जीवन में किसी भी कार्य का श्रेय मिले न मिले लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ देना कभी बंद ना करे आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक 06/04/2023, गुरुवार* पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष, चैत्र समाप्ति काल
तिथि | पूर्णिमा 10:03:36 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | हस्त 12:40:40 |
योग | व्याघात 26:29:52 |
करण | बव 10:03:36 |
करण | बालव 22:15:27 |
वार | गुरूवार |
माह | चैत्र |
चन्द्र राशि | कन्या 25:09:47 |
चन्द्र राशि | तुला |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 06:05:58 |
सूर्यास्त | 18:37:46 |
दिन काल | 12:31:47 |
रात्री काल | 11:27:07 |
चंद्रोदय | 18:54:25 |
चंद्रास्त | 06:25:11 |
लग्न—– मीन 21°47′ , 351°47′
सूर्य नक्षत्र | रेवती |
चन्द्र नक्षत्र | हस्त |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ण | हस्त 06:23:34 |
ठ | हस्त 12:40:40 |
पे | चित्रा 18:56:05 |
पो | चित्रा 25:09:47 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 22 : 59 रेवती , 2 दो |
चन्द्र | 07°:56, पू o फा o , 2 पो |
बुध | मेष 08°: 34′ अश्वनी’ 4 ला |
शुक्र | मेष 28 °05, कृतिका ‘ 2 ई |
मंगल | मिथुन 11°30 ‘ आर्द्रा ‘ 2 घ |
गुरु | मीन 25°30 ‘ रेवती , 3 च |
शनि | कुम्भ 9°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 11°02 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 11°02 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 13:56 – 15:30 अशुभ |
यम घंटा | 06:06 – 07:40 अशुभ |
गुली काल | 09:14 – 10:48 अशुभ |
अभिजित | 11:57 – 12:47 शुभ |
दूर मुहूर्त | 10:17 – 11:07 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 15:17 – 16:07 अशुभ |
वर्ज्यम | 21:01 – 22:41 अशुभ |
🚩गंड मूल 06:09 – 07:23 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ | 06:06 – 07:40 शुभ |
रोग | 07:40 – 09:14 अशुभ |
उद्वेग | 09:14 – 10:48 अशुभ |
चर | 10:48 – 12:22 शुभ |
लाभ | 12:22 – 13:56 शुभ |
अमृत | 13:56 – 15:30 शुभभ |
काल | 15:30 – 17:04 अशुभ |
शुभ | 17:04 – 18:38 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
अमृत | 18:38 – 20:04 शुभ |
चर | 20:04 – 21:30 शुभ |
रोग | 21:30 – 22:55 अशुभ |
काल | 22:55 – 24:21* अशुभ |
लाभ | 24:21 – 25:47 शुभ |
उद्वेग | 25:47 – 27:13 अशुभ |
शुभ | 27:13 – 28:39 शुभ |
अमृत | 28:39 – 30:05 शुभ |
🚩होरा, दिन
बृहस्पति | 06:06 – 07:09 |
मंगल | 07:09 – 08:11 |
सूर्य | 08:11 – 09:14 |
शुक्र | 09:14 – 10:17 |
बुध | 10:17 – 11:19 |
चन्द्र | 11:19 – 12:22 |
शनि | 12:22 – 13:25 |
बृहस्पति | 13:25 – 14:27 |
मंगल | 14:27 – 15:30 |
सूर्य | 15:30 – 16:32 |
शुक्र | 16:32 – 17:35 |
बुध | 17:35 – 18:38 |
🚩होरा, रात
चन्द्र | 18:38 – 19:35 |
शनि | 19:35 – 20:32 |
बृहस्पति | 20:32 – 21:30 |
मंगल | 21:30 – 22:27 |
सूर्य | 22:27 – 23:24 |
शुक्र | 23:24 – 24:21 |
बुध | 24:21* – 25:19 |
चन्द्र | 25:19* – 26:16 |
शनि | 26:16* – 27:13 |
बृहस्पति | 27:13* – 28:10 |
मंगल | 28:10* – 29:08 |
सूर्य | 29:08* – 30:05 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन | 04:24 से 05:52 तक |
मेष | 05:52 से 07:38 तक |
वृषभ | 07:38 से 09:28 तक |
मिथुन | 09:28 से 11:48 तक |
कर्क | 11:48 से 14:00 तक |
सिंह | 14:00 से 16:12 तक |
कन्या | 16:12 से 18:22 तक |
तुला | 18:22 से 20:38 तक |
वृश्चिक | 20:38 से 22:58 तक |
धनु | 22:38 से 01:04 तक |
मकर | 01:04 से 02:38 तक |
कुम्भ | 02:38 से 04:34 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चंद्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 09:18 रात्रि 21:44 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
चैत्र पूर्णिमा
श्री हनुमान जन्मोत्सव
श्री रंगनाथ व चतुर्भुज लक्ष्मी विवाह रंगजी मंदिर वृन्दावन