इस बार सक्रांति का वाहन व्याग्र है और उपवाहन अश्व होगा। इससे सत्ता में बैठे लोगों को परेशानी होगी। उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। सभी प्रकार की वस्तुओं का क्षय होकर प्रजा में दुर्भिक्ष होगा।धान्यादि के भाव तेज होंगे और रोगों का उपद्रव बढ़ने की आशंका है।

आप जानते ही हैं कि दान पुण्य का महापर्व मकर सक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी की रात करीब 8:45 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में मकर सक्रांति के दान पुण्य का महत्व रविवार को ही रहेगा। हालांकि पतंगबाजी शनिवार को कर सकते है।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व

सक्रांति पर तिल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। तिल शनि की सबसे प्रिय चीज होती है। माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई थी। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन सूर्य और शनि की पूजा तिल से करने पर शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। सूर्य देव प्रसन्न होकर धन धान्य में वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

सूर्यनारायण होंगे उत्तरायण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। शास्त्रों के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही 1 माह से चल रहा खरमास समाप्त हो जाएगा। विवाह,मुंडन,गृह-प्रवेश,सगाई जैसे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। इस दिन गंगा नदी या पवित्र जल में स्नान करने का विधान है। इस दिन गरीबों को गर्म कपड़े,अन्न का दान करना शुभ माना गया है।सक्रांति के दिन तिल से निर्मित सामग्री ग्रहण करने और दान देना शुभ होता है

दिन भर कर सकेंगे दान पुण्य

ज्योतिषाचार्य विष्णु शास्त्री ने बताया कि 14 जनवरी की रात्रि 8:43 पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं सूर्यास्त के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। तो संक्रांति होने पर पुण्य काल अगले दिन वैदिक ज्योतिष के अनुसार मान्य होता है। इसलिए पंचांग के अनुसार मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।पौष मास के इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। 15 जनवरी को सुबह से दान पुण्य शुरू होंगे। और इस दिन पूरे दिन कभी भी दान पुण्य किया जा सकता है।

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ज्योतिषाचार्य विष्णु शास्त्री