )
तिथि | त्रयोदशी 08:04:44 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | पूर्वा फाo 09:35:22 |
योग | वृद्वि 27:37:33 |
करण | तैतिल 08:04:44 |
करण | गर 20:45:10 |
वार | मंगलवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | सिंह 16:04:33 |
चन्द्र राशि | कन्या |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 06:08:10 |
सूर्यास्त | 18:36:43 |
दिन काल | 12:28:33 |
रात्री काल | 11:30:20 |
चंद्रोदय | 17:04:02 |
चंद्रास्त | 29:40:26 |
लग्न—– मीन 19°49′ , 349°49′
सूर्य नक्षत्र | रेवती |
चन्द्र नक्षत्र | पूर्वा फाल्गुनी |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
टू | पूर्वा फाल्गुनी 09:35:22 |
टे | उत्तरा फाल्गुनी 16:04:33 |
टो | उत्तरा फाल्गुनी 22:32:02 |
पा | उत्तरा फाल्गुनी 28:57:48 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 19 : 59 रेवती , 1 दे |
चन्द्र | सिंह 24°:56, पू o फा o , 4 टू |
बुध | मेष 06°: 34′ अश्वनी’ 2 चे |
शुक्र | मेष 27 °05, कृतिका ‘ 1 अ |
मंगल | मिथुन 10°30 ‘ आर्द्रा ‘ 2 घ |
गुरु | मीन 25°30 ‘ रेवती , 3 च |
शनि | कुम्भ 8°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 11°10 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 11°10 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 15:30 – 17:03 अशुभ |
यम घंटा | 09:15 – 10:49 अशुभ |
गुली काल | 12:22 – 13: 56 अशुभ |
अभिजित | 11:57 – 12:47 शुभ |
दूर मुहूर्त | 08:38 – 09:28 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 23:13 – 24:03* अशुभ |
वर्ज्यम | 17:22 – 19:06 अशुभ |
🚩गंड मूल 06:09 – 07:23 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग | 06:08 – 07:42 अशुभ |
उद्वेग | 07:42 – 09:15 अशुभ |
चर | 09:15 – 10:49 शुभ |
लाभ | 10:49 – 12:22 शुभ |
अमृत | 12:22 – 13:56 शुभ |
काल | 13:56 – 15:30 अशुभ |
शुभ | 15:30 – 17:03 शुभ |
रोग | 17:03 – 18:37 अशुभ |
🚩चोघडिया, रात
काल | 18:37 – 20:03 अशुभ |
लाभ | 20:03 – 21:29 शुभ |
उद्वेग | 21:29 – 22:56 अशुभ |
शुभ | 22:56 – 24:22* शुभ |
अमृत | 24:22 – 25:48 शुभ |
चर | 25:48 – 27:14 शुभ |
रोग | 27:14 – 28:41 अशुभ |
काल | 28:41 – 30:07 अशुभ |
🚩होरा, दिन
मंगल | 06:08 – 07:11 |
सूर्य | 07:11 – 08:13 |
शुक्र | 08:13 – 09:15 |
बुध | 09:15 – 10:18 |
चन्द्र | 10:18 – 11:20 |
शनि | 11:20 – 12:22 |
बृहस्पति | 12:22 – 13:25 |
मंगल | 13:25 – 14:27 |
सूर्य | 14:27 – 15:30 |
शुक्र | 15:30 – 16:32 |
बुध | 16:32 – 17:34 |
चन्द्र | 17:34 – 18:37 |
🚩होरा, रात
शनि | 18:37 – 19:34 |
बृहस्पति | 19:34 – 20:32 |
मंगल | 20:32 – 21:29 |
सूर्य | 21:29 – 22:27 |
शुक्र | 22:27 – 23:24 |
बुध | 23:24 – 24:22 |
चन्द्र | 24:22* – 25:19 |
शनि | 25:19* – 26:17 |
बृहस्पति | 26:17* – 27:14 |
मंगल | 27:14* – 28:12 |
सूर्य | 28:12* – 29:10 |
शुक्र | 29:10* – 30:07 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन | 04:26 से 05:56 तक |
मेष | 05:56 से 07:42 तक |
वृषभ | 07:42 से 09:32 तक |
मिथुन | 09:32 से 11:52 तक |
कर्क | 11:52 से 14:04 तक |
सिंह | 14:04 से 16:16 तक |
कन्या | 16:16 से 18:26 तक |
तुला | 18:26 से 20:42 तक |
वृश्चिक | 20:42 से 23:02 तक |
धनु | 23:02 से 01:08 तक |
मकर | 01:08 से 02:42 तक |
कुम्भ | 02:42 से 04:22 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
13 + 3+ 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
श्री महावीर जयंती
श्री माखनलाल चतुर्वेदी जयंती
शिव पूजन विशेष