किरण चाहे सूर्य की हो या फिर आशा की जीवन के सभी अंधकार मिटा देती है, आपका आज का दिन मंगलमय हो
06/02/2023, सोमवार* प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष,फाल्गुन समाप्ति काल
तिथि |
प्रतिपदा 26:18:00 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
आश्लेषा 15:02:14 |
योग |
सौभाग्य 15:23:47 |
करण |
बालव 13:08:54 |
करण |
कौलव 26:18:00 |
वार |
सोमवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
कर्क 15:02:14 |
चन्द्र राशि |
सिंह |
सूर्य राशि |
मकर |
रितु |
वसंत |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
गुजराती संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:04:26 |
सूर्यास्त |
18:02:23 |
दिन काल |
10:57:57 |
रात्री काल |
13:01:24 |
चंद्रोदय |
18:35:32 |
चंद्रास्त |
31:23:37 |
लग्न—- मकर 22°48′ , 292°48′
सूर्य नक्षत्र |
श्रवण |
चन्द्र नक्षत्र |
आश्लेषा |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
डे |
आश्लेषा 08:20:18 |
डो |
आश्लेषा 15:02:14 |
मा |
मघा 21:43:37 |
मी |
मघा 28:24:24 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह |
राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य |
मकर 22 : 29 श्रवण , 4 खो |
चन्द्र |
कर्क 23°:23, अश्लेषा , 2 डू |
बुध |
धनु 28 °: 34′ पूo षा o ‘ 1 भे |
शुक्र |
कुम्भ 17°05, शतभिषा ‘ 4 सू |
मंगल |
वृषभ 17°30 ‘ रोहिणी’ 3 वी |
गुरु |
मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ |
शनि |
कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 14°10 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 14°10 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
08:27 – 09:49 अशुभ |
यम घंटा |
11:11 – 12:33 अशुभ |
गुली काल |
13:56 – 15:18 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:55 शुभ |
दूर मुहूर्त |
12:55 – 13:39 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:07 – 15:51 अशुभ |
वर्ज्यम |
28:24 – 30:11 अशुभ |
🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत |
07:04 – 08:27 शुभ |
काल |
08:27 – 09:49 अशुभ |
शुभ |
09:49 – 11:11 शुभ |
रोग |
11:11 – 12:33 अशुभ |
उद्वेग |
12:33 – 13:56 अशुभ |
चर |
13:56 – 15:18 शुभ |
लाभ |
15:18 – 16:40 शुभ |
अमृत |
16:40 – 18:02 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग |
24:33 – 26:11 अशुभ |
शुभ |
26:11 – 27:48 शुभ |
अमृत |
27:48 – 29:26 शुभ |
चर |
18:02 – 19:40 शुभ |
रोग |
19:40 – 21:18 अशुभ |
काल |
21:18 – 22:55 अशुभ |
लाभ |
22:55 – 24:33* शुभ |
चर |
29:26 – 31:04 शुभ |
🚩होरा, दिन
बुध |
08:01 – 08:55 |
चन्द्र |
07:04 – 07:59 |
शनि |
07:59 – 08:54 |
बृहस्पति |
08:54 – 09:49 |
मंगल |
09:49 – 10:44 |
सूर्य |
10:44 – 11:39 |
शुक्र |
11:39 – 12:33 |
बुध |
12:33 – 13:28 |
चन्द्र |
13:28 – 14:23 |
शनि |
14:23 – 15:18 |
बृहस्पति |
15:18 – 16:13 |
मंगल |
16:13 – 17:08 |
सूर्य |
17:08 – 18:02 |
🚩होरा, रात
सूर्य |
19:06 – 20:11 |
शुक्र |
18:02 – 19:08 |
बुध |
19:08 – 20:13 |
चन्द्र |
20:13 – 21:18 |
शनि |
21:18 – 22:23 |
बृहस्पति |
22:23 – 23:28 |
मंगल |
23:28 – 24:33 |
सूर्य |
24:33* – 25:38 |
शुक्र |
25:38* – 26:43 |
बुध |
26:43* – 27:48 |
चन्द्र |
27:48* – 28:54 |
शनि |
28:54* – 29:59 |
बृहस्पति |
29:59* – 31:04 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
04:44 से 06: 28 तक |
कुम्भ |
06: 28 से 08:16 तक |
मीन |
08: 16 से 09:38 तक |
मेष |
09:38 से 11:14 तक |
वृषभ |
11:14 से 13:10 तक |
मिथुन |
13:10 से 15:38 तक |
कर्क |
15:38 से 18:42 तक |
सिंह |
18:42 से 19:54 तक |
कन्या |
19:54 से 10:02 तक |
तुला |
10:02 से 01:24 तक |
वृश्चिक |
01:24 से 02:36 तक |
धनु |
02:36 से 04: 38 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
16 + 16 + 2 + 1 = 35 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चंद्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
16+ 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
मकरे बुध