आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि गुरुवार को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी इस सीजन का आखिरी अबूझ सावा है। ऐसे में शादियों सहित विशेष मांगलिक कार्यक्रमों की धूम आज रहेगी। ग्रह प्रवेश,उपनयन,सवामणी, यज्ञ सहित अनेक मांगलिक कार्यक्रम आज के दिन होंगे।
सुबह जहां मंदिरों में ठाकुर जी की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं रात्रि को शयन झांकी में ठाकुरजी 5 माह के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे।
देवउठनी एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु पुनः योग निद्रा से जागेंगे। इसी के साथ शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। इस बार चातुर्मास 4 माह का ना होकर 5 माह का होगा। इस वर्ष श्रावण पुरुषोत्तम मास के कारण चातुर्मास की अवधि बढ़ जाएगी। श्रावण मास में भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए शिव महापुराण के पाठ पर जोर रहेगा। शिवालयों में भोलेनाथ की आराधना होगी। चातुर्मास में साधु संत आश्रम और मंदिरों में तपस्या ध्यान पूजा व्रत साधना में ज्यादा समय बिताएंगे। पुरुषोत्तम मास भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना का उत्तम समय माना जाता है। छोटी काशी में जगह-जगह है श्री भागवत का आयोजन होगा कथाओं का क्रम 5 माह चलेगा इसके बाद 23 नवंबर को पुनः देवउठनी एकादशी से शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।
इस बार नवंबर में 23,24,27,28 और 29 और दिसंबर में 5,6,7,8, 9, 11 और 15 दिसंबर को सावा है।
ज्योतिष साधना
ज्योतिषाचार्य (डॉ) विष्णु तिवारी