आप में कितनी भी प्रतिभा क्यों न हो प्रयास और अभ्यास के बिना सब व्यर्थ है आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-07/02/2023, मंगलवार द्वितीया, कृष्ण पक्ष, फाल्गुन
(समाप्ति काल)
तिथि |
द्वितीया 28:27:39 तक |
पक्ष |
कृष्ण |
नक्षत्र |
मघा 17:43:58 |
योग |
शोभन 16:00:57 |
करण |
तैतिल 15:24:24 |
करण |
गर 28:27:39 |
वार |
मंगलवार |
माह |
फाल्गुन |
चन्द्र राशि |
कर्क 15:02:14 |
चन्द्र राशि |
सिंह |
सूर्य राशि |
मकर |
रितु |
शिशिर |
आयन |
उत्तरायण |
संवत्सर |
नल |
विक्रम संवत |
2079 |
शक संवत |
1944 |
सूर्योदय |
07:03:48 |
सूर्यास्त |
18:03:09 |
दिन काल |
10:59:21 |
रात्री काल |
12:59:59 |
चंद्रोदय |
19:29:46 |
चंद्रास्त |
08:08:15 |
लग्न—- मकर 23°49′ , 293°49′
सूर्य नक्षत्र |
धनिष्ठा |
चन्द्र नक्षत्र |
मघा |
नक्षत्र पाया |
रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
मू |
मघा 11:04:32 |
मे |
मघा 17:43:58 |
मो |
पूर्वा फाल्गुनी 24:22:38 |
टा |
पूर्वा फाल्गुनी 31:00:28 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य |
मकर 23 : 29 धनिष्ठा , 1 गा |
चन्द्र |
सिंह 08°:23, मघा। , 3 मू |
बुध |
धनु 29 °: 34′ पूo षा o ‘ 1 भे |
शुक्र |
कुम्भ 17°05, शतभिषा ‘ 4 सू |
मंगल |
वृषभ 17°30 ‘ रोहिणी’ 3 वी |
गुरु |
मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ |
शनि |
कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु |
राहू |
(व) मेष 14°10 भरणी , 1 ली |
केतु |
(व) तुला 14°10 स्वाति , 3 रो |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल |
08:27 – 09:49 अशुभ |
यम घंटा |
11:11 – 12:33 अशुभ |
गुली काल |
13:56 – 15:18 अशुभ |
अभिजित |
12:11 – 12:55 शुभ |
दूर मुहूर्त |
12:55 – 13:39 अशुभ |
दूर मुहूर्त |
15:07 – 15:51 अशुभ |
वर्ज्यम |
28:24 – 30:11 अशुभ |
🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत |
07:04 – 08:27 शुभ |
काल |
08:27 – 09:49 अशुभ |
शुभ |
09:49 – 11:11 शुभ |
रोग |
11:11 – 12:33 अशुभ |
उद्वेग |
12:33 – 13:56 अशुभ |
चर |
13:56 – 15:18 शुभ |
लाभ |
15:18 – 16:40 शुभ |
अमृत |
16:40 – 18:02 शुभ |
🚩चोघडिया, रात
चर |
18:02 – 19:40 शुभ |
रोग |
19:40 – 21:18 अशुभ |
काल |
21:18 – 22:55 अशुभ |
लाभ |
22:55 – 24:33* शुभ |
उद्वेग |
24:33 – 26:11 अशुभ |
शुभ |
26:11 – 27:48 शुभ |
अमृत |
27:48 – 29:26 शुभ |
चर |
29:26 – 31:04 शुभ |
🚩होरा, दिन
चन्द्र |
07:04 – 07:59 |
शनि |
07:59 – 08:54 |
बृहस्पति |
08:54 – 09:49 |
मंगल |
09:49 – 10:44 |
सूर्य |
10:44 – 11:39 |
शुक्र |
11:39 – 12:33 |
बुध |
12:33 – 13:28 |
चन्द्र |
13:28 – 14:23 |
शनि |
14:23 – 15:18 |
बृहस्पति |
15:18 – 16:13 |
मंगल |
16:13 – 17:08 |
सूर्य |
17:08 – 18:02 |
🚩होरा, रात
शनि28:54* – 29:59
सूर्य |
19:06 – 20:11 |
शुक्र |
18:02 – 19:08 |
बुध |
19:08 – 20:13 |
चन्द्र |
20:13 – 21:18 |
शनि |
21:18 – 22:23 |
बृहस्पति |
22:23 – 23:28 |
मंगल |
23:28 – 24:33 |
सूर्य |
24:33* – 25:38 |
शुक्र |
25:38* – 26:43 |
बुध |
26:43* – 27:48 |
चन्द्र |
27:48* – 28:54 |
बृहस्पति |
29:59* – 31:04 |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर |
04:40 से 06: 24 तक |
कुम्भ |
06: 24 से 08:12 तक |
मीन |
08: 12 से 09:34 तक |
मेष |
09:34 से 11:10 तक |
वृषभ |
11:10 से 13:06 तक |
मिथुन |
13:06 से 15:34 तक |
कर्क |
15:34 से 18:38 तक |
सिंह |
18:38 से 19:50 तक |
कन्या |
19:50 से 22:58 तक |
तुला |
22:58 से 01:20 तक |
वृश्चिक |
01:20 से 02:32 तक |
धनु |
02:32 से 04: 34 तक |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली |
+10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर |
+5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा |
+5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ |
+25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता |
+54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———— पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 2 + 3 + 1 = 21 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
शोभन योग 15:56 तक