भगवान गणेश की आंखें, एकाग्रता और ध्यान-मग्नता की प्रतीक हैं। अपने लिए एक योजना बनाने के बाद आपको अपने लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करते रहना चाहिए जय गणेश आपका आज का दिन मंगलमय हो
दिनाँक:-07/04/2023, शुक्रवार प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष, चैत्र (समाप्ति काल)
चतुर्थी व्रत आज है तृतीया युक्त चतुर्थी
तिथि | प्रतिपदा 10:20:23 तक |
पक्ष | कृष्ण |
नक्षत्र | विशाखा 13:59:16 |
योग | सिद्वि 22:12:21 |
करण | विष्टि भद्र 09:35:05 |
करण | बव 21:08:44 |
वार | रविवार |
माह | वैशाख |
चन्द्र राशि | तुला 08:01:04 |
चन्द्र राशि | वृश्चिक |
सूर्य राशि | मीन |
रितु | वसंत |
आयन | उत्तरायण |
संवत्सर | पिंगल |
विक्रम संवत | 2080 |
शक संवत | 1945 |
सूर्योदय | 06:02:44 |
सूर्यास्त | 18:39:20 |
दिन काल | 12:36:35 |
रात्री काल | 11:22:20 |
चंद्रोदय | 21:57:08 |
चंद्रास्त | 07:50:38 |
लग्न—– मीन 24°44′ , 354°44′
सूर्य नक्षत्र | रेवती |
चन्द्र नक्षत्र | विशाखा |
नक्षत्र पाया | रजत |
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ते | विशाखा 08:01:04 |
तो | विशाखा 13:59:16 |
ना | अनुराधा 19:56:05 |
नी | अनुराधा 25:51:32 |
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
सूर्य | मीन 24 : 59 रेवती , 3 च |
चन्द्र | तुला 28:56, विशाखा, 3 रे |
बुध | मेष 13°: 34′ भरणी’ 1 ली |
शुक्र | वृषभ 00 °05, कृतिका ‘ 2 ई |
मंगल | मिथुन 13°30 ‘ आर्द्रा ‘ 2 घ |
गुरु | मीन 26°30 ‘ रेवती , 3 च |
शनि | कुम्भ 9°53 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो |
राहू | (व) मेष 10°52 अश्विनी , 4 ला |
केतु | (व) तुला 10°52 स्वाति , 2 रे |
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल | 17:05 – 18:39 अशुभ |
यम घंटा | 12:21 – 13:56 अशुभ |
गुली काल | 15:30 – 17:05 अशुभ |
अभिजित | 11:56 – 12:46 शुभ |
दूर मुहूर्त | 16:58 – 17:49 अशुभ |
वर्ज्यम | 17:57 – 19:32 अशुभ |
🚩गंड मूल 06:09 – 07:23 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग | 06:03 – 07:37 अशुभ |
चर | 07:37 – 09:12 शुभ |
लाभ | 09:12 – 10:46 शुभ |
अमृत | 10:46 – 12:21 शुभ |
काल | 12:21 – 13:56 अशुभ |
शुभ | 13:56 – 15:30 शुभ |
रोग | 15:30 – 17:05 अशुभ |
उद्वेग | 17:05 – 18:39 अशुभ/td> |
🚩चोघडिया, रात
शुभ | 18:39 – 20:05 शुभ |
अमृत | 20:05 – 21:30 शुभ |
चर | 21:30 – 22:55 शुभ |
रोग | 22:55 – 24:21* अशुभ |
काल | 24:21 – 25:46 अशुभ |
लाभ | 25:46 – 27:11 शुभ |
उद्वेग | 27:11 – 28:36 अशुभ |
शुभ | 28:36 – 30:02 शुभ |
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मीन | 04:00 से 05:28 तक |
मेष | 05:28 से 07:14 तक |
वृषभ | 07:14 से 004 तक |
मिथुन | 09:04 से 11:24 तक |
कर्क | 11:24 से 13:36 तक |
सिंह | 13:36 से 15:48 तक |
कन्या | 15:48 से 18:00 तक |
तुला | 18:00 से 20:14 तक |
वृश्चिक | 20:14 से 22:14 तक |
धनु | 22:14 से 00:30 तक |
मकर | 00:30 से 02:14 तक |
कुम्भ | 02:14 से 04:10 तक |
🚩होरा, दिन
सूर्य | 06:03 – 07:06 |
शुक्र | 07:06 – 08:09 |
बुध | 08:09 – 09:12 |
चन्द्र | 09:12 – 10:15 |
शनि | 10:15 – 11:18 |
बृहस्पति | 11:18 – 12:21 |
मंगल | 12:21 – 13:24 |
सूर्य | 13:24 – 14:27 |
शुक्र | 14:27 – 15:30 |
बुध | 15:30 – 16:33 |
चन्द्र | 16:33 – 17:36 |
शनि | 17:36 – 18:39 |
🚩होरा, रात
बृहस्पति | 18:39 – 19:36 |
मंगल | 19:36 – 20:33 |
सूर्य | 20:33 – 21:30 |
शुक्र | 21:30 – 22:27 |
बुध | 22:27 – 23:24 |
चन्द्र | 22:27 – 23:24 |
शनि | 24:21* – 25:17 |
बृहस्पति | 25:17* – 26:14 |
मंगल | 26:14* – 27:11 |
सूर्य | 27:11* – 28:08 |
शुक्र | 28:08* – 29:05 |
बुध | 29:05* – 30:02 |
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली | +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट |
जयपुर | +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट |
कोटा | +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट |
लखनऊ | +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट |
कोलकाता | +54—–जैसलमेर -15 मिनट |
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान———–पूर्व
परिहार-:आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक दुःख कारक
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 09:35 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
विशेष जानकारी
चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि 21:59 पर