जीवन में प्रशंसक आपकी स्थिति देखते है और शुभचिंतक आपकी परिस्थिति आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-06/01/2023, शुक्रवार पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष, पौष (समाप्ति काल)
तिथि | पूर्णिमा 28:36:54 तक |
पक्ष | शुक्ल |
नक्षत्र | आर्द्रा 24:12:43 |
योग | ब्रह्म 08:09:06 |
करण | विष्टि भद्र 15:24:12 |
करण | बव 28:36:54 |
वार | शुक्रवार |
माह | पौष |
चन्द्र राशि | मिथुन |
सूर्य राशि | धनु |
रितु | शिशिर |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | नल |
विक्रम संवत | 2079 |
शक संवत | 1944 |
सूर्योदय | 07:12:05 |
सूर्यास्त | 17:37:53 |
दिन काल | 10:25:47 |
रात्री काल | 13:34:20 |
चंद्रोदय | 17:01:02 |
चंद्रास्त | 31:31:17 |
लग्न—- धनु 21°17′ , 261°17
सूर्य नक्षत्र | पूर्वाषाढा |
चन्द्र नक्षत्र | आर्द्रा |
नक्षत्र पाया | लोहा |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
घ | आर्द्रा 10:47:48 |
ङ | आर्द्रा 17:30:02 |
छ | आर्द्रा 24:12:43 |
के | पुनर्वसु 30:55:48 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह | राशी , अंश ,नक्षत्र, पद |
सूर्य | धनु 20 : 29 पू oषाo , 3 फा |
चन्द्र | मिथुन 06°23, मृगशिरा , 4 की |
बुध | मकर 09 ° 34′ उ o षाo ,4 ढा |
शुक्र | मकर 09°05, उ o षाo ‘ 4 जी |
मंगल | वृषभ 14°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा |
गुरु | मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ |
शनि | मकर 28°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी |
राहू | (व) मेष 15°50 भरणी , 2 ली |
केतु | (व) तुला 15°50 विशाखा , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 11:07 – 12:25 अशुभ |
यम घंटा | 15:01 – 16:20 अशुभ |
गुली काल | 08:30 – 09:49 अशुभ |
अभिजित | 12:04 – 12:46 शुभ |
दूर मुहूर्त | 09:17 – 09:59 अशुभ |
दूर मुहूर्त | 12:46 – 13:28 अशुभ |
वर्ज्यम | 37:39 – 39:27 अशुभ |
💮चोघडिया, दिन
चर | 07:12 – 08:30 शुभ |
लाभ | 08:30 – 09:49 शुभ |
अमृत | 09:49 – 11:07 शुभ |
काल | 11:07 – 12:25 अशुभ |
शुभ | 13:42 – 14:59 अशुभ |
शुभ | 12:25 – 13:43 शुभ |
रोग | 13:43 – 15:01 अशुभ |
उद्वेग | 15:01 – 16:20 अशुभ |
चर | 16:20 – 17:38 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
रोग | 17:38 – 19:20 अशुभ |
काल | 19:20 – 21:01 अशुभ |
लाभ | 21:01 – 22:43 शुभ |
उद्वेग | 22:43 – 24:25* शुभ |
शुभ | 24:25 – 26:07 शुभ |
अमृत | 26:07 – 27:49 शुभ |
चर | 27:49 – 29:30 शुभ |
रोग | 29:30 – 31:12 अशुभ |
🚩होरा, दिन
शुक्र | 07:12 – 08:04 |
बुध | 08:04 – 08:56 |
चन्द्र | 08:56 – 09:49 |
शनि | 09:49 – 10:41 |
चन्द्र | 10:40 – 11:32 |
बृहस्पति | 10:41 – 11:33 |
मंगल | 11:33 – 12:25 |
सूर्य | 12:25 – 13:17 |
शुक्र | 13:17 – 14:09 |
बुध | 14:09 – 15:01 |
चन्द्र | 15:01 – 15:54 |
शनि | 15:54 – 16:46 |
बृहस्पति | 16:46 – 17:38 |
🚩होरा, रात
मंगल | 17:38 – 18:46 |
सूर्य | 18:46 – 19:54 |
शुक्र | 19:54 – 21:01 |
बुध | 21:01 – 22:09 |
चन्द्र | 22:09 – 23:17 |
शनि | 23:17 – 24:25 |
बृहस्पति | 24:25* – 25:33 |
मंगल | 25:33* – 26:41 |
सूर्य | 26:41* – 27:49 |
शुक्र | 27:49* – 28:57 |
बुध | 28:57* – 30:04 |
चन्द्र | 30:04* – 31:12 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
धनु | 04:43 से 06:52 तक |
मकर | 06:52 से 08:32 तक |
कुम्भ | 08:32 से 10:10 तक |
मीन | 10: 10 से 11:34 तक |
मेष | 11:34 से 13:14 तक |
वृषभ | 13:14 से 17:32 तक |
कर्क | 17:32 से 19:42 तक |
सिंह | 19:42 से 21:58 तक |
कन्या | 21:58 से 00:08 तक |
तुला | 00:08 से 03:16 तक |
वृश्चिक | 02:16 से 04:26 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥ रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार । अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥ अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें । उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें । शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें । लाभ में व्यापार करें । रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें । काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है । अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 6 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 15:24 या समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
पौषी पूर्णमासी
सर्वार्थ सिद्धि योग 24:13 से
दाऊजी महाराज की झांकी
माघ स्नान प्रारम्भ
शाकम्भरी जयंती
ज्योतिषाचार्य डॉ विष्णु शास्त्री